महाभारत काल से जुड़ा है कार्तिक मेले का इतिहास

संवाद सहयोगी गढ़मुक्तेश्वर खादर मेला उत्तरी भारत के मिनी कुंभ के नाम से विख्यात है। मह

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 10:20 PM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 10:20 PM (IST)
महाभारत काल से जुड़ा है कार्तिक मेले का इतिहास
महाभारत काल से जुड़ा है कार्तिक मेले का इतिहास

संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर :

खादर मेला उत्तरी भारत के मिनी कुंभ के नाम से विख्यात है। महाभारत युद्ध में मारे गए सैनिकों की आत्मशांति के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों से खादर में दीपदान कराया था तभी से यहां कार्तिक मेले का आयोजन होता आ रहा है और कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान के दिन दीपदान का विशेष महत्व है।

धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि महाभारत युद्ध में मारे गए असंख्य सगे-संबंधी और वीर योद्धाओं को लेकर पांडवों का मन व्याकुल हो उठा था। उनमें राजपाठ के प्रति अलगाव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। यह देख भगवान श्रीकृष्ण को चिता होने लगी। तब भगवान श्रीकृष्ण कार्तिक माह में पांडवों का गढ़ खादर में लेकर आए। कई दिन तक पड़ाव डालकर गंगा स्नान सहित पांडवों से विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कराए गए थे। प्राचीन गंगा मंदिर के कुल पुरोहित पंडित संतोष कौशिक और पंचायती मंदिर के पुजारी पंडित सुरेंद्र प्रसाद शर्मा का कहना है कि महाभारत के युद्ध में जान गंवाने वालों की आत्मशांति को चतुर्दशी की संध्या में दीपदान करने पर पांडवों के व्याकुल मन को शांति मिल गई थी, जिसके उपरांत गंगा में डुबकी लगाकर श्रीकृष्ण पांडवों को लेकर लौट गए थे, तभी से प्रतिवर्ष गढ़ खादर में कार्तिक पूर्णिमा स्नान मेला लगता आ रहा है। ंइसमें दीपदान सबसे महत्वपूर्ण पर्व कहलाया जाता है। वर्तमान में गंगा किनारे मखदूमपुर, तिगरी धाम, अनूपशहर, नरौरा, रामराज, बिजनौर बैराज समेत विभिन्न स्थानों पर कार्तिक मेला होने लगा है, परंतु जो धार्मिक मान्यता गढ़ खादर से जुड़ी है वह किसी दूसरे स्थान की नहीं है। रेत के मैदान पर लगती है तंबू की नगरी

खादर क्षेत्र अंतर्गत गंगा किनारे कार्तिक पूर्णिमा मेले के दौरान दीपावली के बाद से ही रेतीले मैदान पर तंबू नगरी लगनी शुरू हो जाती है, जहां सरकारी अमले के साथ साथ हापुड़ जनपद के अलावा मेरठ,मुजफ्फरनगर बागपत, गाजियाबाद, बड़ौत सहारनपुर शामली बुलंदशहर जनपद के साथ साथ हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान,उत्तराखंड से श्रद्धालुओं यहां आकर तंबू नगरी में रहते हैं, जिसमें वह लोग करीब 5 से 7 दिन रुक कर मां गंगा की अविरल जलधारा में डुबकी लगाकर पुण्य कमाते हैं यह मेला अन्य राज्यों में भी प्रसिद्ध है। ब्रजघाट का बढ़ा महत्व

हापुड़। उत्तराखंड में हरिद्वार के जाने के बाद ब्रजघाट का महत्व काफी बढ़ गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहां मेले में सभा को संबोधित कर चुके हैं। इसके साथ साथ पर्यटन विभाग यहां करोड़ों रुपये के विकास कार्य करा रहा है,ताकि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना न करना पड़े। घाट पर पथ प्रकाश, लेजर लाइट शो समेत अनेक कार्य कराए गए जा रहे हैं।

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