नया कालम : कानाफूसी

22 एचपीआर 20 21 - - शुभम गोयल - इतनी उत्सुकता ठीक नहीं बड़े साहबों के बीच नंबर बढ़ाने क

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 05:10 PM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 05:10 PM (IST)
नया कालम : कानाफूसी
नया कालम : कानाफूसी

22 एचपीआर 20, 21 -

- शुभम गोयल -

इतनी उत्सुकता ठीक नहीं

बड़े साहबों के बीच नंबर बढ़ाने के लिए छोटे कार्यकर्ता इतने उत्सुक नजर आए कि शारीरिक दूरी के नियम को ही भूल गए। कैबिनेट मंत्री ब्रजेश पाठक और क्षेत्रीय अध्यक्ष मोहित बेनीवाल का स्वागत करने के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा न तो हाथों को सैनिटाइज किया गया और न ही दो गज की दूरी बनाई गई। पंचायत चुनाव को लेकर हुई मंडलीय बैठक में कार्यकर्ता इतने उत्सुक थे कि वह कोविड-19 के फैलने के डर को ही भूल गए। मंच से बार-बार शारीरिक दूरी बनाने की अपील होती रही लेकिन, कार्यकर्ता मानकर बैठे थे कि इसी मंच से ही किसी भी प्रकार से चेहरा दिखाने भर से ही उनको पंचायत चुनाव का टिकट मिल जाएगा। परंतु, वह तो भूल गए कि इस बेलगाम स्वागत से उनके और दूसरों के संक्रमित होने का खतरा बढ़ गया है। इनकी नादानी तो बड़े-बड़े नेताओं का भी नुकसान करा देगी।

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चहेतों की परिक्रमा नहीं आ रही काम

साहब को लगता था कि उनके पैर अंगद की तरह हैं और उनका कोई स्थानांतरण नहीं करा सकता है। इसका बखान अक्सर नगर पालिका के परिसर में भी हुआ करता था, लेकिन किसी शख्स ने मौके पर चौका मार ही दिया। अधिशासी अधिकारी रहे जितेंद्र कुमार आनंद को मलाईदार पालिका से हटाकर सिरदर्द कहे जाने वाली खुर्जा पालिका भेज दिया गया है। जिसके बाद साहब के चहेतों के चेहरे पर भी मायूसी छा गई है। अब इन चहेतों का क्या होगा? क्योंकि अधिशासी अधिकारी का चार्ज संभाल रहे एसडीएम सत्यप्रकाश इन्हें लिफ्ट नहीं दे रहे हैं। चर्चा है कि साहब की वापसी कराने के लिए उनके चहेते नेताओं की परिक्रमा कर रहे हैं लेकिन, उनकी यह परिक्रमा काम आने वाली नहीं है। क्योंकि इनका स्थानांतरण तो प्रदेश के मुखिया के दरबार से होना बताया जाता है। इसलिए नीचे वाले नेताजी हाथ डालने को तैयार नहीं हैं।

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पुरानों के सहारे पार होगी नैय्या

सत्ता की तलाश में जुटी समाजवादी पार्टी नए-नए चेहरों को जोड़ने में जुटी है लेकिन, जिले के नेता तो कुछ अलग ही सोच से काम कर रहे हैं। इन्हें लगता है कि पुरानों के सहारे ही इनकी नैय्या पार हो सकती है। तभी तो वरिष्ठ नेता इकबाल कुरैशी को एक बार फिर शहर अध्यक्ष बनाया गया है। मानो, इकबाल ही विधानसभा क्षेत्र चुनावों में पार्टी को जीत दिला सकते हैं, लेकिन इससे युवा कार्यकर्ताओं में अत्यधिक नाराजगी की चर्चाएं हैं। पार्टी के भीतर जगह-जगह यह मुद्दा छिड़ हुआ है। इस निर्णय से पद की आस लगाए बैठे कई युवाओं को पीड़ा पहुंची है। वह दबी जुबान में इसका विरोध कर रहे हैं। कह रहे हैं हमारे अंदर ऐसी कौन सी खामी थी, जो बार-बार इन्हें ही कुर्सी पर बैठा दिया जाता है। अब कोई इन युवा नेताओं को यह समझाए कि पद पाने के लिए बड़े-बड़े खेल भी खेलने पड़ते हैं।

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कोई दिन तो छोड़ दो भाई

लगता है विधानसभा चुनाव की तैयारी में कांग्रेसी अभी से ही जुट गए हैं। तभी तो आए दिन किसी न किसी मुद्दे पर ज्ञापन देने के लिए अधिकारियों के पास पहुंच जाते हैं। पूर्व विधायक गजराज सिंह के इशारे पर सप्ताह के सातों दिन कोई न कोई कार्यकर्ता ग्रुप बनाकर अधिकारियों के पास पहुंच रहा है, जिसने अधिकारियों का सिरदर्द भी कर दिया है। आए दिन नए-नए चेहरों से अधिकारी मिल रहे हैं। पिछले दिनों एक मुद्दे पर ज्ञापन देने पहुंचे कांग्रेसी कार्यकर्ताओं से एक साहब ने हंसकर कहा। कोविड-19 का समय चल रहा है। नेतागिरी भी बच कर किया करो। जान रहेगी तो नेतागिरी भी चलती रहेगी। लेकिन, कार्यकर्ता तो चुनावी मोड में हैं। हर दिन कोई न कोई समस्या लेकर पहुंच ही जाते हैं। मानो, इन ज्ञापनों के जरिए हो रहे प्रचार-प्रसार से ही उन्हें जीत मिल जाएगी और उनके वरिष्ठ नेता भी खुश हो जाएंगे।

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