80 जर्जर सड़कों के लिए बनाया 60 करोड़ का प्रस्ताव
सरकार समय समय पर सड़कों के गड्ढा मुक्त होने का दावा करती है मगर सडक गडढायुक्त है।
हाथरस, योगेश शर्मा: सरकार समय, समय पर सड़कों के गड्ढा मुक्त होने का दावा करती है, मगर सच्चाई ये है कि यहां की सड़कें गड्ढामुक्त कम गड्ढायुक्त ज्यादा हैं। सबसे बुरी हालत गांव को जाने वाले मार्गों की हैं, जहां पैदल चलना भी मुश्किल है। पूरे जनपद में ऐसी 80 सड़कें हैं जो बुरी तरह से जर्जर हो चुकी हैं। उनकी मरम्मत के लिए कई बार प्रस्ताव शासन को भेजा गया, मगर कोरोना संक्रमण के कारण प्रस्ताव को हरी झंडी नहीं मिली। डीएम के निर्देश पर फिर से 80 सड़कों की मरम्मत और निर्माण के लिए 60 करोड़ का प्रस्ताव पीडब्ल्यूडी ने तैयार किया है जो डीएम के माध्यम से शासन को भेजा जाएगा।
सरकार किसी भी दल की रही हो सड़कों को गड्ढा मुक्त करने के दावे सभी के रहते हैं। केंद्र से लेकर योगी सरकार ने दावे किए कि सड़कों को गड्ढा मुक्त किया जाएगा, मगर ऐसा हो न सका। हाथरस की तमाम सड़कें ऐसी हैं जहां से निकलने में भी डर लगता है। सड़कों से होकर निकलते लोगों को चुनाव के दौरान की वो बातें याद आती हैं जब नेता आकर कहते थे कि आप हमें वोट दो, सड़क हम बनवाएंगे। वादे के मुताबिक गांव के भोले-भाले लोगों ने वोट तो दिया मगर नेताजी अपने वादे को भूल गए।
पीडब्ल्यूडी ने डीएम को भेजा प्रस्ताव
चार दिन पहले विकास कार्यों को लेकर डीएम रमेश रंजन ने सभी विभागों की बैठक बुलाई थी। इस दौरान पीडब्ल्यूडी के कामकाज की समीक्षा कर एक्सईएन पीडब्ल्यूडी आनंद कुमार को निर्देश दिए थे कि जनपद में जो सड़कें जर्जर हैं उनकी सूची दी जाए। इस पर एक्सईएन ने डीएम को अवगत कराया कि सर, हम पहले भी सूची शासन को भेज चुके हैं। इस पर डीएम ने कहा कि फिर से सड़कों का प्रस्ताव बनाकर दिया जाए ताकि हम अपने स्तर से पहल करके शासन से धन रिलीज करा सकें। डीएम के निर्देश पर एक्सईएन ने प्रस्ताव डीएम को भेज दिया है। यहां से जल्द ही प्रस्ताव शासन को भेज दिया जाएगा।
मुख्य सड़कें
सासनी से इगलास मार्ग 6 किमी
सिकंदराराऊ से अगसौली मार्ग 6 किमी
हसायन से गढ़ौला सिकंदराराऊ मार्ग 7 किमी
सासनी से जलेसर रोड 14 किमी मार्ग
अन्य छोटे मार्ग भी जनपद के सूची में शामिल हैं
80 सड़कों से जुड़े हैं 1500 गांव पब्लिक के बोल
देहात की ओर से जाने वाली सड़कों की हालत बहुत खराब है। भारी से लेकर हल्के वाहनों को लगातार टायर से लेकर अन्य कलपुर्जों को नुकसान हो रहा है। एक घंटे का सफर चार घंटे में तय हो रहा है।
भूरी पाठक।
सरकार ने वादा किया था कि सरकार आने पर गांव तक सड़कें देंगे, मगर सरकार से लेकर नेता भी अपना वादा भूल गए हैं। सड़कों को लेकर कोई सुधार नहीं हुआ तो नेताओं को पब्लिक की नाराजगी झेलनी पड़ेगी।
धीरेश दीक्षित
ये सही है कि सड़कों की हालत खराब है। इनके लिए धन की मांग पहले भी कई बार की जा चुकी है। मगर सरकार की भी अपनी मजबूरियां हैं। कोरोना से निपटने के लिए तमाम इंतजाम किए गए थे। इस कारण बजट नहीं मिल पाया। फिर से प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा जा रहा है।
आनंद कुमार, एक्सईएन पीडब्ल्यूडी।