साक्षात्कार: टीकाकरण को लेकर न भ्रांतियों में आएं और न फैलाएं: डा. संजीव
वर्ष 2020 के बाद 2021 के अप्रैल और मई माह में कोरोना ने लोगों को बेहद परेशान किया। हाला
वर्ष 2020 के बाद 2021 के अप्रैल और मई माह में कोरोना ने लोगों को बेहद परेशान किया। हालांकि मौजूदा साल कोरोनारोधी टीके के साथ नई उम्मीद लेकर आया है। कोरोनारोधी टीकाकरण अभियान के कई माह पूरे हो चुके हैं। लेकिन, अभी तक लोगों के मन में टीके को लेकर अनेकों भ्रांतियां हैं जो टीकाकरण अभियान की राह में रोड़ा बन रही हैं। इन्हीं भ्रांतियों को दूर करने के लिए जागरण संवाददाता मुकुल मिश्रा ने जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. संजीव कुमार से वार्ता की। पेश है वार्ता के प्रमुख अंश..
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परिचय:
डा. संजीव कुमार मूलरूप से मेरठ के रहने वाले हैं। इनका जन्म 8 जनवरी 1962 को ट्रांसपोर्टर स्वर्गीय चौधरी दीपचंद के घर में हुआ था। इन्होंने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई डीएम कालेज मेरठ से की। वर्ष 1984 में इनका चयन सीपीएमटी के लिए हो गया। इसके बाद उन्होंने आगरा के एसएन मेडिकल कालेज से एमबीबीएस की शिक्षा ग्रहण की। वर्ष 1991-92 में इन्होंने दिल्ली के स्वामी दयानंद अस्पताल में नौकरी की। उसके बाद मेरठ में निजी तौर पर मरीजों को सेवा प्रदान करनी शुरू की। वर्ष 1999 में इनकी स्वास्थ्य विभाग में नियुक्ति हो गई। जिसके बाद मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद समेत अनेक जनपदों में विभिन्न पदों पर तैनात रहे। अब डा. संजीव कुमार जनपद में जिला प्रतिरक्षण अधिकारी के पद पर तैनात हैं।
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- कोरोनारोधी टीका शरीर में किस प्रकार कार्य करता है?
- कोरोनारोधी टीका शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। टीकाकरण होने के बाद यदि किसी व्यक्ति को कोरोना होता भी है तो उसका शरीर पर अधिक असर नहीं पड़ता है। यानि बीमारी जानलेवा साबित नहीं होती है।
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- कई बार युवाओं से सुनने को मिलता है कि कोविड उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाएगा। इस बात में कितनी सच्चाई है?
- यह बिल्कुल गलत है। यह केवल एक भ्रांति है। कोविड किसी भी आयु वर्ग के लोगों को हो सकता है। कोरोना की दूसरी लहर ने सबसे अधिक प्रभावित युवाओं को ही किया था। कोविड से बचाव के लिए टीकाकरण एकमात्र उपाय है।
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- बच्चों के कोरोना संक्रमित होने की कितनी संभावना रहती है?
- कोरोना संक्रमण की चपेट में बच्चे के आने की भी संभावनाएं पूरी रहती हैं। बच्चों के लिए अभी टीकाकरण की गाइडलाइन प्राप्त नहीं हुई हैं। जब तक बच्चों को टीका नहीं लगता है बेहतर होगा कि उनके अभिभावक टीकाकरण कराकर खुद को प्रतिरक्षित कर लें।
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- लोगों के मन में यह भी भ्रांति है कि अब कोरोना संक्रमण खत्म हो चुका है तो टीकाकरण क्यों कराएं। यह मानना कितना सही है?
- लोगों का यह मानना बिल्कुल गलत है। क्योंकि वर्ष 2020 में भी लोगों ने यह माना था कि संक्रमण अब खत्म हो चुका है। लेकिन अप्रैल माह में संक्रमण फिर से आया और वह काफी खतरनाक रूप में वापस आया। इसलिए, टीकाकरण कराने में कतई लापरवाही न बरतें।
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- टीकाकरण से पहले लोग पहले यह पूछते नजर आते हैं कि कौन सा टीका लगवाया जाए। लोगों को कौन-सा टीका लगवाना चाहिए?
- जनपद में फिलहाल कोविशील्ड और कोवैक्सीन कंपनी के टीके लगाए जा रहे हैं। वैज्ञानिकों की दृष्टि से दोनों ही टीके सुरक्षित और बेहतर हैं।
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- क्या बिना रजिस्ट्रेशन और स्लाट बुक किए केंद्रों पर टीकाकरण कराया जा सकता है?
- हां बिल्कुल लगवाया जा सकता है। इसके लिए जनपद में लगातार क्लस्टर अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के अंतर्गत लोगों के मौके पर ही रजिस्ट्रेशन कर उन्हें टीका लगाया जा रहा है।
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- टीकाकरण पूर्ण होने के कितने दिन बाद शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है?
- टीके की दोनों डोज लगने के बाद ही शरीर कोविड से लड़ने के लिए प्रतिरक्षित हो सकेगा। टीके की दूसरी डोज लगने के दो से तीन सप्ताह बाद शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।
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- क्या गर्भावस्था में टीकाकरण कराना सुरक्षित है?
- बिल्कुल, गर्भावस्था में भी महिलाएं टीकाकरण करा सकती हैं। लेकिन, टीका लगवाने से पहले गर्भवती होने की बात स्वास्थ्य कर्मी को बताना आवश्यक है। इसके अलावा धात्री महिलाएं और मासिक धर्म के दौरान भी टीका लगवाकर खुद को प्रतिरक्षित हो सकती हैं।