तंत्र के गण: कोरोना काल में निष्ठा से निभाया स्वास्थ्य कर्मी होने का कर्तव्य

मुकुल मिश्रा हापुड़ 04 अप्रैल 2020.. यह वह तारीख है जब जनपद के गांव कुराना में कोरोना स

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 08:51 PM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 08:51 PM (IST)
तंत्र के गण: कोरोना काल में निष्ठा से निभाया स्वास्थ्य कर्मी होने का कर्तव्य
तंत्र के गण: कोरोना काल में निष्ठा से निभाया स्वास्थ्य कर्मी होने का कर्तव्य

मुकुल मिश्रा, हापुड़:

04 अप्रैल 2020.. यह वह तारीख है जब जनपद के गांव कुराना में कोरोना संक्रमण का पहला केस सामने आया था। देश दुनिया का हाल देखकर जनपद के लोगों में इतनी दहशत थी कि आसपास का बड़ा इलाका कंटेनमेंट जोन में तब्दील कर दिया गया। इसके बाद एक-एक कर कई कोरोना संक्रमित मरीज सामने आने लगे। इस दौरान संक्रमण की रोकथाम के लिए सबसे पहले मोर्चा स्वास्थ्य कर्मियों ने संभाला। मोर्चा संभालते हुए ऐसे ही लोगों की सेवा करने की मन में ठान स्वास्थ्य विभाग के फार्मासिस्ट नीरज सैनी 24 घंटे ड्यूटी पर तैनात रहे। उन्होंने सभी स्वास्थ्य सेवाओं में बढ़-चढ़कर अपना सहयोग दिया।

स्वास्थ्य विभाग में फार्मासिस्ट को चिकित्सकों का एक मजबूत हाथ माना जाता है। माना भी क्यों न जाए क्योंकि वह चिकित्सकों के कंधे से कंधा मिला कर उनकी हर एक बाधा में साथ रहते हैं। जब देश कोरोना जैसी जानलेवा महामारी से जूझ रहा था तो फार्मासिस्टों ने चिकित्सकों के साथ पूरी लगन से अपना कर्तव्य निभाया। जब कोरोना अपने डरावने रूप में जनपद में सामने आया तो नीरज सैनी भी संदिग्ध मरीजों की जांच करने में जुट गए। वह चिकित्सकों की टीम के साथ 24 घंटे की ड्यूटी करते हुए बाहर से आने वाले लोगों के स्वास्थ्य की जांच कराने में मदद करते रहे।

सूचना चाहे दिन में मिलती या देर रात वह कभी भी पीछे नहीं हटे। घर परिवार को पीछे छोड़ उन्होंने कोरोना जड़ से खत्म करना ही अपना कर्तव्य मान लिया। इसके साथ-साथ वह राजकीय महिला चिकित्सालय की व्यवस्थाएं भी संभालने में जुटे रहे। वह अपने कर्तव्य के लिए इतने समर्पित हो गए कि कई माह तक न तो अपनी पत्नी से मिले और न ही अपने बच्चों से। फोन के जरिये ही वह सबका हाल चाल जान लेते। अपने कार्य के प्रति इतना समर्पित होने से उन्होंने अपने विभाग में काफी वाहवाही भी मिली।

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पांच माह तक जब खुद को रखा क्वारंटाइन

फार्मासिस्ट नीरज सैनी बताते हैं कि उनका एक बेटा और एक वर्षीय बेटी है। वह प्रतिदिन जांच टीम के साथ संदिग्ध मरीजों के संपर्क में आते थे, जिसके कारण उन्होंने करीब पांच माह तक खुद को परिवार से दूर रखकर क्वारंटाइन कर लिया। तब से वह न तो अपनी पत्नी से और न ही अपने बच्चों से मिले। वह वीडियो काल करके ही अपने बच्चों और पत्नी से बात कर लेते थे। वह बताते हैं कि स्वास्थ्य कर्मी हैं और उन्हें लोगों ने कोरोना योद्धा का दर्जा दिया हुआ है। इस बात का उन्हें गर्व है।

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