प्लेटलेट्स की जानकारी से मिल सकती है डेंगू से राहत

जागरण संवाददाता हापुड़ जनपद में बुखार के मरीज दम तोड़ रहे हैं। लेकिन लापरवाह स्वास्थ्य

By JagranEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 08:52 PM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 08:52 PM (IST)
प्लेटलेट्स की जानकारी से मिल सकती है डेंगू से राहत
प्लेटलेट्स की जानकारी से मिल सकती है डेंगू से राहत

जागरण संवाददाता, हापुड़:

जनपद में बुखार के मरीज दम तोड़ रहे हैं। लेकिन, लापरवाह स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की नींद खुलने का नाम नहीं ले रही है। मरीजों में प्लेटलेट्स की संख्या कम बताकर डेंगू की पुष्टि की जाती है। जबकि, डेंगू की पुष्टि के लिए मरीज के खून का एलाइजा टेस्ट होना अनिवार्य है। ऐसे में जरा भी प्लेटलेट्स की जानकारी हो तो इस खतरनाक बीमारी को हौव्वा बनाने से बचा जा सकता है। इसकी जानकारी नहीं होना मरीजों की जेब के साथ-साथ जान पर भी भारी पड़ रहा है।

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क्या होती है प्लेटलेट

प्लेटलेट को हिदी में बिम्बाणु कहा जाता है। वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. प्रदीप मित्तल के अनुसार ये रक्त में उपस्थित अनियमित आकार की छोटी अनाभिकीय कोशिका होती है। इन कोशिकाओं में नाभिक नहीं होता, मात्र डीएनए ही होता है। इनका व्यास 2 से 3 माइक्रोमीटर होता है। एक प्लेटलेट कोशिका का जीवनकाल लगभग दो से तीन दिन तक होता है। मनुष्य के खून में एक लाख पचास हजार से लेकर 4 लाख तक प्लेटलेट्स होती हैं। रक्त के एक बड़े अंश में लाल रक्त कणिकाएं और प्लाविका शामिल हैं। यह थ्रोम्बो पीटा हार्मोन की वजह से विभाजित होकर खून में समाहित होते हैं। दस दिन के जीवनकाल तक संचारित होने के बाद स्वत: नष्ट हो जाते हैं।

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प्लेटलेट्स का कार्य

डा. प्रदीप मित्तल के अनुसार खून में उपस्थित प्लेटलेट्स का कार्य शरीर में उपस्थित हार्मोन और प्रोटीन उपलब्ध कराना होता है। रक्त धमनी को नुकसान होने की स्थिति में कोलेजन नामक द्रव निकलता है। जिससे मिलकर बिम्बाणु एक अस्थाई दीवार का निर्माण करते हैं और रक्त धमनी को और अधिक क्षति होने से रोकते हैं। शरीर में आवश्यकता से अधिक होना शरीर के लिए कई गंभीर खतरे उत्पन्न करता है। इससे खून का थक्का जमना शुरू हो जाता है जिससे दिल के दौरे की आशंका बढ़ जाती है। प्लेटलेट्स की संख्या में सामान्य से नीचे आने पर खून बहने की आशंका बढ़ जाती है। डेंगू जैसे विषाणु जनित रोग के बाद प्लेटलेट्स की संख्या में गिरावट आ जाती है।

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बुखार को दिया जा रहा खतरनाक रुप

बुखार को एक खतरनाक बीमारी का रूप देने में चिकित्सकों द्वारा भी कमी नहीं की जा रही है। अधिकांश अस्पतालों में बेड फुल हैं। ऐसे में बुखार या वायरल जैसी बीमारी में प्लेटलेट्स घटने पर चिकित्सकों द्वारा मरीजों को कई बार डरा दिया जाता है। जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया जाता है। कई बार सामान्य बुखार में भी प्लेटलेट्स घटती हैं। प्लेटलेट्स को बढ़ाने के नाम पर चिकित्सकों द्वारा ग्लूकोज व अन्य एंटीबायोटिक दवाइयां दी जाती हैं। ऐसे में प्लेटलेट्स कई बार तेजी से बढ़कर प्रतिरोधक क्षमता पर भी असर डाल देती हैं।

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डेंगू की पुष्टि के लिए एलाइजा जांच जरूरी

भले ही चिकित्सकों द्वारा खून की सामान्य जांच से लेकर अन्य कई जांच कराई जाती हैं। जबकि एलाइजा टेस्ट नहीं कराया जाता है। चिकित्सकों द्वारा मरीजों को भ्रमित करने के लिए केवल प्लेटलेट्स का परीक्षण कराकर कमी बताई जा रही है। जिसके बाद उन्हें डेंगू का इशारा कर दिया जाता है। जो सरासर गलत है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रेखा शर्मा का कहना है कि डेंगू के इस टेस्ट का स्वास्थ्य विभाग द्वारा निश्शुल्क परीक्षण कराया जाता है। बिना एलाइजा टेस्ट के डेंगू की पुष्टि नहीं की जाती है।

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प्लेटलेट्स की संख्या पूरी होने पर मिल रही छुट्टी

निजी अस्पतालों में चिकित्सकों द्वारा मरीजों को दी जाने वाली छुट्टी के लिए भी प्लेटलेट्स की संख्या को ही निर्धारित किया गया है। नगर के प्रमुख अस्पतालों में मरीजों के भर्ती कराने को लेकर होड़ मची है। जिसके चलते वह लैब के माध्यम से आने वाली रिपोर्ट का महत्व भर्ती से लेकर छुट्टी तक में हो रहा है। वहीं छुटटी का ये तरीका चर्चा का विषय बना हुआ है।

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