वद्युत शवदाह गृह बनने से प्रदूषण पर कसेगी नकेल

संवाद सहयोगी ब्रजघाट विद्युत शवदाह गृह बनने से प्रदूषण पर नकेल कसने के साथ ही गंगा की जल

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 06:23 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 06:23 PM (IST)
वद्युत शवदाह गृह बनने से प्रदूषण पर कसेगी नकेल
वद्युत शवदाह गृह बनने से प्रदूषण पर कसेगी नकेल

संवाद सहयोगी, ब्रजघाट

विद्युत शवदाह गृह बनने से प्रदूषण पर नकेल कसने के साथ ही गंगा की जलधारा में अधजली लकड़ी, राख और मृतकों के अवशेष भी नहीं गिर पाएंगे। दाह संस्कार में लगने वाला घंटों का समय भी महज चंद मिनटों में सिमट जाएगा।

पहली के मुकाबले कोरोना की दूसरी लहर बेहद घातक साबित हुई, जिसमें मृत्युदर में काफी बढ़ोतरी हो गई थी। जिसके चलते प्रदेश के कई जनपदों में सैकड़ों शव गंगा समेत अन्य नदियों में बहते हुए मिले थे, जबकि ब्रजघाट समेत अन्य अंत्येष्टि स्थलों पर दिवंगतों का दाह संस्कार करने वालों को कई घंटों की बाट जोहनी पड़ी थी। लकड़ी की मांग बढ़ने पर विक्रेताओं द्वारा मनमाना दाम वसूलने की शिकायत भी जमकर हुई थीं। कोरोना महामारी के दौरान हुए अनुभव के आधार पर प्रदेश शासन काफी गंभीर है।

क्षेत्रीय विधायक कमल मलिक के आग्रह पर डीएम ने नगर पालिका परिषद को ब्रजघाट गंगानगरी में विद्युत शवदाह गृह बनाने का निर्देश दिया था। जिसका अनुपालन कराने के लिए भूमि को चिह्नित करने के साथ ही कार्ययोजना भी बनाई जा रही है। एक हजार वर्गमीटर भूमि में बनने वाले विद्युत शवदाह गृह के निर्माण पर करीब छह करोड़ की लागत आनी प्रस्तावित है।

विद्युत शवदाह गृह में एक साथ दो शवों का दाह संस्कार हो सकेगा। विद्युत शवदाह गृह बनने के बाद आकाश में छाने वाला धुएं का गुबार भी कम हो जाएगा। अधजली लकड़ी, चिताओं की राख समेत दिवंगतों के अवशेष भी जलधारा में गिरकर गंगा को मैली नहीं कर पाएंगे।

नगर पालिका के अध्यक्ष सोना सिंह का कहना है कि शवदाह गृह बनने के बाद भी लकडि़यों की चिता में दाह संस्कार करने की प्रक्रिया पर कोई रोक नहीं लगेगी, इसलिए दिवंगतों के स्वजन अपनी इच्छा के अनुसार दाह संस्कार कर सकेंगे। -हरे भरे पेड़ों के अवैध कटान में भी आएगी गिरावट : पर्यावरणविद विद प्रो.अब्बास अली और कृष्णकांत हूण का कहना है कि ब्रजघाट के अंत्येष्टि स्थल पर औसतन प्रतिदिन दो से तीन दर्जन दिवंगतों का दाह संस्कार होता है, परंतु कोरोना काल में यह तादाद बढ़कर सैकड़ों में पहुंच गई थी। अब विद्युत शवदाह गृह बनने से क्षेत्र में हरे भरे पेड़ों के अवैध कटान में भी काफी गिरावट आ जाएगी।

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