फसल अवशेष प्रबंधन में वेस्ट डी कंपोजर के महत्व बताए
संस भरुआ सुमेरपुर राजकीय कृषि बीज भंडार में दो दिवसीय एकीकृत धान्य (चावल) विकास कार्यक्र
संस, भरुआ सुमेरपुर : राजकीय कृषि बीज भंडार में दो दिवसीय एकीकृत धान्य (चावल) विकास कार्यक्रम पर चल रहे प्रशिक्षण का समापन हुआ। प्रशिक्षण के दूसरे दिन प्रशिक्षक आरएस साहू ने किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन में वेस्ट डी कंपोजर के महत्व व प्रयोग पर प्रशिक्षित किया। बताया कि 200 लीटर पानी को प्लास्टिक के ड्रम में लेकर उसमें दो किलो गुड़ मिलाकर उसमें वेस्ट डी कंपोजर की 30 ग्राम की डिबिया को बिना हाथ से छुए गुड़ मिले पानी में घोल देना है। एक सप्ताह बाद तरल जैविक खाद तैयार हो जाएगी। इसको फसल अवशेष गोबर आदि में 60 फीसद नमी करके सप्ताह में दो बार अच्छी तरह से छिड़काव कर देते हैं। जिससे सभी फसल अवशेष गोबर खाद में परिवर्तित हो जाते हैं। इसको 200 लीटर प्रति एकड़ खेत में देने से खेत उपजाऊ होता है। मिट्टी की भौतिक दशा में सुधार होता है। कीट रोग व्याधि भी समाप्त होते हैं। इसके अलावा बीजामृत एवं जीवामृत, अमृतधनी बनाने एवं प्रयोग करने का प्रशिक्षण दिया गया।