टीकाकरण की राह में फैल रहा अफवाहों व भ्रांतियों का जाल, न दें ध्यान

-शहर की घनी आबादी से लेकर गांव तक फैली हैं भ्रांतियां -स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इनको दू

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 06:13 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 06:13 PM (IST)
टीकाकरण की राह में फैल रहा अफवाहों व भ्रांतियों का जाल, न दें ध्यान
टीकाकरण की राह में फैल रहा अफवाहों व भ्रांतियों का जाल, न दें ध्यान

मुकुल मिश्रा, हापुड़

टीकाकरण को लेकर कई लोगों में विभिन्न प्रकार की भ्रांतियां फैली हुई हैं, जिसका सीधा असर टीकाकरण अभियान पर पड़ रहा है। यही कारण है कि जब से लोगों को टीका लगना शुरू हुआ तभी से शहर की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण अभियान की रफ्तार धीमी पड़ी हुई है। सोमवार तक जनपद के 1,93,938 लोगों को पहली और 28,205 को टीके की दूसरी डोज लग चुकी है। इसमें से अधिकांश शहरी लोगों ने टीकाकरण कराया है।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी फैली भ्रांतियों को दूर करने में जुटे हुए हैं। इसके लिए प्रचार-प्रसार करने के साथ जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए योजना तैयार कर अभियान चलाने वाला है। अभियान के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर लोगों को टीका लगाने का कार्य करेगा। यह अभियान जुलाई माह में शुरू किया जाएगा। फिलहाल इसके लिए माइक्रो प्लान तैयार किया जा रहा है।

लोगों में फैली भ्रांतियों को लेकर जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. संजीव कुमार से कुछ सवाल पूछे गए, जिनका उन्होंने समाधान किया। जानिए इन अफवाहों और भ्रांतियों की हकीकत.

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भ्रांति : टीकाकरण होने के बाद लोगों को बुखार आने की परेशानी होती है।

हकीकत : हर प्रकार के टीके के बाद बुखार आना, बदन दर्द, सिर में दर्द, जी मिचलाना आदि प्रक्रिया सामान्य हैं। हर किसी को टीकाकरण के बाद बुखार आए यह भी जरूरी नहीं है। टीकाकरण लोगों को सुरक्षित रखने के लिए किया जा रहा है।

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भ्रांति: टीकाकरण के बाद लोगों को कोरोना संक्रमण हो रहा है?

हकीकत: कोरोना रोधी टीका संक्रमण से बचाव के लिए बनाया गया है। टीकाकरण के बाद संक्रमित होने वाली भ्रांतियां कतई भी सही नहीं है। टीका लगने के बाद यदि कोरोना हो भी जाता है तो उसका असर काफी कम हो जाता है। इसी लिए युद्धस्तर पर टीकाकरण कार्य किया जा रहा है।

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भ्रांति: टीका लगने से नपुंसक हो जाते है।

हकीकत: यह लोगों में केवल काल्पनिक भ्रांतियां हैं। इसका हकीकत से कोई दूर-दूर तक वास्ता नहीं है। किसी भी बीमारी से लड़ने के लिए बनाए जाने वाले टीके को पहले लैब में टेस्ट किया जाता है। इसके बाद भी लोगों को टीके लगाने शुरू किए जाते हैं। कोरोना टीकाकरण को लेकर लोगों के बीच जो अफवाह और भ्रांतियां फैली हुई हैं, वह बिलकुल गलत हैं। शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण इलाकों में यह अफवाह और भ्रांतियां अधिक हैं। जबकि इनका हकीकत से कोई वास्ता नहीं है। विभागीय स्तर पर इन भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश की जा रही है। अपील है कि 18 वर्ष या उससे ऊपर वाले हर वर्ग के लोग अपना और अपने परिवार के सदस्यों का टीकाकरण कराएं।

- डॉ. संजीव कुमार, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी

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