Pulwama Terror Attack : एक साल की बेटी गोद में लिए बिलखती रही शहीद विजय की पत्‍नी

जिस लक्ष्मी ने अपने विजय को देश की शरहद की सुरक्षा के लिए हंसते हुए तिलक लगाकर विदा किया, उसके शहीद होने की सूचना जब उसे मिली तो मानो उसके पैर तले जमीन ही खिसक गई।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 15 Feb 2019 03:13 PM (IST) Updated:Sun, 17 Feb 2019 09:43 AM (IST)
Pulwama Terror Attack : एक साल की बेटी गोद में लिए बिलखती रही शहीद विजय की पत्‍नी
Pulwama Terror Attack : एक साल की बेटी गोद में लिए बिलखती रही शहीद विजय की पत्‍नी
गोरखपुर/देवरिया, संजय यादव। चार दिन पहले जिस लक्ष्मी ने अपने विजय को देश की शरहद की सुरक्षा के लिए हंसते हुए तिलक लगाकर विदा किया, उसके शहीद होने की सूचना जब उसे मिली तो मानो उसके पैर तले जमीन ही खिसक गई और वह दहाड़ मारकर रोने लगी। उसके क्या पता था कि जो पति मेरा माथा चूम कर देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने के लिए जा रहा है, वह फिर दोबारा लौट कर नहीं आएगा। यही सोच कर मानों उसके आंखों के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। सुबह जब वह ससुराल अपने एक साल की बेटी को गोद में लेकर पहुंची और घर का दरवाजा देखा तो बेहोश हो गई। साथ चल रही महिला ने पानी का छींटा मारकर उसे होश में लाया और घर के अांगन तक पहुंचाया। विजय की लक्ष्मी को रोता देख सभी का कलेजा फट गया।

छपिया जयदेव निवासी रामायण कुशवाहा के तीन पुत्र थे, जिसमें सबसे बड़े अशोक कुशवाहा, दूसरे नंबर पर कृष्ण कुमार व सबसे छोटा विजय कुमार था। अशोक कुमार गुजरात में परिवार के साथ रहकर एक निजी कंपनी में नौकरी करता है, जबकि कृष्ण कुमार की तबीयत खराब होने के चलते कुछ साल पहले इस दुनिया को अलविदा कह दिया। देश की रक्षा का संकल्प लेते हुए 2008 में विजय कुमार सीआरपीएफ में भर्ती हुआ और 2014 में देसही देवरिया निवासी विजय लक्ष्मी के साथ सात जन्मों तक साथ निभाने का वादा करते हुए शादी की। एक साल पहले विजय लक्ष्मी को जुड़वा बेटियां हुई। उसमें से एक बेटी इस दुनिया को उस समय ही अलविदा कह दिया। दूसरी बेटी आराध्या के साथ विजय लक्ष्मी देवरिया में रहती थी। नौ फरवरी को बेटी व पत्नी से मिलकर विजय शरहद की सुरक्षा करने के लिए निकले। पत्नी से जल्द ही घर वापस लौटने की बात कही।

जब शहीद होने की सूचना घर आई तो परिवार में कोहराम मच गया। पत्नी विजय लक्ष्मी एक साल की बेटी आराध्या को गोद में लेकर रो रही थी। उसे रोता देख वहां मौजूद लोगों की आंखें भर आई।
महिलाएं बोली, हमें भेजे बार्डर पर, लेंगे शहादत का बदला
गांव की महिलाओं ने भी पाकिस्तान मुर्दाबाद का नारा लगाया और प्रदर्शन किया। महिलाओं का कहना था कि आए दिन सेना के जवान शहीद हो रहे हैं, सरकार को अब सर्जिकल स्ट्राइक बड़े पैमाने पर करने की जरुरत है। अगर सरकार हम लोगों को भी बार्डर पर भेजे तो हम लोगों भी लड़ने को तैयार हैं और अपने लाल के शहादत का बदला लेंगी।

गांव की सुनीता का कहना था कि विजय कुमार मौर्या बहुत ही अच्छा इंसान थे। जब भी गांव आते हर लोगों के साथ बातचीत करते और सभी को खुशहाल रहने की बात कहते। सरकार ऐसे जवान के शहादत का हर हाल में बदला ले। इसी तरह की बात गांव की शकुन्तला देवी, मनोरमा देवी समेत दर्जन भर महिलाओं ने भी कही।

