एक सफाईकर्मी के भरोसे कछौना सीएचसी की साफ-सफाई
सीएचसी पर है एक ही है वार्ड ब्वाय बाउड्रीवाल न होने से घूमते रहते जानवर
हरदोई: सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का हाल किसी से छिपा नहीं है और जब गांव की बात होती है तस्वीर ज्यादा खराब नजर आती है। सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की हालत किसी से छिपी नहीं है। भवनों की समस्या, कम स्टाफ, दवा की किल्लत के बीच डॉक्टरों की कम मौजूदगी के बूते असली भारत स्वस्थ रहे तो कैसे।
वहीं, अब जब संक्रमण का रुख गांवों की ओर है ऐसे में, जाहिर है चुनौतियां ज्यादा होंगी। अदालत भी स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली पर चिता जता चुकी है। जरूरत है कि हमारे गांव की सीएचसी, पीएचसी को इतना सुदृढ़ किया जाए कि वे मरीजों को थामने में सक्षम हों। शासन और प्रशासन को इनकी बदहाली और जरूरत बताने के लिए सीरीज शुरू की गई है, जिससे आप सीएचसी और पीएचसी की स्वास्थ्य सेवाओं से रूबरू होंगे। संवादसूत्र, कछौना: अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए साफ सफाई जरूरी बताई जाती है। स्वच्छता के दावे भी किए जा रहे हैं, लेकिन कछौना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की हकीकत दावों की पोल खोल रही है। सीएचसी पर मात्र एक वार्ड व तैनात है और पूरी सीएचसी की सफाई एक कर्मचारी के जिम्मे है, जिसका परिणाम यह है कि अस्पताल में गंदगी रहती है और बाउंड्रीवाल न होने से बेसहारा जानवर घूमते रहते हैं।
सीएचसी में एक्सरे मशीन और अल्ट्रासाउंड को छोड़ दें तो अधिकांश संसाधन हैं और चिकित्सकों की तैनाती भी है, लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी चिकित्सकों से लेकर मरीजों और उनके तीमारदारों पर भी भारी पड़ती है। अस्पताल के चारों तरफ बाउंड्रीवाल न होने से चारों तरफ से गंदगी फैलती है तो बेसहारा जानवर अस्पताल में घूमते रहते हैं। जल निकास की व्यवस्था न होने से पानी भरा रहता है। सबसे खास बात तो यह कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों में सीएचसी में मात्र एक ब्वाय और एक ही सफाई कर्मचारी है। उन दोनों के जिम्मे ही 24 घंटे की व्यवस्थाएं हैं। ऐसी हालत में चारों तरफ व्यवस्थाएं ही रहती हैं। अधीक्षक किसलय बाजपेई का कहना है कि समस्याओं को लेकर उच्चाधिकारियों को समय समय पर अवगत कराया जाता है। - 25 एचआरडी 16
-कहने को तो साफ-सफाई पर ध्यान दिया जाता है, लेकिन अस्पताल में साफ सफाई नहीं है। अब जब अस्पताल में ही सफाई नहीं होगी तो मरीज ठीक कैसे होंगे।
-नरेंद्र सिंह 25 एचआरडी 17
-अस्पताल में चारों तरफ जानवर घूमते रहते हैं। सफाई का भी कोई इंतजाम नहीं है। जिससे मरीजों और उनके तीमारदारों को परेशानी उठानी पड़ती है।
-बनवारी 25 एचआरडी 18
-अस्पताल में कुछ दवाएं तो मिल जाती हैं, लेकिन बहुत से नहीं हैं, जिसके चलते वह बाहर से लेनी पड़ती हैं। जांच के लिए मरीजों को परेशान होना पड़ता है।
-मेवालाल 25 एचआरडी 19
-अस्पताल में जो मरीज भर्ती होते हैं, उन्हें समुचित सेवाएं नहीं मिल पाती हैं। चिकित्सकों के पास जाओ तो कहते हैं कि क्या करें कर्मचारी ही नहीं हैं।
-भीमसेन जागरण विचार
कोरोना की दूसरी लहर ने स्वास्थ्य सेवाओं को घुटनों पर ला दिया है। आनन-फानन अस्थायी कोविड अस्पताल बनाने पड़े। यह नौबत इसलिए आई क्योंकि हमारे पास जो इंफ्रास्ट्रक्चर है वह बदहाली का शिकार है। गांव में इन स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज तो दूर मूलभूत सुविधाएं ही मिल जाएं तो बहुत है। डॉक्टर साहब रुके भी कैसे, भवन खराब हैं। रुई, सीरिज, मरहम, और टेबलेट तक की व्यवस्था ठेकेदारों के चंगुल में है। स्टाफ की कमी तो कहीं खराब उपकरण, ऐसे में लड़ाई कैसे लड़ेंगे। अगर भविष्य में एक और लहर आई तो क्या इसी तरह अस्थाई अस्पताल बनाते रहेंगे। आग लगने पर कुआं खोदने की परंपरा से निजात पाने का यही तरीका है कि जो जहां रहे उसे वहीं इलाज देने के दावे को हकीकत में बदला जाए।
संडीला सीएचसी पर जल्द होने लगेंगे एक्सरे
हरदोई: स्वास्थ्य सेवाओं की पड़ताल अभियान में संडीला सीएचसी पर एक्सरे और अल्ट्रासाउंड में होने वाली परेशानी की जागरण में मंगलवार को प्रकाशित खबर का असर हुआ है। सीएचसी पर जल्द ही एक्सरे मशीन लगाई जाएगी।
अधीक्षक डॉ. मसूद आलम ने जारी पत्र में बताया कि मशीन तो क्रियाशील है लेकिन 16 मई को ही प्रिटर खराब हो जाने से एक्सरे नहीं हो पा रहे। उन्होंने बताया कि इसकी सूचना संबंधित फर्म को दे दी गई है और 28 मई तक सही हो जाने की उम्मीद है। वहीं उन्होंने बताया कि सीएचसी पर अल्ट्रासाउंड मशीन तो नहीं है लेकिन प्रत्येक माह की नौ तारीख को गर्भवती महिलाओं हेतु पीपीपी माडल के अंतर्गत अनुबंधित फूलचंद्र मेमोरियल हॉस्पिटल संडीला में निश्शुल्क जांच होती है। नौ तारीख को गर्भवती महिलाएं अपना अल्ट्रासाउंड करा सकती हैं।