गंगा में छोड़े जाएंगे 15 लाख मछलियों के बच्चे
- गंगा नदी में अक्टूबर से रीवर रैचिग कार्यक्रम की होगी शुरुआत - हरदोई के अलावा प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी समेत 12 जिले हैं शामिल
हरदोई : मत्स्य संरक्षण की दिशा में सरकार ने कदम बढ़ाए हैं। रीवर रैंचिग कार्यक्रम के तहत इस वर्ष गंगा नदी में 15 लाख मछलियों के बच्चे (मत्स्य अंगुलिका) छोड़े जाएंगे। कार्यक्रम के तहत हरदोई के अलावा 12 जिलों को अन्य जिलों को भी शामिल किया गया है। अक्टूबर के पहले सप्ताह में रीवर रैंचिग की प्रक्रिया शुरू होगी।
राष्ट्रीय मत्स्य की विकास बोर्ड की ओर से प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजनांतर्गत गंगा नदी में रीवर रैंचिग कार्यक्रम की शुरुआत जून में की गई थी। इसके तहत हरदोई, वाराणसी, बिजनौर, बुलंदशहर, बदायूं, अमरोहा, कानपुर, फतेहपुर, कौशाम्बी, प्रयागराज, मिर्जापुर और गाजीपुर जिले को शामिल किया गया है। प्रत्येक जिलों में 1,25,000-1,25,000 मछलियों के बच्चों कुल 15 लाख मछलियों के बच्चों को छोड़ा जाएगा। हरदोई में रीवर रैचिग के तहत बिलग्राम क्षेत्र में गंगा नदी के राजघाट तट को चयनित किया गया है। अक्टूबर के पहले सप्ताह में रीवर रैंचिग की प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है।
मछलियों के बच्चों को किया जा रहा तैयार : टड़ियावां ब्लाक के सुहासा गांव में मछलियों के बच्चों (मत्स्य अंगुलिका) को तैयार किया जा रहा है। मत्स्य अंगुलिका को तैयार करने की जिम्मेदारी साबरी मत्स्य बीज उत्पादन समिति के संचालक मोहम्मद हनीफ अली को दी गई है। उन्होंने बताया कि जून के आखिरी सप्ताह में गंगा नदी से रोहू, कतला व नैन प्रजाति की ब्रूडर (बड़ी मछली) को पकड़ा गया था। हैंचिग पूल में अंडे से फ्राई मछली के बच्चे तैयार किए गए। उनकी अलग-अलग नर्सरी तैयार की गई। ब्रूडर से स्पॉन उत्पादन की कार्रवाई अगस्त माह के आखिरी सप्ताह में पूरी कर ली गई। तालाबों में मछलियों के बच्चे डाले गए हैं, जिन्हें बड़ा होने के लिए मछली दाना दिया जा रहा है। 80 से 100 एमएम आकार के मछली बच्चों को मत्स्य विभाग को उपलब्ध कराया जाएगा। अधिकारी बोले ..
मत्स्य विभाग की देखरेख में मछलियों के बच्चों को तैयार कराया जा रहा है। चयनित समिति द्वारा तैयार किए गए मछलियों के बच्चों को सरकारी दर पर क्रय किया जाएगा। निदेशालय स्तर से गंगा में मछलियों के बच्चों को छोड़ने की तारीख तय नहीं की गई है। अक्टूबर के पहले सप्ताह में मछली के बच्चों को गंगा नदी में छोड़े जाने की उम्मीद है।
- रेखा श्रीवास्तव, सहायक निदेशक मत्स्य