Hapur Neem River Latest News: नदी बचाने के लिए लोग आते गए और कारवां बनता गया
Hapur Neem River Latest News अभी तक दैनिक जागरण नीम नदी के साथ लगे करीब एक दर्जन गांवों में नदी को बचाने के लिए पंचायत आयोजित कर चुका है। उम्मीद है कि लोग इसी तरह जागरण के अभियान से जुड़ेंगे।
हापुड़ [मनोज त्यागी]। 'मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया' मशहूर गीतकर और शायर मजरूह सुल्तानपुरी की शायरी की लाइनें बिलकुल स्पष्ट कह रहीं है कि दैनिक जागरण ने जो अभियान शुरू किया था, लोग आते गए और कारवां बनता गया। सभी ओर से एक ही आवाज आ रही है कि आओ चलो नीम नदी को पुनर्जीवित करें। गांव सैना में दैनिक जागरण के आह्वान पर पंचायत का आयोजन किया गया। जिसमें सभी लोगों के हाथ उठे कि वह सभी दैनिक जागरण के अभियान आओ बचाएं नीम नदी में साथ हैं। जो करना पड़ा वह करेंगे, लेकिन नीम नदी को पुनर्जीवन देंगे। ताकि आने वाली पीढ़ी को हम भी पानी बचाकर दे सकें। लोगों में नदी को बचाने के लिए जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है।
अभी तक दैनिक जागरण नीम नदी के साथ लगे करीब एक दर्जन गांवों में नदी को बचाने के लिए पंचायत आयोजित कर चुका है। 14 मार्च को इंटरनेशनल डे आफ एक्शन है। 2021 को 24वां नदियों के लिए कार्य करने का अंतरराष्ट्रीय दिवस है। इस दिवस का प्रारंभ वर्ष 1997 में ब्राजील के शहर क्युरिटीबा में आयोजित हुए एक सम्मेलन से हुआ था। इस सम्मेलन में 20 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। तब से यह दिवस प्रत्येक वर्ष पूरे विश्व में मनाया जाता है। जैसा कि इस वर्ष की थीम 'नदियों के अधिकार' रखी गई है, तो हम सभी को मिलकर नदियों का अधिकार दिलाने के लिए काम करना होगा। नीम नदी भी अपना अधिकार मांग रही है। उसका भी गला घोंट दिया गया है। यदि हम सभी मिलकर नीम नदी को उसका अधिकार दिलाएंगे, तो यह नदी के ऊपर ही नहीं हम सभी के ऊपर उपकार होगा। जैसा कि कहा जाता है कि बिन पानी सब सून। इसलिए हम सभी दैनिक जागरण के इस यज्ञ में श्रमदान करके आहूति दें। रमन -कांत त्यागी (नदी पुत्र), सदस्य उत्तर प्रदेश वन्य जीव परिषद।
जल ही जीवन है। इस बात को सभी को समझना होगा। जिनके पास पैसे हैं वह महंगे कपड़े, महंगी गाड़ी सब कुछ महंगा खरीद सकते हैं। लेकिन यदि पानी नहीं होगा तो फिर जीवन नहीं बचेगा। लगातार जल प्रदूषित हो रहा है। गांवों में तालाबों की हालत भी बहुत गंभीर है। इसके कारण भूजल प्रदूषित हो रहा है। तमाम तरह की गंभीर बीमारी हो रही हैं। लोगों को उन बीमारियों का इलाज कराने के लिए बहुत ज्यादा पैसा खर्चा करना पड़ रहा है। नीम नदी जो गांव के पास से निकली है। उसे पुनर्जीवित करने के लिए दैनिक जागरण के अभियान से जुड़ें और श्रमदान करके आने वाली पीढ़ी को पानी बचाकर देकर जाएं। -कर्मवीर सिंह, गांव रसूलपुर
नदी अब नहीं बहती। बचपन में ही इसे बहते हुए देखा था। यदि नदी पुनर्जीवित होती है, तो जाहिर है हमारे गांव का भूजल स्तर सुधरेगा। पहले दस फीट पर पानी मिल जाता था आज तीस फीट पर भी पानी नहीं मिल पाता है। स्थिति को इस तरह भी समझा जा सकता है कि जब मध्य गंग नहर में पानी आता है जो यहां से करीब पांच किमी दूर है आठ दिन में ही भूजल स्तर में सुधार हो जाता है। स्पष्ट है कि नदी में पानी आएगा, तो भूजल स्तर सुधरेगा। हम सभी इस अभियान में साथ हैं। -मनोज कुमार, गांव सैना
हमने बचपन में नदी को बहते देखा है। बरसात में बहुत ज्यादा पानी आता था। इस नदी से हमारे गांव का बड़ा तालाब भी जुड़ा है जो भूजल स्तर को सुधारने का काम करता था। बरसात के दिनों में यह हालत होती थी कि जमीन से ओगल (चोया) ऊपर आ जाता था। जब ज्यादा बारिश हो जाती थी, तो इस जंगल में पानी भर जाता था। यही वह नदी हो जो पानी को अपने में समा लेती थी और जंगल दोबारा से खेती करने लायक हो जाता था। यह नदी बहेगी तो गांव का उत्थान होगा। -सलीम, गांव सैना
अब बरसात के दिनों में भी नदी में कोई खास पानी नहीं आता है। हमने नदी की पिछले दिनों की मनरेगा के तहत सफाई कराई थी, लेकिन न तो ज्यादा बारिश हो रही है और जो होती है उसमें भी नदी नहीं बहती है। नदी की सफाई भी काफी दिन से नहीं हो रही है। आप लोगों ने जो नदी को दोबारा से शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं। हम और हमारा गांव इस अभियान में साथ रहेगा। जो भी हमसे बन सकेगा नदी को बचाने के लिए करेंगे। -अख्तर, पूर्व प्रधान गांव सैना
वर्ष 2000 के आसपास तेज बारिश हुई थी, तभी नदी को बहते हुए देखा। अब न तो इतनी बारिश हो रही है और न ही नदी बह रही है। सब सूख चुका है, तालाब भी सूखे पड़े हैं। दैनिक जागरण ने नीम नदी जो हमारे गांव के पास से होकर गुजरती है उसे पुनर्जीवन देने के लिए पहल की है। हम सभी उसकी इस पहल में साथ हैं और हर तरह का सहयोग भी हम लोग देंगे। -अभिषेक त्यागी, गांव मुरादपुर