अब टीटी की जगह लगेगा टीडी का टीका
टेटनेस टाक्सायड (टीटी) की जगह अब सरकारी अस्पतालों में टेटनेस एंड एडल्ट डिप्थोरिया (टीडी) का टीका लगाया जाएगा। पहले चरण में 10 से 16 साल की उम्र तक के किशोरों और गर्भवती महिलाओं को टीका लगाया जाएगा। वैक्सीन की सप्लाई बढ़ने के बाद सरकारी अस्पतालों में टीका सभी उम्र के लोगों को नि:शुल्क लगाया जा सकेगा। स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर जल्द ही टीकाकरण में लगी टीमों को ट्रे¨नग देंगे। एक सप्ताह बाद जिले में टीडी के टीके लगाने का काम शुरू हो जाएगा।
जागरण संवाददाता, हापुड़:
टेटनेस टॉक्सायड (टीटी) की जगह अब सरकारी अस्पतालों में टेटनेस एंड एडल्ट डिप्थोरिया (टीडी) का टीका लगाया जाएगा। पहले चरण में 10 से 16 साल की उम्र तक के किशोरों और गर्भवती महिलाओं को टीका लगाया जाएगा। वैक्सीन की आपूर्ति बढ़ने के बाद सरकारी अस्पतालों में टीका सभी उम्र के लोगों को नि:शुल्क लगाया जा सकेगा। स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर जल्द ही टीकाकरण में लगी टीमों को ट्रे¨नग देंगे। एक सप्ताह बाद जिले में टीडी के टीके लगाने का काम शुरू हो जाएगा।
गर्भावस्था के दौरान टीटी के बदले टीडी, प्रसवपूर्ण देखभाल के दौरान मां एवं नवजात को टेटनेस एवं डिप्थीरिया के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करने के लिए की जाती है। गर्भावस्था के दौरान टीका, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और उन गर्भवती महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करता है जिन्हें बूस्टर खुराकें पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं हुई है। टेटनेस से सुरक्षा के साथ-साथ टीडी डिप्थीरिया के विरुद्ध रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. राजवीर ¨सह ने बताया कि जिला प्रतिरक्षक अधिकारी डॉ. संजीव कुमार ने हाल ही में लखनऊ में टीडी के टीकाकरण की ट्रे¨नग ली है। जल्द ही जनपद में टीकाकरण करने वाली टीमों के लिए ट्रे¨नग शुरू कराई जाएगी। ट्रे¨नग पूरी होने के बाद वैक्सीन के लिए डिमांड उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी। वैक्सीन की खेप
मिलते ही टीडी के टीकाकरण का काम पहले जिला स्तर पर शुरू किया जाएगा। इसके बाद इसे ब्लॉक स्तर पर शुरू कर दिया जाएगा।
टेटनेस से होती है तीव्र संक्रामक बीमारी
टेटनेस, बैक्टीरियम क्लोस्ट्रीडियम टेटानी की खतरनाक नस्ल द्वारा पैदा होने वाली एक तीव्र संक्रामक बीमारी है। यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है और गहन देखभाल उपलब्ध होने के बावजूद मृत्यु दर काफी उच्च है। टेटनस और अडल्ट
डिप्थीरिया टीडी टीका, टेटनस और डिप्थीरिया का मेल है जिसमें बड़े बच्चों और वयस्कों के लिए सलाह अनुसार डिप्थीरिया एंटीजेन की मात्रा है। टीकाकरण सर्विलांस आंकड़ों के अनुसार डिप्थीरिया के ज्यादातर मामले पांच वर्ष या उससे ज्यादा के आयु वर्ग में सामने आए हैं। इससे स्पष्ट हुआ कि डीटीपी के प्राथमिक टीकाकरण के बाद नवजात में डिप्थीरिया के विरुद्ध रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और निरंतर सुरक्षा के लिए डिप्थीरिया टॉक्साइड युक्त टीकों की बूस्टर खुराक आवश्यक है।
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--एएनएम के लिए जारी किया मुख्य संदेश
- टेटनेस टॉक्साइड (टीटी) के बदले टेटनेस और अडल्ट डिप्थीरिया (टीडी) टीका अपनाया जा चुका है।
- टेटनेस और डिप्थीरिया अस्पताल में भर्ती होना या फिर मृत्यु का कारण बन सकता है।
- बड़े आयु वर्ग के डिप्थीरिया के मामले बढ़ रहे हैं। टीटी के बदले टीडी टीका डिप्थीरिया के आउटब्रेक को घटाता है।
- टीडी का उपयोग शुरू करने से पहले उपलब्ध टीटी का उपयोग किया जाना चाहिए।
-गर्भावस्था के दौरान टीटी के बदले टीडी, प्रसवपूर्ण देखभाल के दौरान मां एवं नवजात को टेटनेस व डिप्थीरिया के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करने के लिए की जाती है।
- गर्भावस्था के दौरान टीका, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और उन गर्भवती महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करता है जिन्हें बूस्टर खुराकें पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं हुई है।