यहां आजादी के बाद सबसे पहले फहराया गया तिरंगा

जागरण संवाददाता हमीरपुर आजादी के आंदोलन में जिले के कई वीर सपूतों के बलिदान व शौर्य क

By JagranEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 11:48 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 11:48 PM (IST)
यहां आजादी के बाद सबसे पहले फहराया गया तिरंगा
यहां आजादी के बाद सबसे पहले फहराया गया तिरंगा

जागरण संवाददाता, हमीरपुर :

आजादी के आंदोलन में जिले के कई वीर सपूतों के बलिदान व शौर्य की गौरव गाथाएं मिल जाएंगी। स्वतंत्रता दिवस समारोह की तैयारियों के बीच हम उन स्थलों की याद ताजा करेंगे जो अब भी स्वाधीनता संग्राम की मूक गवाही दे रहे हैं। पेश है आज पहली कड़ी मुख्यालय का सुभाष बाजार मैदान - बुंदेलखंड में आजादी की क्रांति बिगुल बजा तो जिले के क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी शासकों के दांत खट्टे करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। जिसके चलते क्रांतिकारियों की नजरें बचा अपने मिशन को कामयाब करने के लिए गुप्त स्थान तलाशने पड़े। जहां छिपकर रणनीति तैयार करने के साथ उस पर अमल कर आजादी के सपने को साकार किया। जिसका गवाह बना मुख्यालय स्थित सुभाष बाजार मैदान। जहां क्रांतिकारियों के साथ हजारों की संख्या में लोगों ने आजादी का जश्न मनाया।

इतिहास के जानकार जलीस खान के अनुसार आजादी मिलने के समय नगर की आबादी करीब तीन हजार थी और यह चार पांच टुकड़ों में बसा था। सन 1902 में तत्कालीन अंग्रेज कलेक्टर की बेटी के नाम पर एक मोहल्ले का नाम स्पेंसर गेट बनवाए गए। जिनके अंदर बनी बारादरी में सप्ताह में दो बार बाजार लगती थी। इसी स्थान को आजादी के बाद सुभाष बाजार का नाम दिया गया। यहां मौजूद एक गेट अभी भी इतिहास की गवाही दे रहा है। हालांकि इसके अंदर बनी बारादरी जर्जर होने के कारण वर्ष 2006 में गिरा कर मैदान बना दिया गया। बताया इसी स्थान पर आजादी का पहला जश्न मनाया गया था। बताया कि 14 अगस्त 1947 की रात में ही 15 अगस्त को होने वाले कार्यक्रम की रूपरेखा बना ली गई। सुबह होते ही आजादी की लड़ाई में शामिल रहे रणबांकुरें बद्री प्रसाद बजाज, रामानुज सिंह चंदेल, बरकत उल्ला खां, दुलीचंद्र शास्त्री, मन्नुलाल शर्मा, परमेश्वरी दयाल समेत एक दर्जन से अधिक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की अगुवाई में सबसे पहले तिरंगा इसी मैदान में फहराया गया। बाद में विजय जुलूस निकाल खुशी मनाई गई। बताया बीते कई वर्ष पूर्व तक यहां स्वतंत्रता दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे लेकिन फिलहाल अब यहां व्यापारियों द्वारा ध्वजारोहण कराया जाता है।

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