एक किमी दूर से पानी भरना बना मजबूरी

संवाद सूत्र पनवाड़ी (महोबा) सूखा ग्रस्त बुंदेलखंड

By JagranEdited By: Publish:Wed, 03 Jun 2020 11:00 PM (IST) Updated:Thu, 04 Jun 2020 06:05 AM (IST)
एक किमी दूर से पानी भरना बना मजबूरी
एक किमी दूर से पानी भरना बना मजबूरी

संवाद सूत्र, पनवाड़ी (महोबा) : सूखा ग्रस्त बुंदेलखंड के पठारी क्षेत्र स्थित अधिकांश गावों में गर्मी में होने वाली पेयजल की किल्लत ग्रामीणों की किस्मत बन गई है। लोग एक किमी दूर जाकर पानी भरकर लाने को मजबूर हैं। कुलपहाड़ तहसील का पनवाड़ी विकास खंड हो या जैतपुर के अधिकांश गावों में यही हाल है। जल संस्थान के पास धनाभाव के रोने के अलावा कुछ नहीं बचा है।

मोहल्ला कोटपुरा निवासी कई सालों से बूंद बूंद पेयजल के लिए मोहताज हैं। भीषण गर्मी में पीने के पानी की किल्लत से परेशान कस्बा के छह मोहल्लावासी जलसंस्थान कर्मियों को कोसने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहे हैं। बुधवार को भी मोहल्ले की महिलाओं और लोगों ने खाली बर्तन लेकर पानी की मांग करते हुए प्रदर्शन किया और विकास खंड कार्यालय में बने कंट्रोल में रूम में समस्या से निजात के लिए ज्ञापन सौंपा।

लगभग दो दशक पहले कस्बे के बुढ़ेरा रोड पर पेयजल के लिए ओवरहेड टैंक का निर्माण कराया गया था। पाइप लाइन बिछा कर आपूर्ति शुरू की गई, पर खराब गुणवत्ता के चलते यह पांच साल में ही ठप हो गई। पांच सौ की आबादी वाला मोहल्ला वहां लगे इकलौते हैंडपंप के भरोसे रह गया। इस हैंडपंप में खारा पानी आने से लोग नहाने धोने में इस पानी का उपयोग करते थे पर धीरे धीरे पाइप गलने के साथ इस पंप ने भी कीचड़ और गंदगी उगलना शुरू कर दिया। अब मजबूरन लोगों को आधा से एक किलोमीटर दूर गांव के बाहर लगे हैंडपंप से पीने का पानी भरना पड़ता है। बीते वर्ष जुलहटी से कोटपुरा के बीच आठ सौ मीटर लंबी पाइप लाइन डालने का प्रस्ताव बना ठेकेदार ने लगभग 60 मीटर लाइन ही बिछाई कि बरसात शुरू होने से काम बंद हो गया। गुरुवार को मोहाल्ले के उदयभान, हरिओम, गौरीशंकर, घनश्याम कुशवाहा सहित महिलाओं ने खाली बर्तन लेकर प्रदर्शन करते हुए ब्लाक कंट्रोल रूम को समस्या से अवगत कराया।

बीते वर्ष से जलसंस्थान की ओर से स्वीकृत पाइप लाइन का काम अधूरा छोड़ दिया गया। कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से आज तक काम पूरा नहीं हो सका और इसका खामियाजा मोहल्लेवासियों को भुगताना पड़ रहा है।

उदयभान राजपूत

मोहल्ले में एक मात्र हैंडपंप है, उससे भी जंग वाला गंदा पानी आता है। जिससे बीमारियों का खतरा बना रहता है। परिवार और बच्चों की सेहत का ध्यान रखते हुए मजबूरी में तड़के उठ कर वार्ड से बाहर से पानी लाना पड़ता है।

हरिओम कुशवाहा

वर्ष 2016 से संस्थान को कोई मेंटीनेंस का धन नहीं मिला है जल निगम या किसी अन्य संस्थान का काम होगा। बजट स्वीकृत होने के बाद ही काम हो सकता है।

वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव, अधिशासी अधिकारी जल संस्थान

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