जंगली बाबा के दर्शन से दूर होते हैं कष्ट
भरावन तहसील संडीला से 21 किलोमीटर दूर अतरौली- भटपुर मार्ग पर स्थित जंगली शिव बाबा तीर्थ
भरावन : तहसील संडीला से 21 किलोमीटर दूर अतरौली- भटपुर मार्ग पर स्थित जंगली शिव बाबा तीर्थ मन्दिर पर भक्तों की हर मनोकामनाएं पूर्ण करते है। मंदिर मुख्य मार्ग से 200 मीटर अंदर स्थित है। सावन में यहां दूर दूर से भक्त आते है। मंदिर तक पहुंचने के लिए संडीला और अतरौली से वाहन उपलब्ध रहते हैं। इतिहास : पुजारी कन्हैयालाल गोस्वामी निवासी झझौली ने बताया था कि मंदिर वर्ष 1520 में जानवर चराने वाले लोगों ने ऊंचाई पर शिवलिग को देखा था । तब चारों तरफ दो किलोमीटर में घनघोर जंगल था। जहां रात में कोई नही जा सकता था। अंग्रेजों के शासनकाल में सिपाही शिवलाल ने शिवलिग के दर्शन किए थे और कुछ दिन बाद सिपाही ने मिट्टी से ईंट का चबूतरा और मंदिर बनवाया था । बिटिश शासनकाल में ग्राम गोडवा के भक्त कन्हैयालाल ने कच्ची कोठरी बनाई थी। जंगली शिव मंदिर के संरक्षक वर्तमान थाना अतरौली प्रभारी रहते है। मंदिर में शिवलिग, बजरंगबली, राम,लक्ष्मण, सीता,माता दुर्गा ,काली मां ,सन्तोषी मां ,विष्णु, लक्ष्मी, सरस्वती, राधा -कृष्ण, शनि देव,सूर्य देव,त्रिशक्ति पीठ और साई बाबा का मंदिर बना हुआ है। तैयारियां :
मंदिर में प्रत्येक सोमवार को विशेष व्यवस्था की जाती है । मगर इस बार मंदिर में कोरोना सुरक्षा गाइड लाइन को ध्यान में रखते हुए दर्शन व पूजन की व्यवस्था की गई हैं। प्रति माह आमवस्या को मेला लगता है। यहां पर प्रतिदिन साफ-सफाई के लिए कर्मचारी लगे हैं। सावन में सुरक्षा के लिए अतरौली थाना के पुलिस कर्मी तैनात किए गए हैं। 27एचआरडी0 02 पुजारी : रामकुमार गोस्वामी का कहना है कि सावन में दूर-दूर से भक्त आते हैं। भगवान भोलेनाथ सभी की संपूर्ण मनोकामनाएं पूर्ण करते है। प्रतिदिन पूजन अर्चना के बाद मंदिर श्रद्धालुओं के खोल दिया जाता है। 27एचआरडी0 03
प्रबंधक : मंदिर प्रबंधक राजेश अवस्थी बताते हैं कि मंदिर में दूर-दराज से आने वाले भक्तों और साधुओं के ठहराव व खान पान की व्यवस्था है। मगर कोरोना संकमण के कारण लोगों से मंदिर में न आने की अपील की गई है। जंगली शिव बाबा मंदिर में जो भी माथा टेकता और सच्चे मन से जो मांगता है, उसका कल्याण होता है।