वेब सिरीज के प्रभाव से दिग्भ्रमित हो रही युवा पीढ़ी
धड़ल्ले से प्रस्तुत किए जा रहे अश्लीलता भरे कार्यक्रम
संतकबीर नगर: फिल्मों को समाज का आइना माना जाता है। अभिनेताओं के वस्त्र व शारीरिक हाव-भाव को लोग तेजी से अपनाते हैं। अब तो मोबाइल पर ही फिल्में देखने के साथ ही हर सुविधाएं उपलब्ध हैं। ऐसे में संचालित वेब सिरीज के प्रति युवा पीढ़ी का आकर्षण बढ़ा है। इसमें सामाजिक व नैतिक मूल्यों को दरकिनार करके कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाने की शिकायतें उठ रही हैं। समाज के विभिन्न कारोबार से जुड़े लोगों ने जागरण के साथ अपने विचार साझा किए। सभी ने सरकार से रोकथाम का कठोर प्रावधान करने की मांग की। युवाओं के मन पर पड़ रहा बुरा प्रभाव
कृषक औद्योगिक पाल इंटर कालेज हरिहरपुर के शिक्षक संजय शुक्ल कहते हैं कि वर्तमान में इंटरनेट पर अनेक वेब सिरीज उपलब्ध हैं। इसमें अपराधों के साथ ही अश्लीलता भरे कार्यक्रम प्रस्तुत किए जा रहे हैं। यह भारतीय सभ्यता और संस्कृति के लिए खतरा है। उन्होंने सरकार से इस प्रकार के कार्यक्रमों को रोकने की मांग की। किशोर भी हो रहे प्रभावित
शिक्षक शशि प्रकाश तिवारी कहते हैं कि किशोरावस्था अनेक शारीरिक और मानसिक परिवर्तन का समय होता है। मोबाइल सबके हाथ है, अपरिपक्व अवस्था में रिश्तों को कलंकित करने वाले चलचित्र देखकर मन भ्रमित होता है। उन्होंने सरकार से वेब सिरीज पर प्रसारित कार्यक्रमों की मानीटरिग के लिए टीम गठित करने की मांग की। सामाजिक तानाबाना पर बुरा असर
गोला बाजार के रजत गुप्ता कहते हैं कि वेब सिरीज से सामाजिक तानाबाना प्रभावित हो रहा है। परिवार में रिश्ते भी प्रभावित हो रहे हैं। भारतीय सभ्यता और संस्कृति दुनिया में सबसे उम्दा है। इसके संरक्षण की आवश्यकता है। इसी कड़ी में वेब सिरीज पर रोकथाम जरूरी है। यदि इस पर लगाम नहीं लगी तो स्थिति बिगड़ जाएगी। हर फिल्म सबके लिए नहीं
वैभव छापड़िया उर्फ पिटू कहते हैं कि इंटरनेट मीडिया पर संचालित अधिकांश वेब सिरीज समाज में गंदगी फैला रहे हैं। देश की संस्कृति को गलत दिशा में मोड़ने का कुचक्र किया जा रहा है। फिल्मों की तरह ही आनलाइन कार्यक्रमों की देखरेख के लिए भी सेंसर बोर्ड गठित होना चाहिए।