बिगड़े फर्नीचर कारोबारियों के हालात, खाली बैठे कारीगर

संवाद सहयोगी पिलखुवा कोरोना संक्रमण के दौर में वैसे तो हर कारोबार पर असर पड़ा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 06:51 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 06:51 PM (IST)
बिगड़े फर्नीचर कारोबारियों के हालात, खाली बैठे कारीगर
बिगड़े फर्नीचर कारोबारियों के हालात, खाली बैठे कारीगर

संवाद सहयोगी, पिलखुवा:

कोरोना संक्रमण के दौर में वैसे तो हर कारोबार पर असर पड़ा है। लेकिन, फर्नीचर का कारोबार पूरी तरह चौपट हो गया है। कारोबारी बताते हैं कि पिछले साल की तरह इस बार भी सहालग का सीजन कोरोना की भेंट चढ़ गया। जो सीजन कमाई का था, उसमें तो बाजार बंद रहा। अब बाजार खुला है, लेकिन सहालग न होने से काम-धंधा चौपट है। कोरोना की मार से बेहाल फर्नीचर कारोबार अब तक पटरी पर नहीं आ सका है। जबकि बिजली बिल, दुकान का किराया आदि का कर्ज सिर पर है। वहीं तैयार माल की बिक्री न होने के चलते कारीगर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।

पिछले साल तीन माह का लाकडाउन रहा। इस बार एक माह के कोरोना क‌र्फ्यू ने लकड़ी कारोबार को बुरी तरह प्रभावित किया है। एक तो बड़ी मुश्किल के साथ लकड़ी मिली, वह भी महंगी रही। सहालग पर कारोबार चलने की संभावना के चलते कारोबारियों ने बेड, सोफा, कुर्सी आदि तैयार करा लिए। मगर एक माह के क‌र्फ्यू ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया। तैयार माल गोदाम में पड़ा खराब हो रहा है। अनलाक में इक्का दुक्का ग्राहक पहुंच भी रहे तो महंगाई के कारण लागत निकलनी भी मुश्किल हो रही है। कारोबारियों की मांग है कि सरकार उनके बारे में कुछ सोचना चाहिए। कच्चे माल पर बढ़ती कीमतों पर कंट्रोल किया जाएं। पिछले साल की तरह इस बार भी सहालग कोरोना की भेंट चढ़ गए। एक माह बाजार बंद रहने से आमदनी तो हुई नहीं जो पूंजी थी भी वह घर पर रहने से खत्म हो गई। दुकान का किराया, बिजली का बिल आदि देना है। वह कहां से दे इसकी चिता सता रही है।

- शाकिब, दुकानदार फर्नीचर सहालग में ही फर्नीचर में बिक्री होती थी। इसके लिए होली के बाद से ही तैयारी शुरू कर दी थी। माल भी तैयार करा लिया था, लेकिन बंदी के कारण सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया। सरकार को बिजली बिल, टैक्स आदि में कुछ न कुछ रियायत देनी चाहिए।

-उमेश कुमार, दुकानदार फर्नीचर शादी, बरात, तिलक आदि कार्यक्रम अप्रैल-मई में होते हैं। इसी समय लाकडाउन लग गया। जिसमें दुकानें बंद रहीं और बिक्री नहीं हो सकी। इसीलिए कारोबारियों ने अब काम देना बंद कर दिया है। इस कारण आर्थिक हालात से जूझना पड़ रहा है।

-अर्जुन कुमार, कारीगर

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