खाद की समस्या बरकरार, किसान परेशान
जरूरत 45 हजार एमटी डीएपी उपलब्धता 7700 एमटी है डीएपी -जिला कृषि अधिकारी बोले अभी सिर्फ सरसों व आलू के लिए डीएपी की है जरूरत
हरदोई : कृषि विभाग भले ही डीएपी की किल्लत से इन्कार कर रहा हो, लेकिन सरकारी आंकड़े ही विभागीय दावों की पोल खोल रहे हैं। रबी सीजन में 45 हजार एमटी डीएपी की जरूरत है, जबकि जिले में 7,700 एमटी डीएपी ही मौजूद है।
जनपद में 125 सरकारी व 1,149 निजी खाद की दुकानें हैं। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार सहकारी समितियों पर दो हजार एमटी स्टाक मौजूद है, जबकि निजी दुकानों पर 2,200 एमटी का स्टाक है। पीसीएफ के गोदाम में 3,700 एमटी डीएपी का अतिरिक्त भंडार है, किल्लत के समय उपलब्ध कराने की बात कही जा रही है। हकीकत यह है कि कई समितियों व निजी दुकानों पर डीएपी का स्टाक समाप्त होने की कगार पर पहुंच गया है।
जिला कषि अधिकारी उमेश कुमार साहू ने बताया कि वर्तमान में डीएपी की सरसों व आलू की फसल की बोआई में जरूरत है। किसान जरूरत के हिसाब से डीएपी क्रय करें। फर्रूखाबाद से आएगी 200 एमटी डीएपी : जिला कृषि अधिकारी का कहना है कि डीएपी की समस्या को देखते हुए फर्रूखाबाद से 200 एमटी डीएपी की स्वीकृति मिल गई है, जो जल्द ही डी जिले में पहुंच जाएगी।
सिगल सुपर फास्फेट के प्रयोग से घटेगा बजट : डीएपी के विकल्प के रूप में सिगल सुपर फास्फेट के प्रयोग से खेती का बजट कम किया जा सकता है।
खाद की समस्या बरकरार, किसान परेशान-हरदोई : कृषि विभाग भले ही डीएपी की किल्लत से इन्कार कर रहा हो, लेकिन सरकारी आंकड़े ही विभागीय दावों की पोल खोल रहे हैं। रबी सीजन में 45 हजार एमटी डीएपी की जरूरत है, जबकि जिले में 7,700 एमटी डीएपी ही मौजूद है।
जनपद में 125 सरकारी व 1,149 निजी खाद की दुकानें हैं। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार सहकारी समितियों पर दो हजार एमटी स्टाक मौजूद है, जबकि निजी दुकानों पर 2,200 एमटी का स्टाक है। पीसीएफ के गोदाम में 3,700 एमटी डीएपी का अतिरिक्त भंडार है, किल्लत के समय उपलब्ध कराने की बात कही जा रही है। हकीकत यह है कि कई समितियों व निजी दुकानों पर डीएपी का स्टाक समाप्त होने की कगार पर पहुंच गया है।
जिला कषि अधिकारी उमेश कुमार साहू ने बताया कि वर्तमान में डीएपी की सरसों व आलू की फसल की बोआई में जरूरत है। किसान जरूरत के हिसाब से डीएपी क्रय करें। फर्रूखाबाद से आएगी 200 एमटी डीएपी : जिला कृषि अधिकारी का कहना है कि डीएपी की समस्या को देखते हुए फर्रूखाबाद से 200 एमटी डीएपी की स्वीकृति मिल गई है, जो जल्द ही डी जिले में पहुंच जाएगी।
सिगल सुपर फास्फेट के प्रयोग से घटेगा बजट : डीएपी के विकल्प के रूप में सिगल सुपर फास्फेट के प्रयोग से खेती का बजट कम किया जा सकता है।