जिले में दो साल से नहीं हुई मिट्टी के नमूनों की जांच

रबी की फसलों की बुआई शुरू हो रही है लेकिन जिले के किसान लगातार दूसरे साल मृदा परीक्षण नहीं करा सके हैं। कोरोना संक्रमण की वजह से अभियान पिछले वर्ष रोका गया था। इस वर्ष अब तक केंद्र सरकार ने इसे शुरू करने का निर्देश नहीं दिया है हालांकि पिछले दिनों इफको के बजट से आदर्श ग्राम अनवरपुर के 231 नमूनों की जांच कराई थी। केंद्र सरकार ने 2014-15 में मृदा परीक्षण अभियान शुरू किया था ताकि किसान यह जान सकें कि उनके खेत की जरूरत क्या है कौन खाद कितनी मात्रा में डालकर अच्छी उपज ली जा सकती है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 08:05 PM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 08:05 PM (IST)
जिले में दो साल से नहीं हुई मिट्टी के नमूनों की जांच
जिले में दो साल से नहीं हुई मिट्टी के नमूनों की जांच

जागरण संवाददाता, हापुड़ : रबी की फसलों की बुआई शुरू हो रही है, लेकिन जिले के किसान लगातार दूसरे साल मृदा परीक्षण नहीं करा सके हैं। कोरोना संक्रमण की वजह से अभियान पिछले वर्ष रोका गया था। इस वर्ष अब तक केंद्र सरकार ने इसे शुरू करने का निर्देश नहीं दिया है, हालांकि पिछले दिनों इफको के बजट से आदर्श ग्राम अनवरपुर के 231 नमूनों की जांच कराई थी। केंद्र सरकार ने 2014-15 में मृदा परीक्षण अभियान शुरू किया था, ताकि किसान यह जान सकें कि उनके खेत की जरूरत क्या है, कौन खाद कितनी मात्रा में डालकर अच्छी उपज ली जा सकती है।

2015-16 में जिले में योजना का क्रियान्वयन शुरू हुआ और 2016-17 तक मृदा परीक्षण का पहला चरण चला। इस दौरान नेशनल मिशन फार सस्टेनेबल एग्रीकल्चर योजना के तहत मिट्टी के नमूने लिए गए थे, जिसके बाद जिले के 52 हजार किसानों को मृदा हेल्थ कार्ड मिले। 2017-18 में दूसरा चरण शुरू हुआ। 2018-19 में ग्रिड आधारित यानी सिचित क्षेत्र का चार हेक्टेयर व असिचित क्षेत्र की भूमि का चयन करके परीक्षण किया गया। उसी के आधार पर किसानों को मृदा स्वास्थ्य परीक्षण कार्ड बांटे गए। उपकृषि निदेशक डा. वीबी द्विवेदी ने बताया कि पहले और दूसरे चरण में 26-26 हजार किसानों को मृदा हेल्थ कार्ड मुहैया कराया गया। जिले में अब तक 52 हजार से अधिक किसानों को मृदा कार्ड वितरित किए गए हैं। कृषि विभाग ने 2019-20 में हर ब्लाक के एक गांव का चयन करके जोत आधारित परीक्षण कराया था। माडल चार गांवों के किसानों की कृषि भूमि के नमूने लिए गए। इसका लाभ बड़ी संख्या में किसानों को मिला है। मिट्टी में पोषक तत्वों की जांच के लिए उपकृषि निदेशक कार्यालय में लेवल-2 लैब स्थापित है। किसान हर साल रबी सत्र में खेत खाली होने के बाद यहां मिट्टी की जांच कराते थे। इसको लेकर विभाग भी सक्रिय रहता था, लेकिन दो साल से केंद्र सरकार ने मिट्टी की जांच पर रोक लगा दी। कोरोना संकट काल में इसके शुरू होने की कोई उम्मीद नहीं है। इसके चलते मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों का पता लगाना मुश्किल हो गया है। 12 बिदुओं पर होती है मिट्टी की जांच : कृषि प्रधान जनपद में करीब 83 हजार हेक्टेयर भूमि में खेती होती है। सिभावली ब्लाक में 17,475, धौलाना में 15,450, हापुड़ में 28,155 और गढ़मुक्तेश्वर ब्लाक में 21,950 हेक्टेयर में खेती हो रही है। कृषि विभाग की टीम गांव-गांव, खेत-खेत जाकर मिट्टी के नमूने एकत्र करती थी, जिसे लैब में लाकर पोषक तत्व जीवांश कार्बन, फास्फोरस, पोटाश, ईसी, पीएच, सल्फर, जिक, बोरान, आयरन, कापर, मैग्नीज, नाइट्रोजन आदि तत्वों की जांच की जाती है। एक नमूने पर विभाग के करीब 102 रुपये खर्च होते हैं। यह धनराशि शासन से मिलती है। क्या कहते हैं अधिकारी?

शासन के आदेश पर नेशनल मिशन फार सस्टेनेबल एग्रीकल्चर योजना के तहत परीक्षण हो रहा था। वर्ष 2018-19 और 2019-20 में करीब 52 हजार से अधिक नमूनों की जांच की गई। यह योजना दिसंबर 2019 में बंद कर दी गई। वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22 के लिए शासन से कोई बजट नहीं आया है। बजट की मांग की गई है। जल्द ही शासन से बजट मिलने की उम्मीद है।

-डा. वीबी द्विवेदी, उपकृषि निदेशक

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