लड़े निज देश के खातिर उन्हें हम सर झुकाते हैं..

रसखान प्रेक्षागृह में शनिवार को एक शाम शहीदों के नाम में

By JagranEdited By: Publish:Sun, 24 Jan 2021 10:17 PM (IST) Updated:Sun, 24 Jan 2021 10:17 PM (IST)
लड़े निज देश के खातिर उन्हें हम सर झुकाते हैं..
लड़े निज देश के खातिर उन्हें हम सर झुकाते हैं..

हरदोई : रसखान प्रेक्षागृह में शनिवार को एक शाम शहीदों के नाम में शहीदों की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम के दौरान शहीदों की पत्नियों को स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया गया। इसके उपरांत कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।

नगर पालिका अध्यक्ष सुखसागर मिश्र मधुर, रंगकर्मी व निर्देशक जरीफ मालिक आनंद, वैज्ञानिक गोपाल राजू ने शहीदों की पत्नियों को सम्मानित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। कवि सम्मेलन की शुरुआत मिश्रिख से आए गीतकार जगजीवन मिश्र की वाणी वंदना से हुई। लखनऊ से आए ओजकवि अतुल ने परतंत्रता के बंध काटने को था अधीर, क्रांतिपथ गामियों के पथ का प्रकाश था। तम के गयंद चीरने को रवि सिंह था जो, क्रांतिदूत, क्रांतिपुंज मेरा वो सुभाष था कविता पढ़कर तालियां बटोरी। सीतापुर से आई कवयित्री सोनी मिश्रा ने लड़े निज देश के खातिर उन्हें हम सर झुकाते हैं, दिया बलिदान जिस जिसने उन्हीं के गीत गातें हैं, दिया जय हिद का नारा जगाया जोश भारत में, ये वीरों की बदौलत है जो हम सब मुस्कराते हैं कविता पढ़ी। कवि पवन कश्यप ने मैं गाऊंगा गीत अनूठे तुम केवल बैठी रहना गीत पढ़कर समां बांध दिया। बाराबंकी से आए हास्य कवि विकास बौखल ने कुछ और कहो इनका नेता न कहो, नेता कहे देश का अपमान बहुत है रचना पढ़ राजनीति पर तंज कसा। संयोजक अजीत शुक्ल ने देश नमन करता है सशत भारत वीर सुभाष को कविता पढ़ी। कवि अजीत तोमर ने दुश्मन के फटे वक्ष का होना चश्मदीद है, मुझे तो मुल्क हिदुस्तान पर होना शहीद है पढ़कर तालियां बटोरी। जगजीवन मिश्र की सिरका शीर्षक रचना सराही गई। संचालक नीरज पांडेय ने मरकर भी महापुरुष पीढि़यों के लिए अपना अमर इतिहास छोड़ जाते हैं कविता पढ़कर वाहवाही लूटी। मुख्य आयोजक अवरेंद्र अवस्थी, अनुज सिंह, विशाल सक्सेना, कृष्णा मौजूद रहे।

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