किसानों की जेब न भरने से त्योहारी सीजन का रंग फीका

संवाद सहयोगी गढ़मुक्तेश्वर किसानों की जेब न भरने से त्योहारी सीजन का रंग फीका चल रहा ह

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 06:21 PM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2020 06:21 PM (IST)
किसानों की जेब न भरने से त्योहारी सीजन का रंग फीका
किसानों की जेब न भरने से त्योहारी सीजन का रंग फीका

संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर

किसानों की जेब न भरने से त्योहारी सीजन का रंग फीका चल रहा है। पिछले साल के बकाया गन्ना मूल्य का पेमेंट न मिलने के साथ ही चीनी मिल चालू न होने से कोल्हू क्रशरों पर सस्ते रेट में गन्ना बेचना मजबूरी बनी है।

दशहरा बीतने के बाद दिवाली और फिर कार्तिक पूर्णिमा मेले का आयोजन होने से इन दिनों त्योहारी सीजन चल रहा है, जबकि सर्दी में बढ़ोतरी होने से गरम कपड़ों की डिमांड में भी काफी तेजी आनी है। मगर इस दौर में भी खाली जेब न भरने से मेहनतकश किसानों को जरूरतपूर्ति के लिए ब्याज पर कर्ज लेने को मजबूर होना पड़ रहा है। चीनी मिलों की पेराई 28 अक्तूबर को चालू होनी है, जिससे जरूरतमंद किसानों को कड़ी मशक्कत और गाढ़ी कमाई से उगाए गए गन्ने के बेहद सस्ते रेट में कोल्हू क्रशरों पर बेचने को मजबूरी होना पड़ रहा है। बिजली, डीजल, खाद, ट्रांसपोर्ट और मजदूरी में इजाफा होने के बाद भी इस बार गन्ना मूल्य में अभी तक बढ़ोतरी की कोई घोषणा नहीं हो पाई है। क्षेत्र के करीब 50 हजार किसानों का सिभावली चीनी मिल पर पिछले साल से जुड़े तीन करोड़ों से भी अधिक का पेमेंट अभी बाकी है, लेकिन उसकी अदायगी न होने के बाद भी आर्थिक तंगी में घिरे किसानों को बकाया वसूली अभियान में खूब उत्पीड़ित होना पड़ रहा है। क्योंकि बिल जमा न होने पर बिजली महकमा नलकूपों से लेकर उनके घरेलू कनेक्शन काट रहा है, जबकि तहसील का संग्रह विभाग भी कर्ज के बोझ में दबे किसानों पर दबाव बढ़ाने में जुटा हुआ है। वहीं समय पर फीस अदा न होने पर स्कूल कालेजों में पढ़ने वाले बच्चों को भी मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जा रहा है।

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क्या कहते हैं किसान प्रतिनिधि

अभी तक नया पेराई सत्र चालू नहीं हो पाया है, लेकिन अपने ही गन्ने का करोड़ों का भुगतान एक साल बाद भी न मिल पाने से किसान आर्थिक तंगी में घिरे हुए हैं, जिससे जेब खाली होने पर उनके त्योहारों का रंग भी फींका चल रहा है।

दिनेश खेड़ा, भाकियू नेता

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बकायेदारी वाले किसानों के बिजली कनेक्शन काटे जा रहे हैं और तहसील का संग्रह विभाग भी उन्हें खूब परेशान कर रहा है, लेकिन दूसरी तरफ किसानों का जनपद की दोनों चीनी मिलों पर तीन अरब रुपये से भी ज्यादा का गन्ना पेमेंट दबाकर बैठे चीनी मिल प्रबंधन के खिलाफ सरकारी स्तर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

चुन्ने प्रधान, किसान, पौपाई

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पिछले साल के बकाया गन्ना मूल्य की अदायगी न होने के साथ ही अभी तक चीनी मिल भी चालू नहीं हो पाया है, जिससे कारोबार मंदी की मार से न उभरने पर व्यापारियों को भी दिक्कत झेलनी पड़ रही हैं।

संजय चावला, व्यापारी

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क्या कहते हैं अधिकारी

सिभावली चीनी मिल पर 288 करोड़ रुपये बकाया हैं। जबकि ब्रजनाथपुर चीनी मिल पर 77 करोड़ रुपये बकाया हैं। किसानों के गन्ना भुगतान को लेकर समय-समय पर मिल प्रबंधनों को पत्र जारी किए गए हैं। शीघ्र ही मिल से किसानों का गन्ना भुगतान कराया जाएगा। जल्द ही चीनी मिलों के गन्ने की पेराई शुरू कराई जाएगी।

निधि गुप्ता, जिला गन्ना अधिकारी

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