न डेंगू, न चिकनगुनिया फिर भी शरीर को तोड़ रहा बुखार
जागरण संवाददाता हापुड़ कई मरीज ऐसे भी सामने आ रहे हैं जिनमें डेंगू और चिकनगुनिया
जागरण संवाददाता, हापुड़:
कई मरीज ऐसे भी सामने आ रहे हैं जिनमें डेंगू और चिकनगुनिया जैसे लक्षण हैं, लेकिन लक्षणों के आधार पर मरीजों के खून की जांच कराई जा रही है तो उनमें न तो डेंगू की पुष्टि हो रही है और न ही चिकनगुनिया की। मरीज इसी प्रकार के लक्षणों वाले रहस्यमयी बुखार की गिरफ्त में आ रहे हैं। यह बुखार डेंगू और चिकनगुनिया की तरह शरीर को तोड़ रहा है। हालांकि प्लेटलेट्स कम जरूर मिलते हैं।
जनपद की वर्तमान स्थिति ऐसी है कि तेजी से बुखार का प्रकोप बढ़ रहा है। हर घर में बुखार से पीड़ित मरीज हैं। डेंगू के संदिग्ध मरीजों के सैंपल लेकर स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक जांच को भेज रहे हैं। अब तक 95 से अधिक मरीज डेंगू के मिल चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मानें तो सबसे अधिक मरीज वायरल बुखार से पीड़ित मिल रहे हैं। वायरल बुखार का यह हाल है कि निजी अस्पताल से लेकर सरकारी अस्पतालों में बुखार के मरीजों की भरमार है।
लेकिन, एंटीबायोटिक दवाइयां खाने के बाद तीन से पांच दिन में उतर जाने वाला वायरल बुखार कई रोगियों में एक सप्ताह तक नहीं उतर रहा है। चिकनगुनिया की तरह ही रोगी के हाथ पैरों में दर्द, बदन दर्द महसूस हो रहा है। डेंगू के रोगी की तरह ही रोगी को बुखार, जोड़ों में दर्द, चक्कर आना, थकान, भूख न लगना और उल्टियां होती है। इसकी साथ ही जीका वायरस की तरह आंखें लाल भी हो रही हैं। शुगर और हृदय रोगियों के लिए यह ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है। प्लेटलेट्स का महत्व
आमतौर पर तंदुरुस्त व्यक्ति के शरीर में डेढ़ से दो लाख प्लेटलेट्स होते हैं। प्लेटलेट्स शरीर की ब्लीडिग रोकने का काम करती हैं। यदि प्लेटलेट्स एक लाख से कम हो जाए तो उसकी वजह से डेंगू हो सकता है। हालांकि, यह जरूरी नहीं कि जिसे डेंगू हो, उसकी प्लेटलेट्स कम हो जाए या जिसकी प्लेटलेट्स कम हो, उसे डेंगू ही हो। प्लेटलेट्स यदि एक लाख से कम है तो रोगी को तत्काल चिकित्सक को दिखाना चाहिए। यदि प्लेटलेट्स कम होकर बीस हजार तक व उससे भी कम हो जाए तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत होती है। चालीस से पचास हजार प्लेटलेट्स तक ब्लीडिग नहीं होती है। बच्चों की सेहत का खासतौर से रखे खयाल
बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा कमजोर होती है और वे खुले में ज्यादा रहते हैं। यही वजह है कि उनके प्रति अधिक सचेत होने की जरूरत होती है। अभिभावक ध्यान दें कि बच्चे घर से बाहर पूरे कपड़े पहनकर निकले। घर के आसपास या खेलने वाले स्थान के आसपास पानी एकत्र न होने दें। बच्चा अधिक रो रहा हो तो या लगातार सो रहा हो और तेज बुखार हो तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। वायरस कई तरह के होते हैं। डेंगू, चिकनगुनिया और जीका का तो पता चल गया है, लेकिन कई ऐसे भी वायरस हैं, जिनके बारे में अभी तक पता नहीं चल सका है। बुखार एक सप्ताह में पूरी तरह से ठीक हो जाता है और बार-बार नहीं होता है। घबराने की जरूरत नहीं है। बुखार में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिसे ठीक होने में थोड़ा समय लगता है, जिससे कई बार पैरों में दर्द और कमजोरी महसूस होती है। -डा. प्रदीप मित्तल, वरिष्ठ फिजिशियन, स्वास्थ्य विभाग