रेफरल सेंटर बनकर रह गए सीएचसी-पीएचसी
कोरोना संक्रमण के साथ ही संक्रामक बीमारियों ने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। बुखार डायरिया पेट दर्द के साथ ही मलेरिया और डेंगू के मरीज अस्पताल पहुंचने लगे हैं। जिला अस्पताल की ओपीडी के साथ ही इमरजेंसी कक्ष में मरीजों की भीड़ लगी रहती है।
केस एक : कछौना के गौरी खालसा निवासी सीमा की तबियत खराब हुई। स्वजन सीएचसी ले गए, जहां से उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया। केस दो : बिलग्राम के गुजरई निवासी सोनम को सांप ने काट लिया। स्वजन सीएचसी पर लेकर पहुंचे, चिकित्सक ने उसे भी जिला अस्पताल रेफर कर दिया।
हरदोई : कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर से निपटने के लिए स्वास्थ्य महकमा सीएचसी-पीएचसी में आक्सीजन जनरेटिग सिस्टम के साथ ही अन्य संसाधनों को उपलब्ध करा रहा है। इसके बावजूद संक्रमित का इलाज तो दूर की बात, साधारण मरीजों तक का सीएचसी-पीएचसी में इलाज नहीं हो पा रहा है। जिला अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष में रोजाना 15 से 20 मरीज सीएचसी-पीएचसी से रेफर होकर आते हैं।
कोरोना संक्रमण के साथ ही संक्रामक बीमारियों ने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। बुखार, डायरिया, पेट दर्द के साथ ही मलेरिया और डेंगू के मरीज अस्पताल पहुंचने लगे हैं। जिला अस्पताल की ओपीडी के साथ ही इमरजेंसी कक्ष में मरीजों की भीड़ लगी रहती है। वहीं सीएचसी-पीएचसी से रेफर मरीज अस्पताल आते रहते हैं। इनमें गंभीर मरीजों के अलावा बुखार, पेट दर्द के मरीज भी शामिल होते हैं। ऐसे में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। पीएचसी पर तो सुविधाओं की भारी कमी है, लेकिन सीएचसी भी रेफरल सेंटर से अधिक कुछ नहीं हैं। चिकित्सक होने के बावजूद मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल रेफर का पर्चा थमा दिया जाता है। फिर चाहे मरीज पेट दर्द से पीड़ित हो या फिर बुखार से। उन्हें एंबुलेंस से अस्पताल भेज दिया जाता है।
स्वास्थ्य केंद्र पर नहीं होते मेडिकल : मरीजों के साथ ही मारपीट में घायल होने वाले लोगों को भी जिला अस्पताल भेज दिया जाता है। वहीं पुलिस जिन आरोपितों को पुलिस को जेल भेजना होता है, उनका तक मेडिकल सीएचसी-पीएचसी पर नहीं हो पाता। पुलिस कर्मी उन्हें लेकर जिला अस्पताल आते हैं।
वर्जन -
सीएचसी-पीएचसी पर चिकित्सक मरीजों का प्राथमिक उपचार करते हैं, अगर हालत गंभीर होती है तभी उन्हें जिला अस्पताल रेफर किया जाता है।
डा. सूर्यमणि त्रिपाठी, सीएमओ