गोरखपुर से साप्‍ताहिक कालम बतकही, आओ मिलकर करेंगे थानेदारी Gorakhpur News

पुलिस विभाग में नौकरी करने वाले डिप्टी साहब की चर्चा राजनीतिक महकमे में खूब हो रही है। वजह उनकी राजनीतिक महत्वकांक्षा है। पड़ोस के जिले से पत्नी को प्रमुख बनाने के लिए उन्होंने अपनी और विभाग की पूरी ताकत लगा दी।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 04:49 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 04:49 PM (IST)
गोरखपुर से साप्‍ताहिक कालम बतकही, आओ मिलकर करेंगे थानेदारी Gorakhpur News
गोरखपुर के एसएसपी कार्याजय भवन का फाइल फोटो, जागरण।

गोरखपुर, सतीश कुमार पांडेय। पड़ोस के जिले से आए इंस्पेक्टर कच्‍छप गति से काम करने के कारण साइडलाइन कर दिए गए थे। वजह यह थी कि इलाके में कोई भी वारदात हो जाए, साहब आवास से निकलते ही नहीं थे। दो थाने का प्रभार छिन गया, लेकिन प्रभाव से तीसरी बार थानेदार बन गए। चौरीचौरा में तैनाती के दौरान उनका पूरा काम शिष्यरुपी दारोगा करता था। थाने की सीयूजी, गाड़ी के साथ ही सारा हिसाब उसी के जिम्मे था। इस समय वह दारोगा, चौकी प्रभारी है। इंस्पेक्टर उसे अपने पास बुलाने को परेशान हैं। एसपी, सीओ से सिफारिश कर रहे हैं कि पड़ोस के थाने में तैनात दारोगा की पोङ्क्षस्टग उनके यहां करा दीजिए। दारोगा से कई बार कह चुके हैं, चौकी का मोह छोड़ो, आओ मिलकर थानेदारी करेंगे। पुलिसकर्मियों की माने तो गोरखपुर आने से पहले इंस्पेक्टर और दारोगा एक जिले में साथ काम कर चुके हैं, जहां उनकी जोड़ी चर्चा में रही।

चौकी में नहीं कटेगी बात

पुलिस विभाग में नौकरी करने वाले डिप्टी साहब की चर्चा राजनीतिक महकमे में खूब हो रही है। वजह उनकी राजनीतिक महत्वकांक्षा है। पड़ोस के जिले से पत्नी को प्रमुख बनाने के लिए उन्होंने अपनी और विभाग की पूरी ताकत लगा दी। प्रभाव जमाने के लिए पोस्टर और विज्ञापन में अपना नाम छपवा रहे हैं। समर्थक इलाके में घूमकर सदस्यों को बता रहे हैं, साहब बहुत पावरफुल हैं। उनकी पत्नी प्रमुख बन गई तो समझिए कि इलाके में आपका सिक्का चलेगा। थाने और चौकी में बात कटेगी ही नहीं। एक नेता को इससे ज्यादा और क्या चाहिए। चुनाव की तिथि तो अभी घोषित नहीं हुई है, लेकिन विपक्षियों ने डिप्टी साहब की चुनावी तैयारी की सूचना अधिकारियों तक पहुंचा दी है। इसको लेकर लखनऊ के साथ ही जोन व रेंज कार्यालय में भी चर्चा शुरू हो गई। पिछले दिनों एक चुनावी पोस्टर भी वायरल हुआ था, जिसमें कई बदमाश भी थे।

लुटेरों को पकडऩे के लिए चाहिए खर्च

उत्तरी क्षेत्र के थाने में पिछले दिनों एक अजीब घटना हुई। बदमाशों ने युवक से 80 हजार रुपये छीन लिए। शिकायत लेकर मां और भाई के साथ वह थाने पहुंचा। दारोगा व सिपाहियों को उसने जानकारी दी। मुकदमा दर्ज करने को कहा तो उनकी भौहें तन गईं। ऐसे लगा जैसे मुकदमा दर्ज होने से लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा। डांटकर तीनों को बेंच पर बैठने को कहा। पीडि़त अपनी मां और भाई के साथ दो घंटे बैठा रहा और दारोगा की तरफ आस भरी नजर से देखता रहा, लेकिन साहब नजर मिलते ही मुंह फेर लेते। जैसे युवक ने ही अपराध कर दिया हो। कुछ देर बाद एक सिपाही पास पहुंचा। मदद का भरोसा देकर परेशानी पूछी। जानकारी देने पर उसने कहा दो हजार रुपये खर्च दीजिए, लुटेरे पकड़ लिए जाएंगे। दारोगा जी से बात हो गई है। यह बात सुनकर परिवार के लोग अवाक रह गए और बिलख पड़े।

रावणी गोत्र के इंस्पेक्टर ने बदला थाने का कानून

रावणी गोत्र के इंस्पेक्टर की पिछले दिनों जिले में आमद हुई। अपने प्रभाव से आते ही वह जिले के सबसे मलाईदार थाने के प्रभारी बन गए। पदभार संभालते ही थाने का कानून बदल दिया। अगर कोई भी समझौता बिना उनकी जानकारी के हुआ तो मान्य नहीं होगा। मुकदमा भी तभी लिखा जाएगा, जब वे कहेंगे। मातहतों ने पहले तो यह समझा कि जिले में नया होने से इंस्पेक्टर साहब अभी माहौल बना रहे हैं, लेकिन 10 दिन पहले एक हत्या हो गई। मौका मिलते ही इंस्पेक्टर ने उठाने-बैठाने और छोडऩे वाली अपनी प्रतिभा दिखा दी। पहले दिन ही घटना खुल गई, लेकिन गहराई से छानबीन करने वाला फार्मूला अपनाकर इंस्पेक्टर ने आरोपितों को जेल नहीं भेजा। पांच दिन में पूछताछ के लिए 10 से अधिक लोगों को थाने बुलाया गया, फिर अपने तरीके से छोड़ दिया। एक ही मामले में पुलिसकर्मी कहने लगे, यह तो श्रीवास्तवजी से भी आगे हैं।

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