भगवान के 'दर' पर ममता हुई 'बे-दर'

बुधवार की रात भगवान की दर पर ममता बे-दर हुई तो इस मानवीय दृश्य ने लोगों की आंखे नम कर दीं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 26 Sep 2020 06:24 AM (IST) Updated:Sat, 26 Sep 2020 06:24 AM (IST)
भगवान के 'दर' पर ममता हुई 'बे-दर'
भगवान के 'दर' पर ममता हुई 'बे-दर'

संत कबीरनगर, जेएनएन : क्षेत्र के ऐतिहासिक तामेश्वरनाथ धाम में बीते बुधवार की रात भगवान की 'दर' पर ममता 'बे-दर' हुई तो इस मानवीय दृश्य ने लोगों की आंखे नम कर दीं। एक मां नौ माह के बच्चे को लावारिस हाल में छोड़ चली गई। रात के सन्नाटे में इधर से गुजर रहे एक ग्रामीण ने रोने की आवाज सुनी तो अपनी गोद का सहारा दिया। पैंट-शर्ट, जूता मोजे पहने बच्चे के बगल में दूध का बोतल भी मिला। मां की ममता व दुलार से महरूम मासूम की आंखें यह सवाल कर रही थीं कि मां.मेरा कसूर क्या था? ग्रामीणों के बीच से सवाल उठ रहा था कि बच्चे को फेंकते समय मां का कलेजा क्यों नहीं फटा?

रात के करीब नौ बजे घर जा रहे तामेश्वरनाथ निवासी हेमंत चौरसिया को हनुमान मंदिर से बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। मौके पर पहुंचे, शोर मचाया तो ग्रामीण भी जुट गए। बच्चे को लेकर घर आ गए। गुरुवार की सुबह उनके घर अनेक लोग पहुंचे। कोई बच्चे को दुआएं दे रहा था तो कोई मां को कोस रहा था। तामेश्वरनाथ के राम सजीवन अग्रहरि, श्रवण कुमार, मरवटिया के अर्जुन राय, शोभा, लालती देवी, गोनौरा के राजेश, गोरखपुर के परमात्मा प्रसाद, सुमित्रा देवी समेत कई लोग बच्चे को गोद लेना चाहते हैं। बच्चा प्रशासन की देखरेख में बस्ती जनपद के चाइल्ड लाइन में है।

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सीसीटीवी में कैद है घटना

मंदिर के समीप लगे सीसीटीवी में पूरी घटना कैद है। रात आठ बजकर पांच मिनट पर बारिश के बीच एक महिला रेनकोट पहने बच्चे को गोद में लिए मंदिर परिसर में प्रवेश करती है। आठ बजकर 21 मिनट पर बाहर निकलती है। एक युवक के साथ नंबर रहित बुलेट मोटरसाइकिल पर बैठकर जाती दिखती है।

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यह है गोद लेने का नियम

-बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष एवं अधिवक्ता अमित उपाध्याय बताते हैं कि अन्य प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद बच्चे को गोद लेने के लिए कानूनी रूप से तब स्वतंत्र माना जाता है, जब पुलिस रिपोर्ट दे देती है कि माता-पिता का पता नहीं लगाया जा सका है। दत्तक माता-पिता को शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक रूप से स्थिर व स्वस्थ होना चाहिए। आर्थिक रूप से बच्चे को संभालने में सक्षम हों। गंभीर या जीवन-घातक रोग न हो।

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