Hapur Neem River News: नीम नदी को पुनर्जीवित करने के लिए पर्यावरण प्रेमियों ने किया श्रमदान
पर्यावरण प्रेमी श्रमदान करने के लिए ललायित दिखाई दे रहे हैं। ग्राम प्रधान रजनीश त्यागी ने बताया कि नदी को पुनर्जीवित करने के लिए पूरे गांव का सहयोग मिल रहा है। सभी अपने-अपने स्तर पर जो काम कर सकते हैं सहयोग दे रहे हैं।
हापुड़ [मनोज त्यागी]। 'जो ना दे खुशबू औरों को, वो चंदन तो नहीं होता। तपे बिन आग में सोना, कभी कुंदन नहीं होता। नहीं है जिनकी आंखों में, वतन के दर्द का पानी। जमाने में कहीं उसका, कभी वंदन नहीं होता।' वरिष्ठ कवयित्री और एलएन पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्या डॉ. आराधना वाजपेयी की ये पंक्तियां नदी की स्थिति बताने के लिए पर्याप्त हैं। हर व्यक्ति की यही इच्छा है कि वह नदी के पुनर्जीवन में अपना सहयोग दें। ऋषि दत्तात्रेय की तपोस्थली गांव दत्तियाना में नीम नदी को पुनर्जीवित करने के लिए पर्यावरण प्रेमी उमड़ रहे हैं। शुक्रवार को पर्यावरण से प्रेम करने वाले एलएन पब्लिक स्कूल के प्रबंधक और स्टाफ ने उद्गम स्थल पर नदी किनारे नीम व पीपल के पौधे लगाए और श्रमदान कर लोगों को प्रेरित किया।
बता दें कि दैनिक जागरण और नीर फाउंडेशन के आह्वान पर मंडलायुक्त सुरेंद्र सिंह ने सात जून को नीम नदी में श्रमदान कर नदी में खोदाई के काम का शुभारंभ किया था। मंडलायुक्त ने नदी में मनरेगा के तहत काम कराने के लिए कहा था। परंतु प्रशासन के ढुलमुल रवैये के कारण अभी तक काम शुरू नहीं कराया गया था। जबकि पर्यावरण प्रेमियों ने उद्गम स्थल पर अपने खर्चे से खोदाई मशीन लगाकर काम शुरू करा दिया था। इसके बाद 18 जून से प्रशासन ने मनरेगा के तहत मजदूरों और जेसीबी को लगाकर काम शुरू कराया है। जिसमें तालाब के दोनों ओर बंडिंग(मिट्टी की बाउंड्री) का कार्य किया जा रहा है। जिसके बाद उद्गम स्थल पर तालाब अपने पुराने स्वरूप की ओर बढ़ने लगे हैं।
वहीं पर्यावरण प्रेमी श्रमदान करने के लिए ललायित दिखाई दे रहे हैं। ग्राम प्रधान रजनीश त्यागी ने बताया कि नदी को पुनर्जीवित करने के लिए पूरे गांव का सहयोग मिल रहा है। सभी अपने-अपने स्तर पर जो काम कर सकते हैं सहयोग दे रहे हैं। पर्यावरण प्रेमी भी इस नेक कार्य में बढ़-चढ़कर में भाग ले रहे हैं। शुक्रवार को श्रमदान करने वालों में अनूप पांडेय, संगीता त्यागी, मयंक त्यागी, अंशु रानी, अजीत कुमार, सुची कुमार, मयंक अग्रवाल, शेखर वर्मा, राजीव द्विवेदी, संजय गोयल, गुरदीप, रेणु चौधरी, अनिल कश्यप, रोहित कुमार, लोकेश शर्मा, आयुष बाजपेई, कृष गुप्ता, गोपाल शर्मा, हर्ष आदि मौजूद रहे।
क्या कहते हैं पर्यावरण प्रेमी
जब से स्कूल में गोष्ठी हुई है तब से स्कूल की शिक्षक शिक्षिकाएं नीम नदी पर श्रमदान की सेवा करने के लिए आतुर थे। शुक्रवार को नीम नदी के उद्गम स्थल पर श्रमदान किया। इस दौरान नदी को पुनर्जीवित करने वाली कार्य योजना के बारे में जाना। मानव जाति के लिए किए जा रहे इस प्रयास के लिए मैं दैनिक जागरण और नीर फाउंडेशन के प्रयासों की सराहना करता हूं। -पंकज अग्रवाल, प्रबंधक, एलएन पब्लिक स्कूल
नीम नदी को पुनर्जीवित करने के लिए श्रमदान करके सुख की अनुभूति हो रही है। मुझे खुशी है कि मैं आने वाली पीढ़ी के लिए जल संरक्षण के इस प्रयास की भागीदार बनी हूं। यह नदी क्षेत्र की खुशहाली और समृद्धि का संदेश लेकर आए और दूसरी नदियों को जो निर्जीव पड़ी हैं उनके लिए भी संदेश देने का काम करेगी। आओ हम कल के लिए बूंद-बूंद का संरक्षण करें। -डॉ. आराधना वाजपेयी, प्रधानाचार्या, एलएन पब्लिक स्कूल
जो न दे खुशबू औरों को,
वो चंदन तो नहीं होता।
तपे बिन आग में सोना,
कभी कुंदन नहीं होता।
नहीं है जिनकी आंखों में,
वतन के दर्द का पानी।
जमाने में कहीं उसका,
कभी वंदन नहीं होता।
दैनिक जागरण में रोजाना नीम नदी के पुनरउत्थान कार्य के बारे में पढ़ता हूं। मेरे ह्दय में श्रमदान करने की भावना जागृह हुई। शुक्रवार को जब श्रमदान किया ताे दिल को बड़ा सुकून मिला। मेरी अपील है कि लोग इस ने कार्य में बढ़-चढ़कर भाग लें।- डॉ. अनिल वाजपेयी, वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि
मुझे दैनिक जागरण समाचार पत्र के माध्यम से नीम नदी के बारे में जानकारी प्राप्त हुई। स्कूल में गोष्ठी हुई तो नदी के बारे में और जानने की लालसा मन में पैदा हुई। स्कूल के स्टाफ के साथ उद्गम स्थल पर पहुंचकर पौधारोपण व श्रमदान करने का मौका मिला। -यक्षवीर तोमर, शिक्षक
स्कूल में जल संरक्षण के बारे में अनेकों बार गोष्ठियां आयोजित की गईं। जिनमें मुझे बोलने का मौका भी मिला। धरातल पर जल संरक्षण के कार्य में श्रमदान व पौधारोपण करने का मौका पहली बार मिला। एक नदी का उद्गम स्थल होना हापुड़ जिले के लिए बड़ी बात है।- मीरा राना, शिक्षिका
नदी हो या तालाब की खोदाई का काम जन सहयोग के बिना नहीं किया जा सकता है। शुक्रवार को उद्गम स्थल पर श्रमदान किया है। आगे भी समय निकालकर श्रमदान करने की इच्छा है। लोगों से अपील है कि वह लगातार श्रमदान करने के लिए उद्गम स्थल पर पहुंचें।-कविता तोमर, शिक्षिका