हमीरपुर में किसानों ने कैद किए अन्ना मवेशी, तड़प रहे भूखे-प्यासे

की परेशानी भी बढ़ गइ्र। प्रधान व अफसरों की अनदेखी के चलते पुरानी गोशाला से मवेशी अन्ना छोड़ दिए गए।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 01 Dec 2020 07:56 PM (IST) Updated:Tue, 01 Dec 2020 07:56 PM (IST)
हमीरपुर में किसानों ने कैद किए अन्ना मवेशी, तड़प रहे भूखे-प्यासे
हमीरपुर में किसानों ने कैद किए अन्ना मवेशी, तड़प रहे भूखे-प्यासे

संवाद सहयोगी, मौदहा : जैसे ही रबी की फसल आई तो किसानों की परेशानी भी बढ़ गई। प्रधान व अफसरों की अनदेखी के चलते पुरानी गोशाला से मवेशी अन्ना छोड़ दिए गए। इस ओर जब किसी अफसर ने ध्यान नहीं दिया तो आक्रोशित किसानों ने लावारिस पड़ी वृहद गोशाला में अन्ना मवेशियों को बंद कर दिया। अब यहां बंद अन्ना मवेशी धूल खाने को मजबूर हैं। बता दें कि इस नई गोशाला को अभी तक किसी भी विभाग के जिम्मे नहीं सौंपा गया है। इसकी लागत 1.20 करोड़ लागत आई थी।

मौदहा विकासखंड के ग्राम पंचायत परछा में मनरेगा की ओर से पुरानी गोशाला का निर्माण 7.53 लाख रुपये की लागत से कराया गया था। इसमें काफी तादाद में मवेशी बंद किए गए थे। लेकिन अब उन्हें चारा-पानी का इंतजाम न करना पड़े, इसलिए फसल को खाने के लिए छोड़ दिया जाता है। वृहद गोशाला का औचित्य नहीं

जब अन्ना मवेशियों को वृहद गोशाला में आश्रय नहीं देना था तो इतनी बड़ी लागत लगाकर गोआश्रय केंद्र बनवाने की क्या जरूरत थी। जहां पर अभी तक न तो भूसे का गोदाम भरा गया और ना ही किसी भी कर्मचारियों की तैनाती की गई। जिस पर किसान रातभर अपने अपने खेतों की रखवाली कर फसल को बचाने के लिए रतजगा करता है। किसानों को भय रहता है कि कहीं अन्ना मवेशी फसल न बर्बाद कर दें। किसान का दर्द

किसान रामसेवक ने बताया कि रात-रातभर जागना हमारी मजबूरी होती है। यदि हम किसान ऐसा न करें तो अन्ना मवेशी फसल चट कर जाएंगे और किसान भूखा मर जाएगा। इसलिए सर्द रातें हमें खुले आसमान में खेतों में ही काटनी पड़ती हैं। अफसर बोले, लोकल राजनीति है

एसडीएम अजीत परेस ने बताया कि यह सब गांव की लोकल राजनीति का हिस्सा है। इसका शिकार किसान व अन्य गोवंश हो रहे हैं। रही बात वृहद गोशाला हैंडोवर होने की तो जिलाधिकारी के आदेश पर जल्द उसका निरीक्षण कर संबंधितों को हैंडओवर की जाएगी। साथ ही सारी व्यवस्थाएं चुस्त-दुरुस्त की जाएंगी।

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