आठ माह में 25 लोग मिले एचआइवी पाजिटिव

कोरोना संक्रमण की व्यस्तता की वजह से एचआइवी के प्रति जागरूकता अभियान पड़ा सुस्त।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 12:42 AM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 12:42 AM (IST)
आठ माह में 25 लोग मिले एचआइवी पाजिटिव
आठ माह में 25 लोग मिले एचआइवी पाजिटिव

संवाद सहयोगी, हाथरस : एचआइवी एड्स की रोकथाम के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं, मगर पिछले दो साल से कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से जागरूकता कार्यक्रमों में काफी कमी आई है। पिछले आठ माह में 25 लोग एचआइवी पाजिटिव मिले हैं जिनमें आठ गर्भवती शामिल हैं।

असंयमित यौन संबंध, रक्त चढ़ाने, प्रदूषित सुई से इंजेक्शन लगवाने और एचआइवी ग्रस्त महिला के बच्चों को यह घातक रोग हो जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार एचआइवी शरीर की रोग-प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रहार करता है। संक्रमण बढ़ने से प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।

गर्भवती में एचआइवी होने के कारण बच्चों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। प्रसव के समय एचआइवी संक्रमित महिलाओं की सुरक्षित डिलीवरी महिला जिला अस्पताल में कराई जाती है। एचआइवी पाजिटिव रोगियों की काउंसलिग के लिए सेंटर संचालित हैं, लेकिन कागजों में ही जागरूकता के कार्य हो रहे हैं। इस साल महिला जिला अस्पताल में एक अप्रैल से तीस नवंबर तक कुल 4389 गर्भवती की एचआइवी की जांच कराई गई, जिसमें आठ महिलाएं पाजिटिव पाई गईं। बीमारी छिपाने से बढ़ जाता है खतरा

एचआइवी-एड्स को लेकर लगातार जागरूकता फैलाई जा रही है, इसके बाद भी लोग इसके संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं। इससे आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। एचआइवी पाजिटिव केस की जानकारी के लिए स्वास्थ्य विभाग ने तीन श्रेणी तय की है। इनमें एफएसडब्लू (फीमेल सेक्स वर्कर), आइड्यूज (इंजेक्शन के कारण) और एमएसएम (मेल सेक्स टू मेल) हैं। सादाबाद में एक व जिला

अस्पताल में पंद्रह मरीज

महिला अस्पताल के अलावा एचआइवी की जांच की व्यवस्था जिला अस्तपाल व सादाबाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर है। जहां रैपिड किट के जरिए एचआइवी की जांच कराई जाती है। पिछले आठ माह में सादाबाद में कुल 3168 लोगों की जांच हुई जिसमें एक मरीज की रिपोर्ट पाजिटिव आई। जिला अस्पताल में संचालित सेंटर पर आठ माह में 3339 लोगों की जांच हुई, जिसमें 17 मरीज एचआइवी पाजिटिव के निकलकर आए। अलीगढ़ में उपचार की व्यवस्था

एचआइवी की पुष्टि हो जाने के बाद अलीगढ़ मेडिकल कालेज के एआरटी सेंटर से मरीजों का छह माह का उपचार चलता है। छह माह का कोर्स पूरा हो जाने के बाद उस मरीज को हाथरस के लिक सेंटर पर वापस भेज दिया जाता है। उसके बाद जिदगी भर सेंटर के जरिए ही मरीजों का इलाज चलता है। कोरोना की वजह से शिथिलता

एचआइवी-एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए तमाम प्रयास स्वास्थ्य विभाग द्वारा कराए जाते हैं। एनजीओ भी जिले में काम कर रही हैं। पिछले दो साल से कोरोना संक्रमण की वजह से स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों का ध्यान इसपर कम रहा। कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से ही एचआइवी से बचाव के जागरूकता कार्यक्रम शिथिल रहे। महीनों से एड्स के प्रति बचाव को लेकर कोई गोष्ठी भी आयोजित नहीं की गई। इनका कहना है

जिले में एड्स की जांच के लिए बंदोबस्त बेहतर हैं जो मरीज एचआइवी के चिह्नित किए गए हैं, उनको एआरटी सेंटर के जरिए इलाज दिलाया जा रहा है। एनजीओ भी कार्य कर रही हैं। शासन को भी समय-समय पर एचआइवी पाजिटिव मरीजों की रिपोर्ट भेजी जाती है।

डा.चंद्रमोहन चतुर्वेदी, सीएमओ, हाथरस

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