भूमिहीनों के नाम पर भी बेची गई लाखों की उपज
-नौकरों के आधार व पासबुक लेकर गेहूं डालने की सामने आई बात -बंटाईदारों के साथ ही कमीशनबाजों के शिकार भी मिल रहे पात्र गृहस्थी कार्ड धारक
हरदोई: शहर के गिप्सनगंज निवासी मनोज रेलवेगंज में मजदूरी करते थे। मालिक ने उनका आधार कार्ड और बैंक पासबुक ले ली। फिर उनके खाते में रुपये आते गए और वह मालिक को निकाल निकाल कर देते रहे। अब वह हरियाणा में काम करते हैं। उन्हें पता चला कि उनके नाम पर छह लाख 44 हजार 696 रुपये की उपज बेची गई।
सांडी क्षेत्र के मंसूरापुर निवासी कृष्णमोहन के पास भी खेत नहीं है, लेकिन उनके नाम पर 10 लाख एक हजार 278 रुपये की उपज बेची गई। तीन लाख रुपये से अधिक की उपज बेचने वाले गृहस्थी राशन कार्ड धारकों की जांच में ऐसी ही बात सामने आ रही हैं जोकि कमीशनबाजी की पोल खोल रही हैं।
किसानों की उपज में हमेशा से खेल होता रहा। किसान धान और गेहूं बेचने को परेशान रहते, लेकिन कमीशनबाजी करने वालों का आराम से बिक जाता है और लाखों की उपज बेचने वाले पात्र गृहस्थी राशन कार्ड धारकों के नाम पर भी ऐसा ही हुआ। हालांकि बहुत से बटाईदार थे और उन्होंने बटाई में पैदा हुई उपज को बेचा लेकिन बटाईदारों की आड़ में कमीशन खेलने वालों ने भी उनके नाम पर उपज बेची। मनोज, लालाराम, शांति, कृपाल आदि का कहना है कि उनसे तो आधार कार्ड और बैंक पासबुक मांगी गई थी और कहा गया था कि खाते में रुपया आएगा जो रुपया आया वह लौटा दिया, बस कुछ रुपये दे दिए गए। अब पता चल रहा है कि उनका राशन कार्ड निरस्त होने की नौबत आ गई है। देखा जाए तो 3413 पात्र गृहस्थी राशन कार्ड धारकों में अधिकांश कमीशनबाजों का शिकार हुए। जिला पूर्ति अधिकारी संजय पांडेय का कहना है कि कार्ड तो पात्रता के आधार पर बनता है। जिन लोगों ने तीन लाख रुपये से अधिक की उपज बेची, जांच रिपोर्ट के आधार पर उनके कार्ड निरस्त कर दिए जाएंगे।