जितने ऊंचे डिवाइडर उतना ज्यादा मिलता है कमीशन

जागरण संवाददाता हापुड़ नियमों को ताक पर रखकर शहर में ऊंचे डिवाइडर बनाए जा रहे

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 06:11 PM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 06:11 PM (IST)
जितने ऊंचे डिवाइडर उतना ज्यादा मिलता है कमीशन
जितने ऊंचे डिवाइडर उतना ज्यादा मिलता है कमीशन

जागरण संवाददाता, हापुड़ :

नियमों को ताक पर रखकर शहर में ऊंचे डिवाइडर बनाए जा रहे हैं। इससे पहले भी जो डिवाइडर बनाए गए हैं उनके निर्माण में भी बड़े स्तर पर घपला हुआ है, लेकिन कमीशन के खेल ने नियमों को दरकिनार कर दिया है। ऐसे में यह डिवाइडर लोगों के लिए मुसीबत बने हुए हैं। यहां तक कि शहर में कोई भी फुटओवर ब्रिज तक नहीं है। इस कारण लोगों को जान जोखिम में डालकर चौराहे पार करने पड़ते हैं। बता दें कि नगर पालिकाओं में निर्माण कार्यों को लेकर कमीशन का खेल बड़े स्तर पर होता है। एक नगर पालिका के सूत्र बताते हैं कि यदि सौ रुपये के किसी निर्माण कार्य का टेंडर होता है तो उसमें से 27 से 28 रुपये का कमीशन नीचे से ऊपर तक सभी को मिलता है। यह हाल लगभग हर नगर पालिका का होता है। कमीशन में इस खेल में नियमों को ताक पर रख दिया जाता है।

नियम बताते हैं कि मुख्य मार्गों पर मजबूत डिवाइडर का निर्माण होना चाहिए। इसके लिए आरसीसी और लोहे की रेलिग का डिवाइडर सबसे अच्छा होता है। इसके पीछे कि वजह है कि यदि कोई वाहन डिवाइडर से टकराए तो सवार लोग और अन्य दूसरे लोगों को अधिक नुकसान न पहुंचे। डिवाइडर की अधिकतम ऊंचाई डेढ़ से दो फीट होनी चाहिए, लेकिन इन नियमों का उल्लंघन शहर में खुलेआम हो रहा है। इससे पहले भी जब रेलवे रोड पर डिवाइडर का निर्माण हुआ था तो नियमों का उल्लंघन कर इसकी ऊंचाई बहुत अधिक बढ़ा दी गई थी। इसकी वजह यह भी बताई जाती है कि डिवाइडर का निर्माण ज्यादा होगा तो इस्टीमेट ज्यादा रुपये का बनेगा। इससे कमीशन भी ज्यादा आएगा।

बता दें कि डिवाइडर की ऊंचाई अधिक होने से लोगों को सड़क पार करना बहुत मुश्किल रहता है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या बिल पास करते समय नगर पालिका के अवर अभियंता, सहायक अभियंता और लोक निर्माण विभाग (पीडब्लूडी) के अधिशासी अभियंता आंखें मूंद लेते हैं? या फिर कमीशन के खेल में उनकी आंखों पर पट्टी बंध जाती है। ----

वादे बड़े, काम छोटे - शहर में कोई फुटओवर ब्रिज नहीं है। जबकि, नगर पालिका की बोर्ड बैठक में तहसील चौराहे पर इसके निर्माण का प्रस्ताव कई माह पहले स्वीकृत हो चुका है। फुटओवर ब्रिज न होने के कारण लोग जान जोखिम में डालकर चौराहे पार करते हैं। इस कारण कई बार सड़क दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं, लेकिन इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं है। यहां तक कि कोई अंडरपास की व्यवस्था तक नहीं है।

---- यह कहते हैं अधिकारी -

वर्तमान में नियमानुसार डिवाइडरों का निर्माण हो रहा है। पैदल चलने वाले लोग सुरक्षित तरीके से सड़क पार कर सकें, इसके लिए कुछ दूरी पर डिवाइडर के बीच में जगह छोड़ी जाती है।

- संजय कुमार गौतम, अधिशासी अभियंता

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