--गंगा के उफान से किसान परेशान

संवाद सहयोगी गढ़मुक्तेश्वर गंगा में आया उफान किसानों को चौतरफा परेशान कर रहा है

By JagranEdited By: Publish:Wed, 05 Aug 2020 07:28 PM (IST) Updated:Wed, 05 Aug 2020 07:28 PM (IST)
--गंगा के उफान से किसान परेशान
--गंगा के उफान से किसान परेशान

संवाद सहयोगी , गढ़मुक्तेश्वर

गंगा में आया उफान किसानों को चौतरफा परेशान कर रहा है, क्योंकि धान, गन्ना और हरी सब्जी की खेती में करोड़ों का नुकसान होने के साथ ही पशुओं के चारे की किल्लत सबसे गंभीर समस्या बनी हुई है।

दिल्ली एनसीआर समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भले ही अभी तक मानसून की अपेक्षित कृपा नहीं हो पाई है, परंतु दूसरी ओर उत्तराखंड के पहाड़ों पर झमाझम बारिश, बांधों से पानी छोड़ने और बादल फटने की घटना होने से गढ़ क्षेत्र में बसे दो दर्जन गांवों को चौतरफा आफत से जूझना पड़ रहा है।

पहाड़ों की बारिश और बांधों से पानी छोड़े जाने से गढ़-ब्रजघाट गंगा में उफान आने के कारण चार दिन पहले जलधारा अलर्ट के निशान को पार कर खतरे की ओर बढ़ने लगी थी, जिससे हजारों एकड़ जंगल को गिरफ्त में लेते हुए गंगा का पानी कई गांवों के बाहरी छोर तक पहुंच गया था। पहाड़ों पर बारिश का क्रम थोड़ा धीमा पड़ने और बांधों से पानी न छोड़े जाने के कारण तीन दिन के भीतर जलस्तर में गिरावट होने से गंगा का उफान कम होता जा रहा है, परंतु इसके बाद भी किसानों समेत पशु पालकर अपनी जीविका चलाने वाले हजारों ग्रामीणों को चौतरफा दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है।

गंगा किनारे के हजारों एकड़ जंगल में भरा पानी बाहर न निकलने से धान, गन्ना और हरी सब्जी की खेती को बड़े स्तर पर नुकसान हो रहा है, जबकि उफान के दौरान पानी का बहाव तेज होने से गंगा किनारे वाले जंगल में बड़े स्तर पर भू कटान होने से किसानों की कई बीघा भूमि जलधारा में समा चुकी है, वहीं मच्छर मक्खी और कीड़े मकौड़ों का प्रकोप बढ़ने से वायरल फीवर, डायरिया, खांसी, जुकाम जैसी बीमारी भी तेजी के साथ पांव पसारकर महिला बच्चों समेत ग्रामीणों को अपनी गिरफ्त में ले रही है।

किसान नौबत राम, मेवासिंह, बलबीर, कलिया, हरपाली का कहना है कि गंगा के उफान से खेतों में जो पानी भरा था, उसके बाहर न निकलने से खादर क्षेत्र के किसानों की धान, गन्ना और हरी सब्जी की खेती में करोड़ों का नुकसान हुआ है। हरे चारे की फसल बर्बाद होना सबसे गंभीर समस्या बनी हुई है, क्योंकि दूध बेचकर अपने परिवारों की जीविका चलाने वाले हजारों ग्रामीणों समेत किसानों को करीब दस मील दूर जाकर पशुओं के लिए बांगर क्षेत्र के जंगल से चारा लाने को मजबूर होना पड़ रहा है, जिसमें समय और पैसे की अनावश्यक बर्बादी होने से घरों का खर्च चलाना भी चुनौती बनी हुई है।

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