राहत इंदौरी के निधन से श्रोताओं में छाई मायूसी

जागरण संवाददाता हापुड़ मैं मर जाऊं तो मेरी एक अलग पहचान लिख देना लहू से मेरी पेशानी

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 Aug 2020 08:32 PM (IST) Updated:Wed, 12 Aug 2020 06:00 AM (IST)
राहत इंदौरी के निधन से श्रोताओं में छाई मायूसी
राहत इंदौरी के निधन से श्रोताओं में छाई मायूसी

जागरण संवाददाता, हापुड़ :

मैं मर जाऊं तो मेरी एक अलग पहचान लिख देना, लहू से मेरी पेशानी पे हिदुस्तान लिख देना। मंगलवार को मशहूर शायर राहत इंदौरी के निधन के बाद उनके द्वारा बोली गईं ये पंक्तियां सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुईं। उनके चाहने वालों में मायूसी छा गई और अलग-अलग अंदाज में उन्हें याद किया गया। दैनिक जागरण द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में भी उन्होंने अपने शेरों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया था। इसकी याद जिलेवासियों के दिलों में आज भी बसी हैं। चाहे मंच हो या न हो, उन्होंने सदैव श्रोताओं को अपनी ओर खींचने का काम किया। यही कारण है कि आज भी उनके चाहने वालों में कमी नहीं है।

भाजपा के पूर्व जिला महामंत्री विनोद गुप्ता कहते हैं कि दैनिक जागरण के माध्यम से कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसमें मशहूर शायर राहत इंदौरी भी शामिल हुए थे। दैनिक जागरण के माध्यम से ही मुझे उन्हें सुनने का सौभाग्य प्राप्त हो सका था।

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एक शायर के साथ-साथ वह अच्छे व्यक्ति भी थे। उन्होंने सदैव अपने से छोटों को भी सम्मान दिया। मेरे दिल में वह सदैव बसे रहेंगे। - डॉ. अनिल वाजपेई, कवि -- उनका शायराना अंदाज सबसे अलग था। वह श्रोताओं को अपनी ओर खींच लेते थे। भीड़ का एक-एक सदस्य उनकी ओर खिंचा चला जाता था। - गरिमा आर्य, कवियत्री

-- मैंने उन्हें कई बार सुना है। दैनिक जागरण द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन के माध्यम से भी उन्हें सुना था। उनकी पहचान एक खास छवि वाले शायर के रूप में हमेशा रहेगी। - डॉ. कमलेश रानी अग्रवाल, कवियत्री

-- करोड़ों लोग उनको सुनने के लिए बेताब रहते थे। मैं भी उनमें से ही एक हूं। उनको सुनकर मन को तसल्ली मिलती थी। वह एक अच्छे इंसान थे। - एम.एल. तेजियान, कवि

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