कुरान जो पढ़ता है वह गद्दार नहीं होता
हरदोई : संडीला में झाड़ी शाह बाबा मेले में आयोजित आल इंडिया मुशायरे में आए नामचीन शायर
हरदोई : संडीला में झाड़ी शाह बाबा मेले में आयोजित आल इंडिया मुशायरे में आए नामचीन शायरों ने अपने कलाम व शेरों-शायरी से लोगों को वाह-वाह कहने पर मजबूर कर दिया। मुशायरे का उद्घाटन पूर्व मंत्री अब्दुल मन्नान ने शमा जलाकर किया।
सबसे पहले मुशायरे का उद्घाटन करने पहुंचे पूर्व मंत्री अब्दुल मन्नान का स्वागत मेला सरपरस्त सूफी इदरीश शाह मंसूरी व मेला इंचार्ज कदीर पहलवान ने पगड़ी बांधकर किया। संचालन कर रहे मशहूर शायर इस्माइल नजर ने 'खुदा बंदा तेरे नाम से आगाज करता हूं तेरा बंदा हूं तुझपे नाज करता हूं' ने अपनी शायरी से किया। अबदुल्ला राज देवबंदी ने, क्या ये ही नए दौर की तहजीब है' जिसको यहां देखो वह अदाकार लगे हैं' तथा शोभा त्रिपाठी 'शबा' ने अपनी शायरी 'अशफाक हो या अब्दुल हमने तो यहीं देखा, कुरान जो पढ़ता है वह गद्दार नहीं होता' ने सब को वाह-वाह करने पर मजबूर कर दिया। शाद फरीदी ने अपना शेर 'बहुत वीरान होता जा रहा हूं, मैं ¨हदोस्तान होता जा रहा हूं' पर लोगों ने खूब वाहवाही की। इसी प्रकार नदीम अनवर देवबंद ने अपनी शायरी 'जरूरी यह नहीं कि हर बात कहकर होती है, बहुत से मौकों पर खामोश रहकर होती है' तो आदिल रसीद दिल्ली ने अपनी शायरी 'वतन से दूर कुछ सिक्कों ने क्या-क्या हमसे छीना है, कभी मय्यत नहीं मिलती तो कभी सेहरा नहीं मिलता' पर खूब तालियां बजीं। इसी प्रकार चांद अंजुम जौहरी (देवास) ने अपनी शायरी 'मुसलमां ¨हदू में क्यों फर्क इतना, ये नफरत घरों को जला तो न देगी', कसिस वारसी ने अपनी शायरी ' जहरीले सांप इन दिनों खामोश है मगर, ये सोचना गलत है कि फितरत बदल गई' व अहमद जमाल लखनऊ ने अपने शेर 'मां है तो ¨जदगी का महकता गुलसिता, उनके दिलों से पूछो जिनकी नहीं है मां' पर श्रोताओं की खूब वाह-वाही मिली।