याद हैं वो दिन, हंसते हुए प्राणों को कर दिया था न्यौछावर

जागरण संवाददाता हापुड़ आजादी का 73 वां साल आज देश मनाएगा लेकिन इस आजादी के लिए लाखों

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 Aug 2020 04:06 PM (IST) Updated:Fri, 14 Aug 2020 04:06 PM (IST)
याद हैं वो दिन, हंसते हुए प्राणों को कर दिया था न्यौछावर
याद हैं वो दिन, हंसते हुए प्राणों को कर दिया था न्यौछावर

जागरण संवाददाता, हापुड़ :

आजादी का 73 वां साल आज देश मनाएगा, लेकिन इस आजादी के लिए लाखों लोगों ने अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया था। आजादी की पहली सुबह का एक अलग ही आनंद था। एक अलग सी चमक लोगों के चेहरे पर थी। मन में खुशियों की बरसात हो रही थी। आजाद देश की मिट्टी की खुशबू ही बदल गई थी। सांस लेते समय ऐसा लग रहा था, जैसे फूलों की खुशबू आ रही हो, लेकिन दिल में एक दर्द भी छिपा था। वो दर्द था, अपने हजारों-लाखों लोगों को खोने का। सभी ने अपने प्राणों को देश के लिए हंसते-हंसते न्यौछावर किया था। आज भी वह लम्हें और दिन यादों से निकलते नहीं है। आज की नौजवान पीढ़ी को भी उस समय के बारे में पूरी जानकारियां देनी चाहिए। आजादी किस प्रकार और कैसे मिले, इसको लेकर उन्हें जागरूक अवश्य करना चाहिए, जिससे कि युवा देश के प्रति अपने फर्ज को पूरी तरह समझ सके।

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उन दिनों सब देश की आजादी चाहते थे। सभी धर्मो के लोग एक साथ मिल-जुलकर इस लड़ाई को लड़ रहे थे। एक-दूसरे की हरसंभव मदद भी लोग किया करते थे। सभी के सिर पर बस आजादी का ही जुनून सवार रहता था। - प्रेमचंद मिश्रा, बुजुर्ग -- जिस दिन देश को आजादी मिली हर किसी के चेहरे पर एक अलग सी खुशी थी। मानो, पिजरे से पक्षी आजाद हो गया है। हमने भी वो दिन देखे हैं। जब देश की आजादी के लिए हर घर का एक-एक सदस्य लड़ रहा था। - विमल सरीन, बुजुर्ग -- आज की युवा पीढ़ी उस संघर्ष को समझ लेगी तो देश बहुत आगे चला जाएगा। देश से प्यार करना सीखना चाहिए। देश की मिट्टी की एक अलग ही खुशबू होती है। आजादी के बाद उस मिट्टी की खुशबू का आनंद हमने उठाया है। - गुलशन सचदेवा, बुजुर्ग -- आजादी के दिन चारों ओर बस नारे लग रहे थे। ऊंच, नीच, जाति, धर्म के बंधन टूट गए थे। सब एक समान होकर उस खुशी को मना रहे थे। हमें भी जाति-धर्म के बंधन को पीछे छोड़ देना चाहिए। देश की तरक्की के लिए काम करना चाहिए। -कश्मीरी लाल मुंजाल , बुजुर्ग

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