प्रधानी पर चर्चाएं, बीडीसी और जिला पंचायत सदस्यों पर लगी निगाहें
-गांव गांव हो रही प्रधानी की हार-जीत पर चर्चा -ब्लाक प्रमुखी की दावेदारों को सता रही अपनी सीट की चिता
हरदोई: पंचायत चुनाव के मतदान के बाद जहां गांवों में प्रधानी पर चर्चाएं हो रही हैं, वहीं ब्लाक प्रमुख के दावेदारों को खुद की सीट के साथ मैदान में उतारे गए प्रत्याशियों की चिता भी सता रही है। तो जिला पंचायत सदस्यों पर राजनीतिक दलों का निगाहें हैं। भाजपा जहां अपना गणित जोड़ रही है वहीं सपा-बसपा और कांग्रेस भी अपना हिसाब किताब लगा रही है।
गुरुवार को मतदान के बाद से ही गांवों में हार-जीत पर चर्चा शुरू हो गई। प्रत्याशी तो मतदाता सूची से हिसाब लगा रहे हैं तो समर्थक अपना हिसाब जोड़ रहे हैं। वैसे सबसे ज्यादा चर्चाएं तो प्रधानी को लेकर हो रही हैं। बीडीसी सदस्य को लेकर आम आदमी तो चर्चा नहीं कर रहा है, लेकिन जो ब्लाक प्रमुखी के दावेदार हैं, उन्हें ज्यादा चिता सता रही है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि दावेदारों को लग रहा है कि कहीं ऐसा न हो कि पार्टी टिकट देने को तैयार है लेकिन जनता ही न उनका टिकट काट दे। सबसे अलग जिला पंचायत सदस्यों पर चर्चाएं हो रही हैं। इसमें प्रचार से ज्यादा प्रत्याशियों की किस्मत ने काम किया। ऐसे बहुत से गांव रहे जहां सभी प्रत्याशी पहुंच नहीं पाए और वहां पर मतदाताओं को जो चुनाव चिन्ह अच्छा लगा उसी पर मुहर लगा दी। भाजपा अपने नेटवर्क की बदौलत 72 सीटों में 50 से 60 सीट जीतने का दावा कर रही है। जिलाध्यक्ष सौरभ मिश्र का कहना है कि बूथ अध्यक्ष से लेकर जिला स्तर के पदाधिकारी चुनाव प्रचार में लगे रहे। हर मतदाता तक पार्टी समर्थित प्रत्याशी का चुनाव चिन्ह पहुंचा, जिससे सबसे अधिक सीट भाजपा ही जीतेगी, तो दूसरी तरफ सपा जिलाध्यक्ष जितेंद्र वर्मा का कहना है कि सपा समर्थित प्रत्याशियों की जीत सबसे ज्यादा होगी। बसपा जिलाध्यक्ष सुरेश चौधरी और कांग्रेस जिलाध्यक्ष आशीष सिंह अपनी जीत बता रहे हैं।