कोरोना काल में भी दूसरों की जिंदगी बचाने में आगे रहे रक्तवीर

-भाजपा नेकी की दीवार और कोरोना वॉरियर्स ने किया रक्तदान

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 10:11 PM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 10:11 PM (IST)
कोरोना काल में भी दूसरों की जिंदगी बचाने में आगे रहे रक्तवीर
कोरोना काल में भी दूसरों की जिंदगी बचाने में आगे रहे रक्तवीर

हरदोई : कोरोना काल में लोग शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में लगे थे तो अपनी चिता छोड़कर रक्तवीर दूसरों की जान बचाने में आगे आए। एक संदेश पर नेकी की दीवार के सदस्य जरूरतमंदों को रक्त देने के लिए दौड़े तो कोरोना वॉरियर्स के रूप में काम कर रहे लोगों ने रक्तदान कर ब्लड बैंक की कमी दूर की। विश्व रक्तदान दिवस पर ऐसे रक्तदाताओं को लोग सलाम कर रहे हैं।

कोरोना संक्रमण के चलते लगे लाकडाउन में हर कोई घर में कैद था, जिसके परिवार का सदस्य अस्पताल में भर्ती था और उसे रक्त की जरूरत थी तो उसे रक्त मिलता रहा। धीरे-धीरे जिला अस्पताल की ब्लड बैंक में रक्त की कमी हो गई। स्वास्थ्य विभाग को भी इसकी चिता सताने लगी। कई गंभीर मरीजों को रक्त के लिए डोनर तलाशने पड़े। स्वास्थ्य विभाग के कई संस्थाओं से रक्तदान करने की अपील की, जिसके बाद नेकी की दीवार की टीम सबसे पहले आगे आई और रक्तदान शिविर का आयोजन किया। शिविर में लोगों ने स्वैच्छिक रक्तदान किया। फिर शहर के महेंद्र प्लाजा होटल में कोरोना वॉरियर्स की टीम के 24 लोग ने रक्तदान किया। संत निरंकारी की टीम ने पांच और फिर भाजपा सरकार के सात वर्ष पूर्व होने पर हुए रक्तदान शिविर में 35 कार्यकर्ताओं ने रक्तदान किया। रक्तदान शिविर के आयोजन से ब्लड बैंक में रक्त की कमी पूरी हुई।

शिक्षा का दीप जलाने के साथ रक्तदान कर बचा रहे जान : बावन ब्लाक के ग्राम मढिया निवासी शैलेंद्र राठौर शिक्षक हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2002 में मां मुन्नी देवी की तबियत खराब हुई और चिकित्सक ने दो यूनिट ब्लड की आवश्यकता बताई। रक्त देने के लिए दोस्तों और रिश्तेदारों से बात की, उन्होंने साफ इंकार कर दिया। सबसे पहले मां के लिए रक्तदान किया। फिर उन्होंने संकल्प लिया कि अब किसी की भी जान रक्त की कमी से नहीं जाने देंगे और रक्तदान करना शुरू कर दिया। 35 वर्ष की उम्र में अब तक 57 बार रक्तदान कर चुके हैं। रक्तदान शिविर के साथ ही अगर किसी जरूरतमंद को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तो वह उसे रक्त देने के लिए अस्पताल पहुंच जाते हैं। शैलेंद्र का मानना है कि अगर हम दूसरों की मदद करेंगे तो हमारी मदद को भी लोग आएंगे।

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