सिस्टम की मिलीभगत से छीनते रहे गरीबों का हक

-तीन लाख से अधिक की उपज बेचने वालों की जांच से खुली पोल -कमीशनबाज ही नहीं कार्ड के लिए गरीब बने अपात्र भी हुए बेनकाब

By JagranEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 10:24 PM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 10:24 PM (IST)
सिस्टम की मिलीभगत से छीनते रहे गरीबों का हक
सिस्टम की मिलीभगत से छीनते रहे गरीबों का हक

हरदोई: प्रकरण एक: अरवल क्षेत्र के शेखवापुर निवासी विनोद कुमार के पास 15 बीघा खेत है। खेतीबाड़ी से अच्छी कमाई है। उन्होंने आठ लाख सात हजार 643 रुपये की उपज बेची, लेकिन उनकी पत्नी विमला देवी के नाम अंत्योदय राशन कार्ड है।

-प्रकरण दो: ककरा निवासी लालाराम के पास खेत भी है। कमाई का अच्छा जरिया होने के बाद भी पत्नी कमला के नाम अंत्योदय कार्ड बनवा लिया और उस पर राशन भी लेते रहे। सात लाख 76 हजार की उपज बेचने पर जांच शुरू हुई तो हकीकत सामने आई।

योजना कोई भी हो, सिस्टम की मिलीभगत से अपात्र खूब लाभ लेते हैं। गरीबों के बनने वाले अंत्योदय राशन कार्डों में भी ऐसा ही खेल हुआ। पात्र परेशान घूमते रहे, लेकिन पक्के मकान और खेत वालों के कार्ड बन गए, हालांकि कई बार जांच हुई पर पर्दा पड़ा ही रहा। अब तीन लाख से अधिक की उपज बेचने वालों की जांच में जहां कमीशनबाजी में उपज बेचने का खेल उजागर हुआ वहीं अंत्योदय राशन कार्ड बनवाने वाले अपात्र भी सामने आ गए। हालांकि जांच के बाद उनके कार्ड निरस्त हो रहे हैं पर सिस्टम की एक बार फिर पोल खुल गई।

जिले में वर्तमान में 7 लाख 79 हजार 997 राशन कार्ड धारक हैं। इनमें एक लाख 17 हजार 727 अंत्योदय राशन कार्ड धारक हैं। व्यवस्था के अनुसार जिनकी वार्षिक आय दो लाख से कम होती है, उनके यह कार्ड बनते हैं पर सिस्टम के खेल से अपात्रों के खूब कार्ड बने। तीन लाख से अधिक की उपज बेचने वालों में जिन 3413 लोगों के नाम सामने आए हैं, उसमें बहुत तो कमीशनबाजों का शिकार हो गए और अपना खाता व बैंक पासबुक दे दी, लेकिन इसमें काफी संख्या में अपात्र भी मिले हैं। यह लोग ऐसे हैं जिन्होंने न केवल जुगाड़ से अपने कार्ड बनवाए बल्कि हर बार सत्यापन पर भी पर्दा डाल कर गरीबों का हक छीनते रहे, पर अब पोल खुल गई है। जिला पूर्ति अधिकारी संजय पांडेय का कहना है कि जो भी अपात्र सामने आ रहे हैं, उनके कार्ड निरस्त हो रहे हैं और आगे भी जांच कराई जा रही है।

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