नियमानुसार करें तर्पण, खुश होंगे पूर्वज

-तिथि अनुसार कर्मकांड ब्राह्मण से ही कराना चाहिए तर्पण - कौआ कुत्ता गाय को भोजन कराने

By JagranEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 06:45 PM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 06:45 PM (IST)
नियमानुसार करें तर्पण, खुश होंगे पूर्वज
नियमानुसार करें तर्पण, खुश होंगे पूर्वज

-तिथि अनुसार कर्मकांड ब्राह्मण से ही कराना चाहिए तर्पण

- कौआ, कुत्ता, गाय को भोजन कराने का होता है महत्व

19 एचपीआर 11 संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर:

पितृपक्ष का पहला श्राद्ध आज यानि पूर्णिमा के साथ प्रारंभ होगा। 16 दिन के लिए हमारे पितृ घर में होंगे और तर्पण के माध्यम से तृप्त होंगे। यह अवसर अपने कुल अपनी परंपरा पूर्वजों के श्रेष्ठ कार्य को स्मरण करने और उनके पदों चिन्हों पर चलने का संकल्प लेने का है

कब -कब होता है पितृपक्ष

भाद्र पक्ष की पूर्णिमा से प्रारंभ होकर श्राद्ध पक्ष आश्विन मास की अमावस्या तक होता है। पूर्णिमा का श्राद्ध उनका होता है जिनकी मृत्यु वर्ष के किसी भी पूर्णिमा को हुई हो। वैसे ज्ञात अज्ञात सभी का श्राद्ध आश्विन अमावस्या को किया जाता है ।

-यूं होते हैं 16 दिन के श्राद्ध

पंडित विनोद शास्त्री का कहना है कि सूर्य अपनी प्रथम राशि से भ्रमण कर कन्या राशि में एक माह के लिए भ्रमण करते हैं। तभी यह 16 दिन का पितृपक्ष मनाया जाता है। इन 16 दिनों के लिए पितृ आत्मा को सूर्य से पृथ्वी पर अपने परिजनों के पास भेजते हैं। जो अपने तिथि को अपने वंशजों को घर जाते हैं। पक्ष 15 दिन का ही होता है, लेकिन जिनका निधन पूर्णिमा को हुआ है उनका तर्पण पर होना चाहिए इसलिए पूर्णिमा को भी इसमें शामिल कर लिया जाता है और श्राद्ध 16 दिन के होते हैं।

- तीन पीढि़यों तक का ही श्राद्ध

श्राद्ध केवल तीन पीढियों तक का ही होता है। धर्म शास्त्रों के मुताबिक सूर्य के कन्या राशि में आने पर परलोक से पितृ अपने स्वजनों के पास आ जाते हैं। देवतुल्य स्थिति में तीन पीढ़ी के पूर्वज गिने जाते हैं। पिता को वासु के समान, रुद्र दादा के सामान व परदादा को आदित्य के समान माने गए हैं। इसके पीछे एक कारण यह भी है कि मनुष्य की स्मरण शक्ति केवल तीन पीढ़ी तक ही सीमित रहती है।

-कौन कर सकता है तर्पण

पुत्र, पौत्र, भतीजा, भांजा कोई भी श्राद्ध कर सकता है। जिनके घर में कोई पुरुष सदस्य नहीं है, लेकिन पुत्री के कुल में है तो धेवता और दामाद भी श्राद्ध कर सकते हैं। यह भी कहा गया है कि किसी पंडित द्वारा भी श्राद्ध कराया जा सकता है।

-कुत्ता, कौआ, गाय् इनको माना गया है

इनकों यम का प्रतीक माना गया है गाय को वैतरणी पार करने वाली कहा गया है। कौआ भविष्यवक्ता और कुत्ते को अनिष्ठ का संकेतक कहा गया है। इसलिए श्राद्ध में इनको भी भोजन दिया जाता है। पंडितों की मानों तो हमको पता नहीं होता कि मृत्यु के बाद हमारे पितृ किस योनि में गए हैं। इसलिए प्रतीकात्मक रूप से गाय कुत्ते और कौए को भोजन कराया जाता है।

-पितृ अमावस्या

जिनकी मृत्यु की तिथि याद नहीं रहती है, या किसी कारण से हम श्राद्ध नहीं कर पाते हैं। ऐसे ज्ञात अज्ञात सभी लोगों का श्राद्ध पितृ अमावस्या किया जा सकता है। इस दिन श्राद्ध कर्म अवश्य करना चाहिए इसके बाद ही पितृ से विदा लेते हैं।

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