रामायण भी देश की रक्षा के लिए सेना में होना चाहते थे भर्ती
देवरिया के शहीद विजय कुमार के पिता रामायण का कहना है कि उनकी भी इच्छा सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा करने की रही। वह भी भर्ती होने का प्रयास किए, लेकिन सफल नहीं हो सके। जब उनके बेटे विजय कुमार ने सेना में भर्ती होने की बात कही तो वह उसका साथ दिए और वह सेना में भर्ती हो गया। उनका कहना है कि बेटा भर्ती हुआ तो उन्हें गर्व हुआ कि जो कार्य वह नहीं कर पाए, उनका बेटा करेगा और समाज तथा देश की रक्षा करेगा। अगर सरकार उन्हें इजाजत दे तो वह भी जाएंगे।

छपिया गांव में नहीं जले चूल्हे
विजय कुमार का गांव के हर व्यक्ति से अच्छा व्यवहार था। जब विजय के शहीद होने की सूचना गांव आई तो गांव के अधिकांश घरों से चीत्कार की आवाज आने लगी। गांव के लाल के शहीद होने के गम में गांव के अधिकांश घरों में चूल्हे तक नहीं जले। जबकि चौराहे पर स्थित चाय की दुकान भी बंद रही।
विद्यालय में शोक सभा का आयोजन
छपिया जयदेव गांव में प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय है। विजय के शहीद होने की सूचना पर अधिकांश बच्चे विद्यालय ही नहीं पहुंचे, जो बच्चे पहुंचे उनकी भी आंखें नम दिखी। विद्यालय में शोक सभा का आयोजन हुआ और बच्चों को छुट्टी दे दी गई।
हर दल के नेता बोले, सरकार ले शहादत का बदला

राजनीति दलों के नेताओं की एक स्वर में मांग है कि सरकार जवानों के शहादत का बदला लें। ताकि आतंकवादी इस तरह का कायराना हरकत न कर सके और जवान शहीद न हो सके। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा सुबह ही शहीद के दरवाजे पर पहुंच गए और पत्नी तथा पिता से मुलाकात की। इस दौरान परिजनों को ढाढस बढ़ाया। इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार को इसके लिए अब इंतजार करने की जरुरत नहीं। इसका बदला लेना चाहिए ताकि इसकी पुर्नावृत्ति न हो सके। भाजपा के विधायक प्रतिनिधि डा. संजीव शुक्ल ने कहा कि सरकार शहादत का बदला लेगी। कांग्रेस नेता धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि यह घटना काफी दुखद है। केंद्र सरकार को अब इसके लिए रणनीति बनाकर सेना के जवान को कार्रवाई करने का निर्देश देना चाहिए। नगर पंचायत अध्यक्ष बलराम जायसवाल ने कहा कि अब समय आ गया है, इतना बढ़ा हमला पहली बार सेना पर हुआ है। सरकार को इसके लिए ठोस कदम उठाना चाहिए। यही बात अन्य दल के नेता भी कह रहे हैं।

पहले भी हो चुका था विजय पर हमला
2008 में सेना में भर्ती हुए विजय कुमार मौर्या शुरू से ही होनहार रहे हैं। बताया जा रहा है कि वह काफी तेज तर्रार व मिलनसार भी थे। दो बार पहले भी उनके ऊपर ग्रेनेंड से हमला हुआ था, जिसमें वह बाल-बाल बच गए थे।
तो दो दिन में होना था स्थानान्तरण
जम्मू-श्रीनगर में उनकी तैनाती का समय अब समाप्त हो चुका था। शहीद के रिश्तेदार ऋषिकेश कुशवाहा का कहना है कि 15 फरवरी तक उनका स्थानान्तरण वहां से होना था। वह जाते समय हमसे कह गए थे कि अब उधर से स्थानान्तरण हो जाएगा और जल्द ही हम वहां से इधर चले आएंगे। लेकिन स्थानान्तरण होने के पहले इस हमले में इस दुनिया को वह हमेशा के लिए अलविदा कह दिए।
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