18 सौ रुपये में बिचौलियों को बेच रहे गेहूं, क्‍यों पड़े सत्‍यापन के फेर में Gorakhpur News

देवरिया जिले में कोरोना संक्रमण काल में किसानों को गेहूं बेचना आसान नहीं है। एसडीएम व एडीएम के स्तर से सत्यापन में देरी से किसान परेशान हैं इसका फायदा बिचौलिये उठा रहे हैं। किसानों से कम दाम पर गेहूं खरीद रहे हैं।

By Rahul SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 11:50 AM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 11:50 AM (IST)
18 सौ रुपये में बिचौलियों को बेच रहे गेहूं, क्‍यों पड़े सत्‍यापन के फेर में Gorakhpur News
किसानों से कम दाम पर बिचौलिये खरीद ले रहे गेहूं। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन : देवरिया जिले में कोरोना संक्रमण काल में किसानों को गेहूं बेचना आसान नहीं है। एसडीएम व एडीएम के स्तर से सत्यापन में देरी से किसान परेशान हैं, इसका फायदा बिचौलिये उठा रहे हैं। किसानों से कम दाम पर गेहूं खरीद रहे हैं। तहसीलों में अभी भी दो सौ से अधिक व एडीएम वित्त एवं राजस्व के स्तर पर 50 से अधिक मामले लटके हुए हैं।

136 क्रय केंद्र बनाए गए

जिले में 136 क्रय केंद्र बनाए गए हैं। बड़ी तादाद में किसानों ने पंजीकरण कराया है। 100 क्विंटल से अधिक गेहूं बेचने वाले किसानों के सत्यापन में हीलाहवाली की जा रही है। किसानों का कहना है कि सत्यापन में देरी से तहसीलों का चक्कर लगाना पड़ रहा है। विभागीय लोगों का कहना है कि किसान पंजीकरण पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। कई हिस्सेदारों का रकबा एक ही खतौनी में है, जिससे सत्यापन में दिक्कत आ रही है। किसान कठिनाई से बचने के लिए अलग-अलग पंजीकरण कराएं। फिलहाल किसान अफसरों के रवैये से परेशान हैं।

फोन करने पर भी नहीं सुन रहे अधिकारी

भटनी क्षेत्र के खोरीबारी निवासी किसान जितेंद्र राय कहते हैं कि तहसील में सत्यापन में देरी की जा रही है। अधिकारियों व कर्मचारियों को कई बार फोन किया गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इसके कारण परेशान होना पड़ रहा है। लार क्षेत्र के नदौली निवासी उमाशंकर नाथ तिवारी का कहना है कि सत्यापन में देरी से अभी तक गेहूं नहीं बिक सका है। हाट शाखा लार का चक्कर लगाना पड़ रहा है। सत्यापन न होने से टोकन नहीं मिल रहा है। किसानों की मानें तो राजस्व विभाग की उदासीनता से धीमी गति से सत्यापन हो रहा है।

किसान कराएं अलग-अलग पंजीकरण

जिला खाद्य विपणन अधिकारी जितेंद्र यादव ने कहा कि किसान अपने हिस्से की बजाए अन्य सह खातेदारों का हिस्सा भी अपने में शामिल कर रहे हैं। इसके चलते सत्यापन में देरी हो रही है। किसान अलग-अलग पंजीकरण कराएं। जिससे सत्यापन में सुविधा रहेगी।

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