कालम चौपाल: हमारे रहते तुम क्यों करोगे लूट Gorakhpur News

गोरखपुर के साप्‍ताहिक कालम में इस बार पूरी रिपोर्ट पुलिस विभाग और उनकी कार्य प्रणाली पर आधारित है। पुलिस विभाग के लोगों की दिनचर्या पर आधारित रिपोर्ट काफी चटपटी है। आप भी पढ़ें गोरखपुर से जितेंद्र पांडेय का साप्‍ताहक कालम चौपाल---

By Satish chand shuklaEdited By: Publish:Thu, 11 Feb 2021 05:31 PM (IST) Updated:Thu, 11 Feb 2021 05:31 PM (IST)
कालम चौपाल: हमारे रहते तुम क्यों करोगे लूट Gorakhpur News
गोरखपुर में वरिष्‍ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय का भवन।

 जितेन्द्र पाण्डेय, गोरखपुर। बस्ती वाले दारोगा जी गोरखपुर के ही हैं। उनके पास बस्ती, आजमगढ़, महराजगंज का अनुभव है। गोरखपुर तो उनके खून में बसा है। महराजगंज में तैनाती के दौरान वह भलीभांति जान चुके हैं कि कैसे वहां से सोना-चांदी गोरखपुर पहुंचता है। इतनी अच्छी जानकारी व काबिलियत के बाद उनके जिले में कोई और लूट करे, तो यह कैसे बर्दाश्त होगा। दारोगा जी ने ठान लिया कि अब जिले में लूट की घटनाएं कोई और नहीं, बल्कि वह खुद ही करेंगे। उन्होंने अपनी टीम बना डाली। पहले चांदी लूटी, बाद में सोना। लेकिन बिरादरी के लोगों को उनका आगे बढऩा रास नहीं आया। दारोगा जी का वाहन सीसीटीवी फुटेज में आ गया और साथियों के साथ धर लिए गए। चांदी गई, सोना गया। रुपये और नौकरी भी। दारोगा जी जेल पहुंच गए हैं। वहां नकली लुटेरों की मुलाकात असली से हो गई है। आवाजें यहां तक आ रही हैं, कोई बचाओ।

छोटे नेता की पिटाई का इनाम बड़ा थाना

पिछले दिनों इंस्पेक्टर साहब ने छोटे नेता जी को पिटवा दिया। उनके पक्ष में खेमेबंदी शुरू हुई। छोटे नेता जी के समर्थन में बड़े नेता जी भी आ गए। थाने से लेकर बड़े-बड़े साहब तक नेता जी की पंचायत हुई। पंचायत के साथ-साथ नेता जी के पिटाई की बात थाने से लेकर जिले भर के लोग जान गए। यहां तक कि लोग छोटे नेता जी से ही पूछने लगे कि भइया यह किस नेता जी की पिटाई हो गई है। बहुत गिड़गिड़ाने के बाद साहब ने इंस्पेक्टर साहब को लाइन हाजिर कर दिया। मामला तूल पकड़ते देख जोन वाले साहब ने तो इंस्पेक्टर साहब को दूसरे रेंज में स्थानांतरित कर दिया। इतने में बड़े साहब अड़ गए कि वह इंस्पेक्टर साहब को दूसरे मंडल नहीं जाने देंगे। इंस्पेक्टर साहब को वीआइपी थाने का चार्ज मिल गया है। साहब खुश हैं। नेता जी को पिटवाया भी थाने का चार्ज भी लिया।

गलती थानेदार की, सजा चौकी प्रभारी को

दारोगा जी ने जिले में 30 लाख रुपये की लूट की और दो चौकी प्रभारियों के विकेट गिर गए। दरअसल दारोगा जी का हौसला यूं ही बुलंद नहीं है, वह बिरादरी के लोगों को पहचानते भलीभांति हैं। अभी 20 दिन पूर्व उन्होंने शहर के एक और थाना क्षेत्र में लूट की घटना को अंजाम दिया था। मामला थानेदार से लेकर एसपी तक के संज्ञान में आया था, लेकिन पुलिस व्यापारी का मुकदमा लिखने से किनारा करती रही। बाद में जब आरोपित पकड़े गए, तो लूट कौन कहे, थानेदार ने डकैती का मुकदमा दर्ज किया। यहां थानेदार महोदय से पहली बार गलती नहीं हुई है। वह अभ्यस्त हैं। शहर के एक अन्य थानेदार ने तीन माह पूर्व महिला से चेन लूट के मामले को दबा लिया था। अब वह उत्तर तरफ स्थित एक थाने के प्रभारी हैं। बात तब खुली जब आरोपित एक महिला शिक्षिका की हत्या में गिरफ्तार हो गया।

दागी हैं तो क्या, करेंगे थानेदारी

दो माह पूर्व साहब ने उत्तर की तरफ के एक थानेदार को यह कहकर हटा दिया कि मारपीट के मामले में उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। आरोपितों पर शस्त्र अधिनियम का मुकदमा तक नहीं लिखा। एएसपी से मामले की जांच कराई और जांच में दोषी मिलने पर उन्हेंं लाइन हाजिर कर दिया। बाद में दारोगा जी पर भीड़ को उकसाने का आरोप लगा। बड़े साहब ने फिर जांच बिठा दी। जांच का क्या हुआ, किसी को नहीं पता, लेकिन दो ही माह में लोग सब कुछ भूल गए। यहां तक कि प्रदेश वाले साहब का आदेश भी। प्रदेश वाले साहब का आदेश है कि यदि किसी को आरोप लगने पर थाने से हटाया जाए तो उसे कम से कम तीन माह तक थानेदारी न दी जाए। लेकिन यहां तो सिर्फ दारोगा जी को ही थानेदारी नहीं मिली है। कोई उत्तर दिशा में थानेदारी कर रहा है, तो कोई दक्षिण में।

chat bot
आपका साथी