हर जुबान पर सत्यम की कहानी, तिरंगे में लिपटकर लौटा बलिदानी
-शहीद को अंतिम विदाई देने को उमड़ा पूरा क्षेत्र - मेंहदीघाट पर राजकीय सम्मान के साथ किया गया अंतिम संस्कार
बिलग्राम (हरदोई): जब तक सूरज चांद रहेगा सत्यम पाठक नाम रहेगा। सत्यम पाठक अमर रहें। शनिवार से शोक में डूबे क्षेत्र के बेहटी खुर्द गांव में बलिदानी सत्यम पाठक का रविवार की रात पार्थिव शरीर पहुंचते ही ऐसा ही सुनाई देने लगा। जम्मू कश्मीर में माइनस 30 डिग्री सेल्सियस तापमान में देश की रक्षा की खातिर प्राण न्योछावर करने वाले सत्यम पाठक का हर जुबान पर नाम था।
तिरंगे में लिपटे सत्यम पाठक के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन को पूरा क्षेत्र उमड़ पड़ा। सोमवार को राजकीय सम्मान के साथ मेंहदीघाट पर सत्यम पाठक का अंतिम संस्कार किया गया। सेना के जवान और अधिकारियों के साथ ही विधायक आशीष सिंह, जिलाधिकारी, अविनाश कुमार, एसपी अजय कुमार समेत सभी ने वीर सपूत को अंतिम विदाई दी।
वीर सपूत पर सभी को है फक्र
सत्यम पाठक के पिता बाबूराम पाठक, मां सरला पाठक के साथ ही साथ ही भाई और भतीजा है। उनकी पत्नी रामलली अपने पुत्र प्रिश आकाश व निखिल के साथ गांव पर ही रहती हैं। शुक्रवार की शाम ही सभी ने सत्यम से बात की थी, उन्हें नहीं पता था कि अगले दिन ही ऐसी मनहूस खबर आएगी। विधायक आशीष सिंह ने सत्यम के घर पहुंचकर मां सरला पाठक को स्वजन की मौजूदगी में आर्थिक मदद का चेक दिया।
फालोअप : मां के आंचल के बाद पिता का सिर से उठा साया-हरदोई : टड़ियावां क्षेत्र में पेड़ के नीचे दबकर दो मजदूरों की मौत की घटना के बाद से दोनों परिवारों में चीख पुकार मची हुई है। बच्चे पिता के घर आने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन उनकी मौत की खबर आ गई, जिसके बाद से बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया है।
थमरवा के रामसहाय मूलरूप से हरियावां के कोशियारपुर के रहने वाले थे। शादी के बाद वह परिवार के साथ थमरवा में रहने लगे थे और मजदूरी करते थे। स्वजन ने बताया कि रामसहाय की पत्नी का कई वर्ष पूर्व निधन हो गया था। उनके दो पुत्र और एक पुत्री है। रामसहाय बच्चों का पालन पोषण कर रहे थे। रविवार शाम को आई आंधी में पेड़ के नीचे दबकर रामसहाय की मौत के बाद बच्चों के सिर से पिता का साया भी उठ गया। एडीएम वंदना त्रिवेदी ने बताया कि घटना के बाद से पुलिस और राजस्व टीम मौके पर है। विधिक कार्रवाई की जा रही है।