वायरस को मारेंगी, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाएंगी धान व गेहूं की यह प्रजात‍ियां

कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार ऐसी प्रजाति के धान गेहूं व सब्जी की खेती के लिए क‍िसानों को प्रेरित करेगा जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़े। इससे शरीर में क‍िसी भी प्रकार के वायरस का प्रभाव खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगा।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 29 Aug 2021 08:52 PM (IST) Updated:Mon, 30 Aug 2021 01:26 PM (IST)
वायरस को मारेंगी, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाएंगी धान व गेहूं की यह प्रजात‍ियां
धान व गेहूं की कई प्रजात‍ियां लोगों में रोग प्रत‍िरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर हैं। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जितेंद्र पाण्डेय। पूर्वांचल के किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार (केवीके) ऐसी प्रजाति के धान, गेहूं व सब्जी की खेती के लिए प्रेरित करेगा, जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़े। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी तो व्यक्ति किसी भी प्रकार बीमारियों के वायरस से घबराने की जरूरत नहीं होगी। वायरस का प्रभाव खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगा।

पूर्वांचल में किसानों को संगठित खेती के लिए प्रेरित करेगा केवीके बेलीपार

पूर्वांचल के किसान सामान्य रूप से अपने खेतों में ऐसा धान, गेहूं व सब्जियां उगाता है, जिसका उत्पादन बेहतर हो। ऐसी पोषकतत्व युक्त (फोर्टिफाइड) धान, गेहूं व सब्जियों की तमाम ऐसी प्रजातियां हैं, जिनमें पोषक तत्वों की अधिकता है और उसका उत्पादन भी अन्य फसलों की तुलना में बेहतर है। इनमें से कुछ प्रजातियां केवीके बेलीपार में बोई गई हैं। ताकि किसान वहां जाकर उन प्रजातियों को देख सके और उसके उत्पादन की जानकारी ले सके। खेतों में इन प्रजातियों का धान, गेहूं व सब्जी उगाकर किसान न सिर्फ अपने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करेगा। बल्कि जो भी व्यक्ति इस अनाज को खाएगा, उसे लाभ मिलेगा।

पोषक तत्व युक्त धान की प्रजातियां

डीडीआर-45 : यह प्रजाति 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार देती है। इसमें जिंक की मात्रा सामान्य धान की तुलना में दूनी होती है।

डीडीआर धान 49 : इस प्रजाति से भी प्रति हेक्टेयर करीब 50 क्विंटल धान का उत्पादन होता है। इसमें जिंक की मात्रा सामान्य धान की तुलना में करीब दो गुना अधिक होता है।

जिंको धान एमएस- इसकी उत्पादन क्षमता 58.5 क्विंटल प्रति हेक्टयेयर है। इसमें भी सामान्य धान की तुलना में करीब दो गुना जिंक की मात्रा होती है।

गेहूं की पोषकतत्व युक्त प्रजातियां

डब्लू बी 02- इसकी उत्पादन क्षमता 51.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसमें जिंक व आयरन की मात्रा अधिक होती है।

एच पीवी डब्लू 01- इसका उत्पादन 51.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसमें जिंक व आयरन की मात्रा अधिक होती है।

पूषा तेजस(एच 18759) : इसकी उत्पादन क्षमता 57 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसमें प्रोटीन 12 फीसद होती है। आयरन व जिंक की मात्रा भी खूब होती है।

इसके अलावा गेहूं में पीबीडब्लू 752, पीबीडब्लू 757, डीबीडब्लू 187, डीबीडब्लू 173, एचडी 3249, एचडी 3298, डीबीडब्लू 303, डीडीडब्लू 48 में भी आयरन, जिंक, प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है।

पोषक तत्व युक्त मसूर

पूसा अगेती- 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन, आयरन की मात्रा अधिक होती है।

सरसो :

पूसा -30, पूसा डबल जीरो सरसो-31, पूसा सरसो 32, पूसा बीटा केसरी-1। इनमें इरुसिक एसिड, ग्लूको सिनोलेट्स की मात्रा अधिक होती है।

गोभी :

पूसा बीटा केसरी-1- इसमें प्रोविटामिन-ए की मात्रा अधिक होती है। जबकि सामान्य गोभी में यह नहीं पाया जाता है।

इसकी खेती के लिए केंद्र सरकार भी जोर दे रही है। केवीके पर इसके लिए लगातार प्रशिक्षण कैंप चलाया जाएगा। ताकि किसान न सिर्फ शिविर में प्रशिक्षण लें, बल्कि वह भौतिक रूप से फसलों का सत्यापन करे लें। इसके लिए पूर्वांचल के किसानों को प्रेरित किया जाएगा। इस क्षेत्र को पोषक तत्वयुक्त खेती का केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। ताकि किसान व अनाज को खाने वाले सेहतमंद रहें। - डा. एसके तोमर, अध्यक्ष- केवीके बेलीपार।

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