डेढ़ माह बाद भी प्रशासन ने अदालत को नहीं दी प्रोबेशन विभाग की रिपोर्ट

जागरण संवाददाता हमीरपुर नाबालिग की सुपुर्दगी दिलाने में प्रोबेशन विभाग द्वारा की गई लापरवा

By JagranEdited By: Publish:Tue, 23 Feb 2021 05:52 PM (IST) Updated:Tue, 23 Feb 2021 05:52 PM (IST)
डेढ़ माह बाद भी प्रशासन ने अदालत  
को नहीं दी प्रोबेशन विभाग की रिपोर्ट
डेढ़ माह बाद भी प्रशासन ने अदालत को नहीं दी प्रोबेशन विभाग की रिपोर्ट

जागरण संवाददाता, हमीरपुर : नाबालिग की सुपुर्दगी दिलाने में प्रोबेशन विभाग द्वारा की गई लापरवाही के मामले में अदालत के दिए गए जांच के आदेश के डेढ़ माह बीतने के बाद भी प्रशासनिक अधिकारी जांच पूरी नहीं कर सके, जिससे अदालत के कार्यो में बाधा आ रही है। हालांकि जिम्मेदार एसडीएम अतिरिक्त जांच रिपोर्ट जल्द भेजने का दावा कर रहे हैं।

शासन की ओर से चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की ठीक ढंग से निगरानी न होने के चलते जिम्मेदार मनमानी में जुटे हैं, जिससे शासन की मंशा पूरी नहीं हो पा रही। वहीं ऐसे मामलों की जांच में प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से ऐसे लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं हो पा रही। ऐसा ही एक मामला बीते पांच जनवरी को सामने आया था, जिसमें एक नाबालिग की सुपुर्दगी प्रोबेशन विभाग की बाल संरक्षण समिति को किया जाना था। जिस पर मामले का प्रार्थना पत्र बाल संरक्षण समिति अध्यक्ष उमाशंकर श्रीवास के कार्यालय में प्रस्तुत किया गया, लेकिन अध्यक्ष बिना किसी सूचना के गैरहाजिर मिले। वहीं मामले में प्रोबेशन अधिकारी से बात करने पर उनके की ओर से भी गैर जिम्मेदाराना जवाब दिया गया। जिस पर न्यायालय ने अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए नाबालिग की सुपुर्दगी करानी पड़ी, जिस पर कर्तव्यों में लापरवाही करने को गंभीरता से लेते हुए एसीजेएम की ओर से जिलाधिकारी को मामले की जांच कर उचित कार्रवाई के आदेश पारित करने के निर्देश दिए।

वहीं जिलाधिकारी द्वारा मामले की जांच अतिरिक्त एसडीएम संजीव शाक्य को सौंपी गई। जिसके बाद लंबा समय बीतने के बाद भी संबंधित अधिकारी द्वारा जांच रिपोर्ट पूरी नहीं की गई। जिससे अदालत में रिपोर्ट न पहुंचने से न्यायिक कार्य में बाधा हो रही है। वहीं मामले में जांच अधिकारी एसडीएम अतिरिक्त संजीव शाक्य के अनुसार रिपोर्ट तैयार है लेकिन समयाभाव के चलते इसे जिलाधिकारी को नहीं सौंपा जा सका। एक दो दिन में जांच रिपोर्ट डीएम को दे दी जाएगी। बताया कि जांच में बाल संरक्षण समिति अध्यक्ष को दोषी पाया गया है। वहीं प्रोबेशन अधिकारी के संबंध में कोई प्रतिक्रिया देने से इंकार किया। फाइल दबाने का आरोप

मामले में लोगों ने जांच अधिकारी के खिलाफ भी जांच कराने की मांग की है। लोगों का कहना है कि जांच अधिकारी जानबूझकर ऐसे मामलों की रिपोर्ट नहीं देते ताकि वह आरोपितों को बचा सके। हालांकि अदालत से संबंधित मामला होने पर लोग तरह तरह की चर्चा कर सहे है।

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