गोरखपुर साप्‍ताहिक कालम जैसा देखा सुना, भैया जब आएंगे तो गर्मी बढ़ जाएगी Gorakhpur News

गोरखपुर के साप्‍ताहिक कालम में इस बार गंवई राजनीति पर फोकस किया गया है। गांव के प्रधान से लेकर जिला पंचायत अध्‍यक्ष के रुतबे के बारे में ठीक से लिखा गया है। पढ़ें गोरखपुर से रजनीश त्रिपाठी का साप्‍ताहिक कालम जैसा देखा सुना---।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 04:29 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 04:29 PM (IST)
गोरखपुर साप्‍ताहिक कालम जैसा देखा सुना, भैया जब आएंगे तो गर्मी बढ़ जाएगी Gorakhpur News
पंचायत चुनाव के संबंध में प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो, जेएनएन।

गोरखपुर, रजनीश त्रिपाठी। पूर्वाचल की सियासत में बड़े बदलाव की सुगबुगाहट शोर में बदलने लगी है। जातीय ध्रुवीकरण वाली जो गणित तीन-चार वर्षो से हल नहीं हो पा रही थी, वह लगभग सुलझ चुकी है। सबको साधने और संतुष्ट करने की जुगत बैठा चुके सियासत के सौम्य दिग्गज नई पारी खेलने को तैयार हैं। बड़की राजधानी वाले रेफरी की झंडी मिलते ही वह मैदान में उतर जाएंगे, जिसमें पहला मुकाबला ऊपरी सदन वाले परंपरागत प्रतिद्वंद्वी से होने के आसार हैं। बदलाव की चर्चा से डरे उनके भीतरघात प्रतिद्वंद्वी यह जानने के लिए व्याकुल हैं कि इस बार भी एक बदलेगा या पूरे घर के बदल डालेंगे, पदार्पण कब तक होगा। प्रतिद्वंद्वी के गुर्गे ने नेताजी के चेले को छेड़ते हुए पूछा क्या भाई, कब तक आ रहे हैं। इशारों में हुए सवाल का चेले ने फिल्मी अंदाज में जवाब दिया कि काहें घबरा रहे हैं, भैया जब आएंगे न.. तो गर्मी बढ़ जाएगी।

..अब अग्निपरीक्षा

पांच साल की मेहनत के बाद प्रधानी की परीक्षा में पास हुए नेताजी को अब अग्निपरीक्षा से गुजरना होगा। चुनाव भर फेसबुक, वाट्सएप पर दौड़ने के साथ गांव की दीवारों पर चस्पा हुए नेताजी के घोषणा पत्र को कुछ जागरूक युवाओं ने उन्हीं के खिलाफ हथियार बना लिया है। उनका कहना है कि इसमें जितने दावे हुए हैं, उन सभी की नियमित समीक्षा होगी। प्रधान जी से बात-मुलाकात भले न हो पाए, घोषणा पत्र का पोस्टर छपवाकर हर तीन महीने पर गांव में चिपकाया जाएगा, जिससे प्रधान जी को याद रहे कि उन्होंने क्या कहा था, क्या किया और अभी क्या करना बाकी है। शपथ ग्रहण के बाद से ही घोषणाओं को पूरा कराने का दबाव बनाना शुरू कर दिया जाएगा। विपक्षियों द्वारा अग्निपरीक्षा की तैयारी ने प्रधान जी को तनाव दे दिया है, अब कहते फिर रहे कि चुनावी वायदे कहने के लिए होते हैं, करने के लिए नहीं।

भौकाल बनल ह, त बनवले रह गुरु

जिला पंचायत अध्यक्ष की रेस में यूं तो कई नाम चर्चा में हैं, लेकिन खानदानी नेता ज्यादा सुर्खियों में हैं। सदस्यों का परिणाम आते ही उनके गुर्गो ने हल्ला मचा दिया कि 55 सदस्यों का समर्थन-प्रमाणपत्र घर आ गया है। ‘कोई नहीं है टक्कर में, क्यों पड़े हो चक्कर में’ का नारा बुलंद होने लगा। चुनाव लड़ने के हरफनमौला महारथी नेताजी के हुनर से वाकिफ विपक्षी तो कांफिडेंस देखकर ही रणछोड़ हो गए। बिना किसी आधार और प्रमाण के नेताजी का टेंपो ऐसा हाई हुआ कि पार्टी में भी खलबली मच गई। ‘सम्मान’ पाने की आस में बैठे पार्टी के सदस्यों को लगा कि अब तो कुछ नहीं मिलने वाला। कुछ सदस्यों ने विरोध का मन बनाया, लेकिन ‘55 सर्टिफिकेट कब्जे में’ वाले फामरूले के आगे यह गणित भी फेल हो गई। अब तो विपक्ष ही नहीं पक्ष वाले भी कहने लगे हैं, भौकाल बनल ह त बनवले रह गुरु..।

अब नाही चली कुदाल, हम हईं प्रधान

तीस वर्षो से दरवाजे पर हरवाही करने वाले ‘मैनेजर चाचा’ को प्रधान बनवाने तक तो ठीक था, लेकिन शपथ ग्रहण के लिए नया कुर्ता सिलवाना बाबू साहब को भारी पड़ गया। जिंदगी भर हुकुम की गुलामी करने वाले मैनेजर चाचा को जैसे ही प्रमाणपत्र मिला उनकी चाल में ठसक आ गई। पहले तो रिश्तेदारी में जाने के लिए आठ दिन की छुट्टी मारी। वहां से लौटे तो बीमारी का बहाना बनाकर घर से नहीं निकले। अब जब शपथ लेने की तारीख नजदीक आई तो फिर मालिक के दरबार पहुंचे। मालिक तो मालिक ठहरे, पहले हालचाल पूछा फिर दर्जी बुलाकर कुर्ते का नाप दिलाया, बोले- नए कुर्ते में ही शपथ लेना। अब एक काम करो जरा कुदाल लेकर गोबर तो हटा दो। प्रधान को तो जैसे करंट लग गया। तत्काल संभलते हुए बोले, मालिक समय बदल चुका है। मैं इस गांव का मुखिया हूं। नौकरों वाले काम मुझसे न हो पाएंगे।

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