गोरखपुर से साप्ताहिक कालम तीसरी नजर, इस बार खास नहीं रहा आम Gorakhpur News
बात शहर से सटे ग्रामीण इलाके के एक थाने की है। यहां तैनात एक दारोगा की कार्यप्रणाली खासी चर्चा में है। उनके बैच के अधिकतर दारोगा कई बार थानेदार रह चुके हैं। कई इस समय भी थानेदार हैं उन्हें अभी तक थानेदारी नसीब नहीं हुई।
गोरखपुर, नवनीत प्रकाश त्रिपाठी। आम को फलों के राजा का दर्जा यूं ही नहीं मिला है। बाजार में जब आता है तो छा जाता है। उसके मुकाबले दूसरे फलों की मांग काफी कम हो जाती है। विभिन्न प्रजाति के आमों के अलग-अलग समय में आने से बाजार में इसकी बादशाहत लंबे समय तक कायम रहती है। गोरखपुर में हर साल पहले गौरजीत दस्तक देता था। इसकी धूम खत्म होते-होत दशहरी और कपुरी आम बाजार में छा जाते थे। सबसे बाद में सफेद आता था, लेकिन इस साल ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। मई के दूसरे पखवारे में पहले टाक्टे और बाद में यास तूफान आने से हुई बेमौसम बारिश की वजह से आम समय से पहले पक कर तैयार हो गए। गौरजीत के साथ ही दहशरी, कपुरी और सफेदा भी बाजार में आ गए। काफी अधिक मात्रा में बाजार में आ जाने से आम इस बार खास नजर नहीं आ रहा है।
सब पर भारी पड़ेगी यह लापरवाही
कोरोना की दूसरी लहर की तबाही से उबरने की कोशिश अभी जारी है। संक्रमण रोकने के लिए लगाए गए कोरोना कफ्र्यू को दिन में भले ही हटा लिया गया है, लेकिन प्रचार माध्यमों से लोगों को सावधानी बरतने, मास्क लगाने और शारीरिक दूरी के नियम का पालन करने के बारे में लगातार बताया जा रहा है। अनावश्यक घर से न निकलने की हिदायत भी दी जा रही, लेकिन अधिकतर लोगों ने इन नियमों का पालन करना छोड़ दिया है। बेधड़क घर से बाहर निकलने लगे हैं। भीड़-भाड़ वाली जगहों पर भी लोग मास्क नहीं लगा रहे हैं। शारीरिक दूरी के नियम की हिदायत भी बेमानी नजर आने लगी है। तब जबकि विशेषज्ञ बार-बार कोरोना की तीसरी लहर आने की चेतावनी दे रहे हैं। सरकार भी लोगों से सतर्कता बरतने और सावधान रहने के लिए कह रही है। इसके बावजूद लोगों की यह बेपरवाही हर किसी पर भारी पड़ सकती है।
...आह, वह भी क्या दिन थे
जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए सपा ने उम्मीदवार घोषित कर दिया है। पार्टी पदाधिकारी अपने उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित होने का दावा भी कर रहे हैं। हालांकि इस दावे के बीच वे 'लेकिनÓ शब्द का इस्तेमाल करते हुए चुनावी मशीनरी का दुरपयोग की आशंका जतना नहीं भूलते। चुनावी चर्चा के बीच कुछ सपा नेताओं से जिला पंचायत अध्यक्ष कि पिछले चुनाव को लेकर बात चली तो उनके मुंह से आह निकल गई। 2016 में हुए इस चुनाव में सपा से गीतांजली यादव और गोरखपुर ग्रामीण के तत्कालीन विधायक विजय बहादुर यादव के भाई अजय बहादुर मैदान में थे। 72 मतों में 34 मत पाकर गीतांजली ने जीत दर्ज की थी। अजय बहादुर को 27 मत मिले थे। 11 मत अवैध घोषित कर दिया गया था। उस समय यह चर्चा का विषय भी बना था। इस चुनाव का जिक्र आते एक सपा नेता बोल पड़े ...आह, वह भी क्या दिन थे।
थाने में दरोगा का अलग मोहल्ला
बात शहर से सटे ग्रामीण इलाके के एक थाने की है। यहां तैनात एक दारोगा की कार्यप्रणाली खासी चर्चा में है। उनके बैच के अधिकतर दारोगा कई बार थानेदार रह चुके हैं। कई इस समय भी थानेदार हैं, उन्हें अभी तक थानेदारी नसीब नहीं हुई। अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाने की बजाय दारोगा जी विभागीय अधिकारियों को ही अक्षम और बेहतरी की परख न कर पाने वाला करार देते रहते हैं। इतना ही नहीं थाने में उन्होंने अपने जैसों की अलग गोल बना रखी है। थाना परिसर के एक हिस्से को उन्होंने बाकायदा अपना इलाका घोषित कर रखा है। चाहने वालों के साथ वहीं बैठकी जमाकर थानेदारी न देने के लिए अधिकारियों को कोसते रहते हैं। थाने के खास हिस्से में उनके बैठकी जमाने के चलते साथी पुलिसकर्मियों ने उसे दारोगा जी का मोहल्ला घोषित कर दिया है। दारोगा जी का मोहल्ला विभाग में चर्चा का विषय बन गया है।