दलहन उत्पादन बढ़ाने की प्राथमिकता में अरहर बीज ही नदारद
दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जिले के कुरारा
फोटो-28 एचएएम 01
-मटर, चना व मसूर कृषि विज्ञान केंद्र की प्राथमिकता में शामिल
-सबसे अधिक खपत वाली अरहर की उपेक्षा से किसान आहत
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अभय प्रताप सिंह, हमीरपुर
बुंदेलखंड के किसानों की आय दोगुणा करने के साथ दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए हमीरपुर के कुरारा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में स्थापित सीड हब में अरहर बीज के उत्पादन को शामिल नहीं किया गया है, जबकि इसकी खपत सबसे अधिक है। अरहर की बजाय मटर, चना व मसूर को प्राथमिकता दी गई है।
केंद्र सरकार ने किसानों को दलहन के उन्नतशील बीज सस्ते दामों पर उपलब्ध कराने के लिए देश भर में सौ से अधिक सीड हब स्थापित कराए हैं। इसी कड़ी में बुंदेलखंड के बांदा, हमीरपुर, ललितपुर, जालौन व महोबा में साढ़े सात करोड़ से सीड हब बनवाए गए हैं। कुरारा स्थित केंद्र में पहले वर्ष 418 क्विंटल बीज का उत्पादन किया गया, जिसमें मटर, मसूर, चना, उर्द व मूंग के बीज शामिल हैं।
एक नजर में अरहर उत्पादन
जिले में अरहर का उत्पादन घटता-बढ़ता रहा है। वर्ष 2018-19 में 21,305 हेक्टेयर में 21,582 टन अरहर का उत्पादन हुआ। इस साल भी 26,512 हेक्टेयर में फसल तैयार हो रही है। अनुमान है कि 27254 टन अरहर का उत्पादन होगा।
खुद को ठगा महसूस कर रहे किसान
कुरारा क्षेत्र के बरदानी व सुमेरपुर के ललपुरा गांव के शिववीर सिंह का कहना है कि अरहर के उन्नतशील बीजों का प्रयोग किया जाए तो उत्पादन बढ़ सकता है। गैर जनपदों से उन्नतशील बीज लेकर बोआई करना काफी महंगा पड़ता है।
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जिले में अरहर बीज उत्पादन का प्रयास किया जा रहा है। बेमौसम हुई बारिश के चलते उन्नतशील प्रजातियां नष्ट हो गई थीं। खरीफ सीजन में इस पर ध्यान दिया जाएगा। किसानों व कृषि विभाग की मांग पर मटर, चना व मसूर को प्राथमिकता दी गई है।
-डॉ. मुस्तफा, कृषि विज्ञान केंद्र प्रभारी