मंडी में जलभराव, करीब तीन हजार बोरा अनाज भीगा

- मंडी सचिव बोले नुकसान की जानकारी नहीं

By JagranEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 10:01 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 10:01 PM (IST)
मंडी में जलभराव, करीब तीन हजार बोरा अनाज भीगा
मंडी में जलभराव, करीब तीन हजार बोरा अनाज भीगा

हरदोई : कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर लगाए गए लॉकडाउन के दौरान कृषि से जुड़े कार्यों को छूट दी गई हैं। शुक्रवार की सुबह बारिश के चलते नवीन गल्ला मंडी हरदोई की साफ-सफाई व्यवस्था की पोल खुल गई। बारिश के चलते खुले में लगे गेहूं व धान से भरे करीब तीन हजार बोरे भीग गए, इससे किसानों के अलावा व्यापारियों को काफी नुकसान हुआ। वहीं गल्ला मंडी में लगे खरीद केंद्रों के सामने जलभराव होने से गेहूं की तौल प्रभावित रही।

नवीन गल्ला मंडी में साफ-सफाई के नाम पर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इसके बावजूद जलनिकासी की व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो पाई है। नालियां चोक है, जिससे हल्की बारिश में जलभराव हो जाता है। व्यापारियों का कहना है कि गुरुवार को गेहूं, धान, सरसों की आमद आई थी। बिक्री के बाद उठान के लिए आढ़तों पर गेहूं व धान से करीब तीन हजार भरे बोरे रखे थे। वहीं किसानों की भी आमद आढ़तों के बाहर पड़ी थी। बारिश की कोई उम्मीद नहीं थी, जिसके चलते खुले में अनाज रखा था। सुबह अचानक बारिश होने से अनाज भीग गया। वहीं मंडी सचिव बबलू लाल ने बताया कि बारिश से हुए नुकसान की उन्हें कोई जानकारी नहीं है। बताया कि मेन नाले से मंडी का नाला नीचे है, जिससे जलनिकासी की समस्या बनी हुई है। इसका जल्द समाधान किया जाएगा।

बारिश से उर्द, मूंग, मूंगफली व गन्ना को फायदा: हरदोई : बारिश से उर्द, मूंग, मूंगफली व गन्ना की फसलों को फायदा पहुंचा है। किसानों को अब कुछ दिन के सिचाई की जरूरत नहीं पड़ेगी। किसान फसलों की देखरेख करते रहे, जिससे उत्पादन अच्छा रहेगा। वहीं गेहूं की कटाई के बाद खाली पड़े खेतों की गहरी जोताई का भी अच्छा अवसर है।

कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. रामप्रकाश ने बताया कि जायद सीजन में उर्द, मूंग, मूंगफली की फसल होती है। कई किसान ग्रीष्मकालीन मक्का भी करते हैं। खेतों में गन्ने की फसल भी खड़ी है। इस समय की बारिश इन फसलों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी। उन्होंने बताया कि अधिकतर किसान गेहूं व धान की फसल लेते है। उनके खेत ग्रीष्मकाल में खाली पड़े रहते हैं, लेकिन किसान खेतों की जोताई करना जरूरी नहीं समझते। उन्होंने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि ग्रीष्मकालीन समय में खेतों की गहरी जोताई काफी फायदेमंद होती है, जो खरीफ सीजन की फसलों को फायदा पहुंचाती है। किसानों को मिट्टी पलटने वाले हल से तुरंत जोताई करनी चाहिए। खेत को खुला छोड़ देना चाहिए। पाटा नहीं लगाना चाहिए। इससे कीड़े-मकोड़े व खरपतवार नष्ट हो जाती है। ढलान के विपरीत जोताई करने से बारिश के समय पानी रुक-रुककर जाता है, जो फायदा पहुंचाता है।

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