गोरखपुर से साप्ताहिक कालम: मगर तमंचा कहां से लाए साहब
वन महोत्सव में इस साल रिकार्ड पौधारोपण हुआ है। वन विभाग सहित 27 विभागों ने गांव से लेकर शहर तक 44 लाख से अधिक पौधे रोपित कराएं हैं। कोरोना के संक्रमण काल के बीच चलाए गए इस अभियान में औषधीय पौधे रोपित करने पर खास जोर था।
गोरखपुर, नवनीत प्रकाश त्रिपाठी। जोन वाले साहब ने जब से आपरेशन तमंचा चलाया है तभी से थानों में तैनात मातहतों की परेशानी बढ़ गई है। अधिक से अधिक तमंचा बरामद करने का टास्क दिया गया है। स्थिति यह है कि कई पुलिस वाले बदमाश की तलाश कम, तमंचे का इंतजाम करने में ऊर्जा अधिक खर्च कर रहे हैं। खबर तो यहां तक है कि कई पुलिस वालों ने तमंचा बनाने वालों को ही तलाश लिया है। इसकी दो वजह है। एक तो यह कि उनसे पूछताछ कर तमंचा खरीदने वालों के बारे में पता कर सकें। दूसरी वजह, यदि कोई बदमाश हाथ लग जाय और उसके पास से तमंचा न बरामद हो तो बनाने वाले से ही तमंचा बनवाकर उसके पास से बरामदगी दिखाई जा सके। जिन पुलिस वालों की सोच यहां तक नहीं पहुंच पाई है, दबाव बढऩे पर वे सीनियरों से ही सवाल कर दे रहे हैं कि तमंचा कहां से लाएं साहब?
पौधे तो लगे, मगर बचेंगे कैसे
जुलाई के पहले सप्ताह में मनाए जाने वाले वन महोत्सव में इस साल रिकार्ड पौधारोपण हुआ है। वन विभाग सहित 27 विभागों ने गांव से लेकर शहर तक 44 लाख से अधिक पौधे रोपित कराएं हैं। कोरोना के संक्रमण काल के बीच चलाए गए इस अभियान में औषधीय पौधे रोपित करने पर खास जोर था। पौधारोपण के लिए जगह-जगह भव्य आयोजन भी किए गए। इसमें पौधों और आक्सीजन को लेकर बड़ी-बड़ी बातें भी की गईं। सभी से पौधे रोपित करने की अपील भी की गई। पौधारोपण अभियान कामयाबी के साथ पूरा भी हो गया लेकिन अब सवाल यह है कि लगाए गए पौधे बचेंगे कैस? क्योंकि जिस विभाग ने जो पौधे लगाए हैं, उनकी देखभाल और सुरक्षा की जिम्मेदारी उसी विभाग की है। वन विभाग के पास तो इसके लिए पूरा तंत्र है लेकिन अन्य विभाग इस काम को कैसे अंजाम देंगे? फिलहाल इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
तेल नहीं तेल की धार देखिए
चिडिय़ाघर में अभी बहुत से वन्यजीव लाए जाने बाकी हैं। फिर भी जो वन्यजीव हैं उन्हें ही देखने के लिए हर दिन बड़ी संख्या में लोगों के चिडिय़ाघर आने का सिलसिला जारी है। आने वालों के वाहनों से चिडिय़ाघर की पार्किंग हर समय भरी रहती है। पार्किंग शुल्क से अच्छी कमाई भी हो रही है। चूंकी पार्किंग का अभी ठीका नहीं हुआ है इसलिए प्राणि उद्यान सोसाइटी ने दैनिक मजदूरों से पार्किंग शुल्क वसूलने की वैकल्पिक व्यवस्था बना रखी है। पार्किंग से होने वाली मोटी कमाई पर कुछ लोगों की नजर गड़ गई है। उन्होंने प्राणि उद्यान सोसाइटी की भी घेराबंदी करनी शुरू कर दी है। इसी घेराबंदी में शासन ने पार्किंग के ठीके को लेकर जांच का आदेश जारी कर दिया है। इस पूरे प्रकरण पर बात करने पर महकमे के एक बड़े अधिकारी ने बेहद रहस्यमयी मुस्कान के साथ कहा कि तेल नहीं साहब तेल की धार देखिए।
अब इनकी हिफाजत कौन करेगा
वर्दी की हनक तो हर कोई महसूस करता है। वर्दी वाले भी वक्त, बेवक्त अपनी हनक दिखाने से चूकते नहीं हैं। राह चलते कब किसे क्या कह दें इसका कोई भरोसा नहीं। इसीलिए हर कोई इनसे खौफ खाता है। मगर आजकल वर्दी वाले खुद ही खौफ में हैं। पशु तस्करों का खौफ इनके सिर चढ़कर बोल रहा है। क्योंकि आमना-सामना होते ही पशु तस्कर उन पर हमलावर हो जा रहे हैं। ईंट-पत्थर फेंकने से लेकर उन्हें कुचल कर मार डालने तक की कोशिश कर डाल रहे हैं। एक वक्त वह था जब पशु तस्कर ही वर्दी वालों के लिए ऊपरी कमाई का सबसे अच्छा जरिया हुआ करते थे, एक वक्त यह है कि उन्हीं पशु तस्करों की वजह से जान के लाले पड़ गए हैं। वर्दी वालों के कंधों पर ही लोगों की हिफाजत का भार है, लेकिन अब सवाल यह है कि पशु तस्करों से उनकी हिफाजत कौन करेगा?